राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड,
National Bank for Agriculture and Rural Development) ने संयुक्त
देयता समूह (जेएलजी) के गठन की घोषणा 24 फरवरी 2014 को की. जेएलजी का उद्देश्य बंटाईदारों, मौखिक
पट्टेदारों और खेतिहर मजदूरों जैसे छोटे किसानों को संस्थागत ऋण मुहैया कराना है.
जेएलजी योजना पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों के लिए बेहद फायदेमंद है जहां औसत जोत कम हो रहे हैं और छोटे किसानों की संख्या बढ़ रही है.
जेएलजी योजना पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों के लिए बेहद फायदेमंद है जहां औसत जोत कम हो रहे हैं और छोटे किसानों की संख्या बढ़ रही है.
स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की ही तर्ज पर नाबार्ड बैंकों को पुनर्वित्त सुविधा प्रदान करेगा ताकि वे आमतौर पर पैसों की तंगी से जूझ रहे छोटे और सीमांत किसानों को ऋण और वित्तीय सहायता प्रदान कर सकें.
नाबार्ड के पास पहले से ही 41 लाख एसएचजी हैं जो क्रेडिट लिंक के जरिए जुड़े हैं.
संयुक्त देयता समूह से सम्बंधित मुख्य तथ्य
संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) 4 से 10 लोगों और अधिकतम 20 लोगों का एक अनौपचारिक समूह है, जिसमें ये सभी लोग अकेले या आपसी गारंटी पर समूह के नाम पर बैंक से ऋण ले सकते हैं. जेएलजी सदस्य बैंक को एक संयुक्त उपक्रम की पेशकश करेगा जिसके लिए बैंक उन्हें ऋण देगा.
जेएलजी के सदस्यों के फसल के उत्पादन जैसी ही आर्थिक गतिविधियों में संलग्न होने की संभावना है. जेएलजी का प्रबंधन बहुत साधारण रखा जाएगा जिसमें बहुत कम या किसी भी प्रकार की कोई वित्तीय प्रशासन समूह के भीतर नहीं होगा.
बटाइदार किसानों और छोटे किसानों जो अपनी जमीन पर बिना किसी उचित हक के खेती कर रहे हों/ वैसे ग्रामीण उद्यमी जो गैर– कृषि गतिविधियों में शामिल हैं, जीएलजी का गठन कर सकते हैं.
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