श्रीलंका सरकार ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त नवी पिल्लै
की प्रारूप रिपोर्ट 24 फरवरी 2014 को
नामंजूर कर दी. प्रारूप रिपोर्ट में श्रीलंका सरकार द्वारा कथित रूप से किए गए
मानवाधिकार-उल्लंघनों की अंतरराष्ट्रीय जाँच करवाए जाने की माँग की गई थी. यह
उच्चायुक्त की सिफारिशों और निष्कर्षों की स्पष्ट अस्वीकृति है.
श्रीलंका सरकार की विज्ञप्ति उच्चायुक्त द्वारा प्रस्तुत और 26 मार्च 2014 को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 25वें सत्र में पेश की जाने वाली प्रारूप रिपोर्ट के जवाब में आई.
श्रीलंका सरकार के वक्तव्य में कहा गया है कि रिपोर्ट पक्षपातपूर्ण है और संप्रभु देश के आंतरिक मामलों में अवांछित हस्तक्षेप है. उसमें यह भी कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय जाँच-तंत्र की सिफारिश पूर्वकल्पित, प्रतिकूल एजेंडा प्रतीत होती है और राजनीति से प्रेरित है.
इससे पूर्व, श्रीलंका ने दावा किया था कि देश ने अपनी स्वयं की समाधान-प्रक्रिया में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिसके बारे में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) को समय-समय पर बताया जाता रहा है. साथ ही, अमेरिका ने घोषणा की थी कि वह इस मामले में श्रीलंका के विरुद्ध एक संकल्प प्रवर्तित करेगा और उच्चायुक्त की रिपोर्ट उस संकल्प का आधार बनेगी.
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