केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दया याचिकाओं के लिए दिशा निर्देश
11 फ़रवरी 2014 को जारी
किए. मंत्रालय ने संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत दया
याचिकाओं पर विचार के लिए मापदंडों में व्यापक बदलाव किया. दिशा निर्देशों में
जांच / परीक्षण में लंबी देरी के साथ ही साथ उम्र और आवेदक की मानसिक स्थिति और
क्षमादान वाले आवेदक इनके योग्य हैं.
जारी किये गये दिशा निर्देश
• अभियुक्त का व्यक्तित्व (उम्र, लिंग या मानसिक कमी) या मामले की परिस्थितियां (जैसे उत्तेजना के रूप में)
• ऐसे मामले में जहां अपीलीय अदालत ने सबूत की विश्वसनीयता के रूप में इस पर संदेह व्यक्त किया है, लेकिन फिर भी सजा पर फैसला किया है.
• उच्च न्यायालय में एक सत्र न्यायाधीश द्वारा दी बरी करने की सजा को कब सजा उलट दिया गया या अपील की सजा में इजाफा किया गया है.
• दो न्यायाधीशों की एक खंडपीठ में मतभेद होने की स्थिति में उच्च न्यायालय के तीसरे न्यायाधीश के संदर्भ की जरूरत.
• गिरोह हत्या के मामलों में जिम्मेदारी निर्धारण में सबूत के विचार.
• परीक्षण और जांच आदि में लंबी देरी.
उपरोक्त निर्देश विशिष्ट नहीं हैं लेकिन व्यापक दिशा निर्देशों के रूप में हैं. विशेष दिशा निर्देश के कारण विभिन्न प्रकार के मामलों और परिस्थितियों में बहुमत के आधार पर दया याचिकाओं की जांच नहीं की जा सकती है. सर्वोच्च न्यायालय ने दया दलीलों से निपटने के लिए दिशा निर्देश निर्धारित किये हैं.
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