भारतीय डॉक्टर हरमिंदर दुआ ने कॉर्निया की नई परत खोजी-(20-FEB-2014) C.A

| Thursday, February 20, 2014
यूनिवर्सिटी ऑफ नौटिंघम के भारतीय डॉक्टर हरमिंदर दुआ ने मानव कॉर्निया में एक नई परत की खोज वर्ष 2014 में की. इस नई परत का नाम 'दुआज लेयर (दुआ की परत) रखा गया.

यह परत आंखों में द्रव के प्रवाह को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इस खोज से ग्लूकोमा (मोतियाबिंद) के इलाज में मदद मिलने की संभावना है. यह शोध ऑप्थैलमोलॉजी ( नेत्र विज्ञान) के एक ब्रिटिश जरनल में प्रकाशित हुआ था.

दुआज लेयर
'दुआज लेयर’ 15 माइक्रॉन मोटी है लेकिन अपेक्षाकृत अधिक कठोर है. कोलेजन की पतली प्लेटों वाली यह परत कॉर्निया के पीछे कॉर्नियल स्ट्रोमा और टेस्सिमेट मेंमब्रेन के बीच होती है. यह कॉर्निया की परिधि में चलनी की तरह मेशवर्क, ट्रैबेक्यूलर मेशवर्क (टीएम) में महत्वपूर्ण योगदान देती है. टीएम ऊतकों की कील नुमा फीता होती है जो आंखों की आंतरिक चैंबर के परिधि पर फैली हुई होती है. 

वैज्ञानिक यही मानते आए थे कि कॉर्नियापीछे से आगे तककॉर्नियल इपीथीलियम, बोमैन्स लेयर, कॉर्नियल स्ट्रोमा, डेस्सिमेंट मेंब्रेन और कॉर्नियल इंडोलीथीयम, इन पांच परतों से मिलकर बनी है. आंखों में दवाब का संतुलन आंखों के ऊतकों द्वारा पैदा किए जाने वाले द्रव जिसे सीलीयरि बॉडी करते हैं और टीएम के द्वारा जल निकासी के जरिए होता है. टीएम से होने वाला दोषपूर्ण जल निकाली ग्लूकोमा की महत्वपूर्ण वजह होती है. हर साल विश्व की जनसंख्या का करीब 1 से 2% क्रॉनिक ग्लूकोमा का शिकार होती है और वैश्विक स्तर पर 45 मिलियन लोगों को एंगल ग्लूकोमा है जो स्थायी रूप से तंत्रिका को नुकासन पहुंचा सकता हैइनमें  से 10% नेत्रहीन हैं.

इस खोज से कुल लोगों में जल निकाली प्रणाली के खराब होने जिसके कारण दवाब बहुत बढ़ जाता है, के बारे में कुछ और जानकारी हासिल करने में मदद मिलने की संभावना व्यक्त की जा रही है. ग्लूकोमा आंखों से तरल पदार्थ की दोषपूर्ण जल निकासी की वजह से होने वाली एक घातक बीमारी है. विश्व में नेत्रहीनता के लिए ग्लूकोमा दूसरी सबसे बड़ी वजह है.



0 comments:

Post a Comment