भारत की सबसे बड़ी, 130 मेगावाट की
वेलस्पन सौर एमपी परियोजना 26 फरवरी 2014 को मध्य प्रदेश के नीमच के भगवानपुर में शुरू की गई.
वेलस्पन सौर एमपी परियोजना 305 हेक्टेयर भूमि पर 1100 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित की गई थी. यह 8.05 रुपये प्रति किलोवाट की दर से बिजली की सप्लाई करेगी.
वेलस्पन सौर एमपी परियोजना 305 हेक्टेयर भूमि पर 1100 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित की गई थी. यह 8.05 रुपये प्रति किलोवाट की दर से बिजली की सप्लाई करेगी.
यह परियोजना भारत की सौर क्षमता को 7 प्रतिशत तक बढ़ाएगी.
भारत की सौर ऊर्जा क्षमता
केंद्र सरकार ने 2010 में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन (जेएनएनएसएम) की शुरुआत की थी. भारत के पास 2208 मेगावाट ग्रिड-कनेक्टेड सौर ऊर्जा क्षमता है. जेएनएनएसएम का उद्देश्य भारत को 2022 तक 20000 मेगावाट (या 20 गीगावाट) की सौर ऊर्जा स्थापित क्षमता तक पहुंचाना है.
भारत में सौर ऊर्जा की उत्पादन-लागत हाल के वर्षों में आधे से भी ज्यादा घटी है. वह तीन वर्ष पहले के 17 रुपये प्रति किलोवाट-घंटे से घटकर 7.50 रुपये प्रति किलोवाट-घंटा रह गई है. पर यह लागत कोयले (2.50 रुपये रुपये प्रति किलोवाट-घंटा), न्यूक्लियर (3 रुपये प्रति किलोवाट-घंटा) या प्राकृतिक गैस (5.5 रुपये प्रति किलोवाट-घंटा) की तुलना में अभी भी ज्यादा है.
वेलस्पन ऊर्जा लिमिटेड
वेलस्पन ऊर्जा लिमिटेड (वेल) भारत में सोलर फोटोवोल्टेइक परियोजनाओं की सबसे बड़ी विकासकर्ता है. वेलस्पन ग्रुप की ऊर्जा शाखा एक स्वतंत्र ऊर्जा-उत्पादक है, जिसकी देशभर में ग्रिड कनेक्टेड 750 मेगावाट सौर ऊर्जा और 1 गीगावाट पवन ऊर्जा संयंत्र निर्मित करने की योजना है.
विदित हो कि भारत अमेरिका के सहयोग से सैटेलाइट इमेजरी के आधार पर पूरे देश में सौर ऊर्जा उत्पादन की अपनी संभावना का आकलन कर रहा है.
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