केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने 20 फरवरी 2014 को हैदराबाद में तीन स्वदेशी किटों का
शुभारंभ किया. इसे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के राष्ट्रीय पोषण
संस्थान (एनआईएन) ने विकसित किया है.
इन तीन अलग– अलग किट में इस्तेमाल की गई तकनीकें हैं–
•
खाद्य जनित रोगजनकों का पता लगाने के लिए पीसीआर आधारित
पैथोजन जांच किट.
• आयरन की कमी की वजह से होने वाली एनीमिया के निदान के लिए ईएलआईएसए– आधारित सेरम फेर्रिटिन आकलन किट.
• विटामिन–ए की कमी का पता लगाने के लिए सूखे हुए खून के धब्बे (ड्रायड ब्लड स्पॉट– डीबीएस) को संग्रह करने वाला किट.
• आयरन की कमी की वजह से होने वाली एनीमिया के निदान के लिए ईएलआईएसए– आधारित सेरम फेर्रिटिन आकलन किट.
• विटामिन–ए की कमी का पता लगाने के लिए सूखे हुए खून के धब्बे (ड्रायड ब्लड स्पॉट– डीबीएस) को संग्रह करने वाला किट.
पीसीआर आधारित पैथोजेन
डिटेक्शन किट
• खाना और पानी में
मौजूद घातक बैक्टीरिया का पता लगाता है.
• त्वरित, संवेदनशील, विशिष्ट और कम लागत वाला.
• समय, पैसे और श्रम की अपेक्षाकृत बचत करता है.
• त्वरित, संवेदनशील, विशिष्ट और कम लागत वाला.
• समय, पैसे और श्रम की अपेक्षाकृत बचत करता है.
ईएलआईएसए– आधारित सेरम फेर्रिटिन इस्टिमेशन किट
• लोगों, खाद्य पदार्थों और दूसरी दवाइयों में लोहे (आयरन) की मात्रा का पता लगाने में उपयोगी.
• आयरन की कमी से होने वाली एनीनिया नियंत्रण कार्यक्रम की निगरानी के लिए बड़ी सफलता.
• उपलब्ध अन्य व्यावसायिक किट के मुकाबले सटीक, किफायती औऱ सुविधाजनक.
• बार– बार ब्लड ट्रांस्फ्यूजन की आवश्यकता वाले रोगियों के लिए लाभकारी.
• लोगों, खाद्य पदार्थों और दूसरी दवाइयों में लोहे (आयरन) की मात्रा का पता लगाने में उपयोगी.
• आयरन की कमी से होने वाली एनीनिया नियंत्रण कार्यक्रम की निगरानी के लिए बड़ी सफलता.
• उपलब्ध अन्य व्यावसायिक किट के मुकाबले सटीक, किफायती औऱ सुविधाजनक.
• बार– बार ब्लड ट्रांस्फ्यूजन की आवश्यकता वाले रोगियों के लिए लाभकारी.
सूखे खून के धब्बे
(ड्रायड ब्लड स्पॉट– डीबीएस)
संग्रह किट
• खून के नमूनों के संग्रह और परिवहन के लिहाज से अनुकूल विधि.
• सूदूर प्रदेशों में रहने वाली आबादी में विटामिन –ए की कमी का पता लगाने में मददगार.
• बच्चों की असुविधा को कम कर देता है.
• अंधेपन की रोकथाम और कई अन्य स्थितियों के लिए सिद्ध पद्धति.
• खून के नमूनों के संग्रह और परिवहन के लिहाज से अनुकूल विधि.
• सूदूर प्रदेशों में रहने वाली आबादी में विटामिन –ए की कमी का पता लगाने में मददगार.
• बच्चों की असुविधा को कम कर देता है.
• अंधेपन की रोकथाम और कई अन्य स्थितियों के लिए सिद्ध पद्धति.
ये तीनों ही किट सटीक, किफायती
और उपयोगकर्ताओं के अनुकूल है. ये किट कुपोषण का समय रहते पता लगाने में सक्षम
बनाएंगे.
आईसीएमआर के बारे में
आसीएमआर स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर) का आधार है.
डीएचआर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन आने वाला नया विभाग
है. यह नवाचारों को प्रोत्साहित करता है और इसे लोगों तक पहुंचाने का काम करता है.
आईसीएमआर ने बीते 6 माह में 4 तकनीकों की शुरुआत की है –
• जापानी इन्सेफेलाइटिस
के लिए स्वदेशी टीका.
• थैलेसीमिया की आण्विक निदान के लिए स्वदेशी परीक्षण किट.
• ग्रीवा के कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए मैग्नीविजुअलाइजर उपकरण का निर्माण.
• मधुमेह का पता लगाने के लिए ग्लूकोज की निगरानी उपकरण और स्ट्रिप्स.
• थैलेसीमिया की आण्विक निदान के लिए स्वदेशी परीक्षण किट.
• ग्रीवा के कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए मैग्नीविजुअलाइजर उपकरण का निर्माण.
• मधुमेह का पता लगाने के लिए ग्लूकोज की निगरानी उपकरण और स्ट्रिप्स.
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