साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार अमरकांत का निधन-(19-FEB-2014) C.A

| Wednesday, February 19, 2014
साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार अमरकांत का इलाहाबाद में 17 फरवरी 2014 को निधन हो गया. वह 80 वर्ष के थे. अमरकांत हिंदी कथा साहित्य में प्रेमचंद के बाद यथार्थवादी धारा के प्रमुख कहानीकार थे. हिंदी साहित्य जगत में अमरकांत को भारत के मैक्सिम गोर्गी के नाम से भी जाना जाता था. उन्हें यह नाम यशपाल ने दिया. अमरकांत प्रेमचंद की परंपरा के कहानीकार थे.

अमरकांत से सम्बंधित मुख्य तथ्य

जीवन परिचय 
अमरकान्त का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगारा गांव में 1 जुलाई 1925 को हुआ था. उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए किया. इसके बाद उन्होंने साहित्यिक सृजन को चुना. बलिया में पढ़ते समय उनका सम्पर्क स्वतन्त्रता आंदोलन के सेनानियों से हुआ. इसके बाद वे स्वतन्त्रता-आंदोलन से जुड गए. उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ एक पत्रकार के रूप में हुआ.

पुरस्कार  
अमरकांत को वर्ष 2007 में उनके उपन्यास 'इन्हीं हथियारों से' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. यह उपन्यास भारत छोड़ो आंदोलन की पृष्ठभूमि पर लिखा गया है. 
वर्ष 2009 में उन्हें देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. 
वर्ष 2009 में उन्हें 'व्यास सम्मान' से सम्मानित किया गया था.
अमरकांत को सोवियतलैंड नेहरू पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार, यशपाल पुरस्कार, जन-संस्कृति सम्मान, मध्य प्रदेश का 'अमरकांत कीर्ति` सम्मान, से भी सम्मानित किया गया.  
वर्ष 1948 में आगरा के दैनिक पत्र सैनिकके संपादकीय विभाग में नौकरी के साथ उन्होंने पत्रकारिता के सफर की शुरुआत की थी. 
कई पत्र पत्रिकाओं में काम करने के बाद मनोरमाके संपादकीय विभाग से अवकाश प्राप्त किया था.

साहित्यिक परिचय
 
कहानी संग्रह
अमरकांत की प्रमुख कहानियां निम्नलिखित हैं. कहानीकार के रूप में उनकी ख्याति सन् 1955 में कहानी डिप्टी कलेक्टरी से हुई.  
जिंदगी और जोंक’ 2. ‘देश के लोग’ 3. ‘मौत का नगर’ 4. ‘मित्र मिलन तथा अन्य कहानियाँ’ 5. ‘कुहासा’ 6. ‘तूफान’ 7. ‘कला प्रेमी’ 8. ‘प्रतिनिधि कहानियाँ’ 9. ‘दस प्रतिनिधि कहानियाँ’ 10. ‘एक धनी व्यक्ति का बयान’ 11. ‘सुख और दुःख के साथ’ 12. ‘जांच और बच्चे’ 13. ‘अमरकांत की सम्पूर्ण कहानियाँ’ (दो खंडों में) 14. ‘औरत का क्रोध’.
 
उपन्यास
 ‘सूखा पत्ता’ 2. ‘काले-उजले दिन’ 3. ‘कंटीली रह के फूल’ 4. ‘ग्राम सेविका’ 5. ‘पराई डाल का पंछीबाद में सुखजीवीनाम से प्रकाशित 6. ‘बीच की दीवार’ 7. ‘सुन्नर पांडे की पतोह’ 8. ‘आकाश पक्षी’ 9. ‘इन्हीं हथियारों से’ 10. ‘विदा की रात’ 11. लहरें, 12.खुदीराम इत्यादि उनके प्रमुख उपन्यास थे.

संस्मरण
 1.‘कुछ यादें’, 2. ‘कुछ बातें’ 3.‘दोस्ती 

बाल साहित्य
1. ‘नेऊर भाई’ 2. ‘वानर सेना’ 3. ‘खूँटा में दाल है’ 4. ‘सुग्गी चाची का गाँव’ 5. ‘झगरू लाल का फैसला’ 6. ‘एक स्त्री का सफर’ 7. ‘मँगरी’ 8. ‘बाबू का फैसला’ 9. दो हिम्मती बच्चे.

अमरकांत को वर्ष 2009 का ज्ञानपीठ पुरस्कार


0 comments:

Post a Comment