सिक्किम ने 9 फ़रवरी 2014
को निर्मल भारत अभियान योजना के तहत शत प्रतिशत स्वच्छता हासिल कर
भारत का पहला राज्य बनने का गौरव हासिल किया. सिक्किम ने ग्रामीण और शहरी परिवारों,
स्कूल परिसरों और आंगनवाड़ी केन्द्रों में 100 प्रतिशत स्वच्छता हासिल की. पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा जारी
नवीनतम प्रगति रिपोर्ट कार्ड के अनुसार, सिक्किम के सभी 610,577
निवासीयों के पास उच्च स्वच्छता और सफाई के साथ शौचालय हैं.
यह उपलब्धि, वर्ष 1999 में शुरु की गयी उस पहल का नतीजा है जिसमे मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने
राज्य के सभी चार जिलों में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों को कवर कर राज्य के 7096
वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पूर्ण स्वच्छता को प्राप्त करने की पहल
शुरू की थी. सभी ग्राम सभाओं के एजेंडे में शीर्ष प्राथमिकता के रूप में स्वच्छता
को लेना अनिवार्य कर दिया गया था. अब तक राज्य में 163 पंचायतों
को उनके संबंधित क्षेत्रों में पर्याप्त गुणवत्ता के साथ पर्याप्त स्वच्छता की
सुविधाओं के विकास के लिए मौद्रिक पुरस्कार निर्मल ग्राम पुरस्कार से सम्मानित
किया गया है.
योजना आयोग द्वारा 20 ग्राम पंचायतों में कराए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, सिक्किम के 17 ग्राम परिषदों को 'सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पंचायतों' के रूप में घोषित किया गया जो कि देश में सबसे अधिक हैं. सिक्किम कुल निष्पादन संकेतकों में भी देश के सभी राज्यों की सूची में सबसे ऊपर है.
वर्ष 2008 में, सिक्किम देश का पहला निर्मल राज्य बन गया था जिसे संपूर्ण स्वच्छता कवरेज प्राप्त करने के लिए यह सम्मान दिया गया था और सिक्किम को पहले निर्मल राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
योजना आयोग द्वारा 20 ग्राम पंचायतों में कराए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, सिक्किम के 17 ग्राम परिषदों को 'सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पंचायतों' के रूप में घोषित किया गया जो कि देश में सबसे अधिक हैं. सिक्किम कुल निष्पादन संकेतकों में भी देश के सभी राज्यों की सूची में सबसे ऊपर है.
वर्ष 2008 में, सिक्किम देश का पहला निर्मल राज्य बन गया था जिसे संपूर्ण स्वच्छता कवरेज प्राप्त करने के लिए यह सम्मान दिया गया था और सिक्किम को पहले निर्मल राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
पृष्ठभूमि
वर्ष 1986 में केंद्र
सरकार ने मुख्य रूप से ग्रामीण लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के
उद्देश्य और महिलाओं के लिए गोपनीयता और गरिमा प्रदान करने के लिए केन्द्रीय
ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम (CRSP) शुरू किया था. CRSP
के 1999 से प्रभाव में आने के साथ सम्पूर्ण
स्वच्छता अभियान (टीएससी) का नाम एक मांग आधारित दृष्टिकोण पर आधारित था.
टीएससी को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने निर्मल ग्राम
पुरस्कार (NGP) का भी शुभारंभ किया जिसने पूर्ण स्वच्छता
कवरेज सुनिश्चित करने में अर्जित उपलब्धियों और प्रयासों को मान्यता की मांग की
है. NGP की सफलता से उत्साहित, टीएससी
को निर्मल भारत अभियान (एनबीए) के रूप में पुर्ननामित किया गया था. जिसका उद्देश्य
व्यापक सिरे से नयी रणनीति और संतृप्ति दृष्टिकोण के माध्यम से ग्रामीण समुदाय को
कवर कर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता कवरेज में तेजी लाना है.
एनबीए के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं:
एनबीए के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं:
• ग्रामीण क्षेत्रों में
जीवन के सामान्य गुणवत्ता में सुधार लाना.
• 2022 तक देश में सभी ग्राम पंचायतों को निर्मल स्थिति प्राप्त करने के साथ निर्मल भारत का स्थान प्राप्त करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक स्वच्छता अभियान चलाना.
• समुदायों और पंचायती राज संस्थाओं के प्रति जागरूकता सृजन और स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से स्थायी शौचालय की सुविधा को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करना.
• उचित स्वच्छता सुविधाओं के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) और आंगनबाड़ी केंद्रों के तहत शेष स्कूलों को कवर कर और छात्रों के बीच स्वच्छता, शिक्षा और स्वच्छता की आदतों का सक्रिय कार्य करना.
• सुरक्षित और टिकाऊ स्वच्छ पर्यावरण के लिए लागत प्रभावी और उपयुक्त प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करना.
• ग्रामीण क्षेत्रों में समग्र स्वच्छता के लिए ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित कर समुदाय हित के लिए पर्यावरण स्वच्छता प्रणालियों का विकास करना.
• 2022 तक देश में सभी ग्राम पंचायतों को निर्मल स्थिति प्राप्त करने के साथ निर्मल भारत का स्थान प्राप्त करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक स्वच्छता अभियान चलाना.
• समुदायों और पंचायती राज संस्थाओं के प्रति जागरूकता सृजन और स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से स्थायी शौचालय की सुविधा को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करना.
• उचित स्वच्छता सुविधाओं के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) और आंगनबाड़ी केंद्रों के तहत शेष स्कूलों को कवर कर और छात्रों के बीच स्वच्छता, शिक्षा और स्वच्छता की आदतों का सक्रिय कार्य करना.
• सुरक्षित और टिकाऊ स्वच्छ पर्यावरण के लिए लागत प्रभावी और उपयुक्त प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करना.
• ग्रामीण क्षेत्रों में समग्र स्वच्छता के लिए ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित कर समुदाय हित के लिए पर्यावरण स्वच्छता प्रणालियों का विकास करना.
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