भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने मौलाना हसरत मोहानी के सम्मान
में एक स्मारक डाक टिकट नई दिल्ली में 25 फरवरी 2014
को जारी किया. मोहानी एक स्वतंत्रता-सेनानी और उत्कृष्ट कवि थे.
अली बंधुओं (मुहम्मद अली और शौकत अली), मौलाना आजाद और हाकिम अजमल खान के साथ हसरत मोहानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा 1919 में गठित खिलाफत समिति के अंग थे.
मौलाना हसरत मोहानी से सम्बंधित मुख्य तथ्य
• मौलाना हसरत मोहानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की 1921 में अहमदाबाद में आयोजित बैठक में पूर्ण स्वराज्य का मुद्दा उठाने वाले पहले व्यक्ति थे.
• वह ब्रिटिश शासकों से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए गुरिल्ला युद्ध का प्रस्ताव करने वाले पहले भारतीय भी थे.
• उन्हें मोहानी इसलिए कहा जाता है, क्योंकि उनका जन्म 1878 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के गाँव मोहान में हुआ था.
• उन्होंने उर्दू-ए-मोअल्ला नामक एक साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किया था.
• उन्हें ब्रिटिश सरकार ने 1908 में ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ मिस्र में एक लेख लिखने के कारण दो वर्ष के कठोर कारावास की सजा दी थी.
• रेशमी रूमाल तहरीक (देवबंदी नेताओं द्वारा 1913 से 1920 के बीच आयोजित रेशमी चिट्ठी आंदोलन) में भाग लेने के कारण उन्हें 1916 में पुन: गिरफ्तार किया गया.
• 13 मई 1951 को लखनऊ में उनका निधन हुआ.
भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान में भी मौलाना हसरत मोहानी के नाम पर एक डाक टिकट मौजूद है. पाकिस्तान ने उनके नाम पर 23 जनवरी 1989 को 3 रुपये की एक डाक टिकट जारी की थी.
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