दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू करने की राष्ट्रपति की मंजूरी-(19-FEB-2014) C.A

| Wednesday, February 19, 2014
भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मंजूरी 17 फरवरी 2014 को प्रदान की. इस मंजूरी के साथ ही दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू होने का कारण अरविंद केजरीवाल का दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा रहा.

राष्ट्रपति-शासन लागू होने के साथ दिल्ली विधानसभा निलंबित रखी गई.
 
दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने अरविंद केजरीवाल और उनकी मंत्रिपरिषद के सदस्यों द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद 15 फरवरी 2014 को राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति-शासन की सिफारिश की थी. उपराज्यपाल नजीब जंग ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार की विधानसभा भंग करने की सिफारिश अस्वीकार कर दी. उपराज्यपाल नजीब जंग के इस निर्णय  से भविष्य में किसी राजनीतिक दल या दलों के गठबंधन द्वारा सरकार बनाने का विकल्प खुला है.         

राष्ट्रपति-शासन भारत के संविधान के अनुच्छेद 356 के अंतर्गत आपातकालीन प्रावधानों के तहत एक संकल्प के माध्यम से लागू किया गया. इन आपातकालीन प्रावधानों में बताया गया है कि किस तरह राज्यों में संवैधानिक मशीनरी के विफल होने की  स्थिति में वहाँ राष्ट्रपति-शासन लागू किया जा सकता है. प्रावधान कहते हैं कि :    

यदि राष्ट्रपति, राज्य के उपराज्यपाल से रिपोर्ट प्राप्त होने पर या अन्यथा, संतुष्ट होता है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें राज्य सरकार इस संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चलाई जा सकती, तो राष्ट्रपति घोषणा द्वारा

(क) राज्य के विधानमंडल से इतर राज्य सरकार का कोई या सभी कार्य और उपराज्यपाल या किसी अन्य या राज्य के प्राधिकारी में निहित या उसके द्वारा कार्यान्वित की जा सकने वाली कोई या सभी शक्तियाँ स्वयं अपने हाथ में ले सकता है.  
(ख) घोषित कर सकता है कि राज्य के विधानमंडल की शक्तियाँ संसद के प्राधिकार द्वारा या उसके अंतर्गत कार्यान्वित की जा सकेंगी. 
(ग) घोषणा के उद्देश्य लागू करने के लिए राष्ट्रपति को आवश्यक या वांछित लगने वाले प्रासंगिक या परिणामजन्य प्रावधान लागू कर सकता है, जिनमें राज्य में किसी व्यक्ति या प्राधिकारी से संबंधित प्रावधानों का परिचालन अंशत: या पूर्णत: निलंबित करना शामिल है : किंतु इस खंड की कोई बात राष्ट्रपति को उच्च न्यायालय में निहित या उसके द्वारा कार्यान्वित की जा सकने वाली शक्तियाँ अपने हाथ में लेने या उच्च न्यायालयों से संबंधित इस संविधान के उपबंधों के परिचालन को अंशत: या पूर्णत: निलंबित करने के लिए अधिकृत नहीं करती

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