सेबी ने नए सामूहिक कॉर्पोरेट प्रशासनिक नियमों को मंजूरी दी-(16-FEB-2014) C.A

| Sunday, February 16, 2014
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 13 फ़रवरी 2014 को नई दिल्ली में आयोजित एक बैठक में नए कॉर्पोरेट प्रशासनिक नियमों को मंजूरी दी. नई कंपनी प्रशासन मानदंड 1 अक्टूबर 2014 से सभी सूचीबद्ध कंपनियों के लिए लागू हो जायगें.
नए कॉरपोरेट प्रशासनिक नियम वैश्विक प्रथाओं के साथ क्रमश: कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार लागू कर जारी किए गए हैं. बोर्ड ने 2 लाख रुपये तक के निवेश पर कर छूट के लिए म्यूचुअल फंडों के लिए एक दीर्घकालिक नीति को भी मंजूरी दे दी.
सेबी बोर्ड ने नए नो योर क्लाइंट पंजीकरण एजेंसी (KRA) को भी मंजूरी दे दी जिससे निवेशकों के लिए पूंजी बाजार के साथ विभिन्न क्षेत्रों में नो योर क्लाइंट (केवाईसी) की आवश्यकताओं का पालन करना आसान हो जाएगा.
नए सामूहिक कॉर्पोरेट प्रशासनिक नियम-
•    स्वतंत्र निदेशक की परिभाषा से मनोनीत निदेशक का प्रतिरोध
•    स्वतंत्र निदेशकों और निदेशक मंडल के प्रदर्शन का मूल्यांकन
•    स्वतंत्र निदेशकों के लिए स्टॉक विकल्प निषेध
•    स्वतंत्र निदेशकों की अलग से बैठक
•    यह भी निर्णय लिया गया है कि बोर्ड की अधिकतम संख्या में स्वतंत्र निदेशक, सूचीबद्ध कंपनी में एक पूर्णकालिक निदेशक के रूप में सेवा कर सकते हैं.
•    एक स्वतंत्र निदेशक के कुल कार्यकाल को 5 साल के 2 पदों तक सीमित किया गया है.  हांलाकि, यदि एक व्यक्ति जिसने पहले से ही 5 साल के लिए एक स्वतंत्र निदेशक के रूप में सेवा की है या आज की तारीख में जिस पर सूचीबद्ध समझौतों में संशोधन प्रभावी हो जाता है तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति 5 साल के एक और कार्यकाल की नियुक्ति के लिए पात्र हो जायेगा.
•     अनिवार्य व्हिसल ब्लोअर तंत्र.
•    कंपनी के बोर्ड में कम से कम एक महिला निदेशक.
•    हितधारकों की संबंध समिति का गठन.
•    पारिश्रमिक नीतियों के प्रकटीकरण को बढाना.
•    नामांकन और पारिश्रमिक समिति के अनिवार्य संविधान. अध्यक्ष ने कहा है कि समितियां स्वतंत्र होगी .
•    लेखा परीक्षा समिति की विस्तृत भूमिका.
•    सभी सामग्री संबंधित पक्ष के लेनदेन (RPTs) के लिए लेखा परीक्षा समिति के पूर्व अनुमोदन.
•    संबंधित पार्टियों के मतदान से परहेज़ के साथ विशेष संकल्प के माध्यम से शेयरधारकों की सभी सामग्री RPTs की स्वीकृति.
•    RPT की परिभाषा के दायरे से कंपनी अधिनियम और लेखा मानक के तत्वों को शामिल करना।

भारत में म्युचुअल फंड
•    सेबी बोर्ड ने भारत में म्युचुअल फंड के लिए एक दीर्घकालिक नीति को मंजूरी दी है. दीर्घकालिक नीति में सभी पहलुओं सहित पहुंच बढ़ाने और वित्तीय समावेशन, कर उपचार, विभिन्न हितधारकों के दायित्व, को बढ़ावा देना आदि शामिल है
•    म्युचुअल फंड के लिए दीर्घकालिक नीति का उद्देश्य म्युचुअल फंड उद्योग के सतत विकास को प्राप्त करने के सार्वजनिक नीति के लक्ष्यों का सौदा और अर्थव्यवस्था के विकास के लिए घरेलू बचत जुटाना है।
•    गैर गंभीर ग्राहकों को दूर करने के लिए सेबी म्युचुअल फंड के लिए न्यूनतम निवल मूल्य आवश्यकता में 10 करोड़ रुपए से 50 करोड़ रुपए तक की वृद्धि की है.
•    इसके अलावा अपनी योजनाओं के लिए निवेशकों से उठायी गयी राशि की 1 प्रतिशत राशि, बीज पूंजी के रूप में अपने स्वयं के कोष में योगदान करने को कहा है.
•    सरकार को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) को इक्विटी और म्युचुअल फंड में अपने कोष के 15 फीसदी तक निवेश करने की अनुमति देनी चाहिए .
•    सभी केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (सीपीएसई) को म्यूचुअल फंड योजनाओं में उनके अधिशेष धन निवेश करने की अनुमति दी जाए .
•    सरकारी पेंशन, बीमा या लंबे समय तक म्युचुअल फंड योजनाओं सहित सभी लंबी अवधि के निवेश साधनों के लिए एक समान कर उपचार प्रदान किये जाय.
•    मौजूदा आयकर कानून के तहत 50000 रूपए के कर प्रोत्साहन के साथ, प्रस्तावित कर लाभ में एक लंबी अवधि के निवेश उत्पाद के निर्माण, म्युचुअल फंड सेवानिवृत्ति योजना शामिल होनी चाहिए.
•    सरकार को इस तरह के कर लाभ के लिए पात्र विभिन्न म्युचुअल फंड योजनाओं को बनाने में मदद करने के लिए आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत 1 लाख रुपए से 2 लाख रुपये तक सीमा बढ़ानी चाहिए.
केवाईसी अनुपालन
सेबी ने बिचौलियों को विभिन्न प्रकार की अनुमति देकर निवेशकों के लिए केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) अनुपालन को भी आसान कर दिया है. इस तरह के दलाल और म्युचुअल फंड नये केवाईसी प्रक्रिया के बगैर ही केंद्रीकृत केवाईसी रजिस्ट्री एजेंसी (KRA) के साथ निवेशक की जानकारी का उपयोग कर सकते हें.


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