भारत-(26-FEB-2014) G.K

| Wednesday, February 26, 2014
भारत [सम्पूर्ण प्रभुतासंपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य भारत। (अंग्रेज़ीIndia)] दुनिया की सबसे पुरानी सभ्‍यताओं में से एक हैजो 4,000 से अधिक वर्षों से चली आ रही है और जिसने अनेक रीति-रिवाज़ों और परम्‍पराओं का संगम देखा है। यह देश की समृद्ध संस्‍कृति और विरासत का परिचायक है। आज़ादी के बाद 66 वर्षों में भारत ने सामाजिक और आर्थिक प्रगति की है। भारत कृषि में आत्‍मनिर्भर देश है और औद्योगीकरण में भी विश्व के चुने हुए देशों में भी इसकी गिनती की जाती है। यह उन देशों में से एक हैजो चाँद पर पहुँच चुके हैं और परमाणु शक्ति संपन्न हैं।
विस्तार में पढ़ने के लिए देखें:भारत आलेख
इतिहास
भारत में मानवीय कार्यकलाप के जो प्राचीनतम चिह्न अब तक मिले हैंवे 4,00,000 ई. पू. और 2,00,000 ई. पू. के बीच दूसरे और तीसरे हिम-युगों के संधिकाल के हैं और वे इस बात के साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं कि उस समय पत्थर के उपकरण काम में लाए जाते थे। इसके पश्चात् एक लम्बे अरसे तक विकास मन्द गति से होता रहाजिसमें अन्तिम समय में जाकर तीव्रता आई और उसकी परिणति 2300 ई. पू. के लगभग सिन्धु घाटी की आलीशान सभ्यता (अथवा नवीनतम नामकरण के अनुसार हड़प्पा संस्कृति) के रूप में हुई। हड़प्पा की पूर्ववर्ती संस्कृतियाँ हैं: बलूचिस्तानी पहाड़ियों के गाँवों की कुल्ली संस्कृति औरराजस्थान तथा पंजाब की नदियों के किनारे बसे कुछ ग्राम-समुदायों की संस्कृति।[5]
भौतिक विशेषताएँ
मुख्‍य भूभाग में चार क्षेत्र हैंनामत: महापर्वत क्षेत्रगंगा और सिंधु नदी के मैदानी क्षेत्र और मरूस्‍थली क्षेत्र और दक्षिणी प्रायद्वीप।
हिमालय की तीन शृंखलाएँ हैंजो लगभग समानांतर फैली हुई हैं। इसके बीच बड़े - बड़े पठार और घाटियाँ हैंइनमें कश्मीर और कुल्‍लू जैसी कुछ घाटियाँ उपजाऊविस्‍तृत और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर हैं। संसार की सबसे ऊंची चोटियों में से कुछ इन्‍हीं पर्वत शृंखलाओं में हैं। अधिक ऊंचाई के कारण आना -जाना केवल कुछ ही दर्रों से हो पाता हैजिनमें मुख्‍य हैं -
§  चुंबी घाटी से होते हुए मुख्‍य भारत-तिब्‍बत व्‍यापार मार्ग पर जेलप ला और नाथू-ला दर्रे
§  उत्तर-पूर्व दार्जिलिंग
§  कल्‍पना (किन्‍नौर) के उत्तर - पूर्व में सतलुज घाटी में शिपकी ला दर्रा
भूगर्भीय संरचना
भारत के भू‍वैज्ञानिक क्षेत्र व्‍यापक रुप से भौतिक विशेषताओं का पालन करते हैं और इन्‍हें मुख्यत: तीन क्षेत्रों के समूह में रखा जा सकता है:
1.  हिमालय पर्वत शृंखला और उनके संबद्ध पर्वत समूह।
2.  भारत-गंगा मैदान क्षेत्र।
3.  प्रायद्वीपीय क्षेत्र
भारत का संविधान
भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ। इसका निर्माण संविधान सभा ने किया थाजिसकी पहली बैठक दिसम्बर, 1946 को हुई थी। संविधान सभा ने 26 नवम्बर, 1949 को संविधान को अंगीकार कर लिया था। संविधान सभा की पहली बैठक अविभाजित भारत के लिए बुलाई गई थी। अगस्त, 1947 को संविधान सभा की बैठक पुनः हुई और उसके अध्यक्ष सच्चिदानन्द सिन्हा थे। सिन्हा के निधन के बाद डॉ. राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष बने। फ़रवरी 1948 में संविधान का मसौदा प्रकाशित हुआ। 26 नवम्बर, 1949 को संविधान अन्तिम रूप में स्वीकृत हुआ और 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
धर्म
भारतीय संस्कृति में विभिन्नता उसका भूषण है। यहाँ हिन्दू धर्म के अगणित रूपों और संप्रदायों के अतिरिक्तबौद्धजैनसिक्खइस्लामईसाईयहूदी आदि धर्मों की विविधता का भी एक सांस्कृतिक समायोजन देखने को मिलता है। हिन्दू धर्म के विविध सम्प्रदाय एवं मत सारे देश में फैले हुए हैंजैसे वैदिक धर्मशैव,वैष्णवशाक्त आदि पौराणिक धर्मराधा-बल्लभ संप्रदायश्री संप्रदायआर्य समाजसमाज आदि। परन्तु इन सभी मतवादों में सनातन धर्म की एकरसता खण्डित न होकर विविध रूपों में गठित होती है। यहाँ के निवासियों में भाषा की विविधता भी इस देश की मूलभूत सांस्कृतिक एकता के लिए बाधक न होकर साधक प्रतीत होती है।
अर्थव्यवस्था
भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था क्रय शक्ति समानता के आधार पर दुनिया में चौथी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है। यह विशाल जनशक्ति आधारविविध प्राकृतिक संसाधनों और सशक्‍त वृहत अर्थव्‍यवस्‍था के मूलभूत तत्‍वों के कारण व्‍यवसाय और निवेश के अवसरों के सबसे अधिक आकर्षक गंतव्‍यों में से एक है। वर्ष 1991 में आरंभ की गई आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया से सम्‍पूर्ण अर्थव्‍यवस्‍था में फैले नीतिगत ढाँचे के उदारीकरण के माध्‍यम से एक निवेशक अनुकूल परिवेश मिलता रहा है। भारत को आज़ाद हुए 66 साल हो चुके हैं और इस दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की दशा में ज़बरदस्त बदलाव आया है। औद्योगिक विकास ने अर्थव्यवस्था का रूप बदल दिया है। आज भारत की गिनती दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में होती है। विश्व की अर्थव्यवस्था को चलाने में भारत की भूमिका बढ़ती जा रही है। आईटी सॅक्टर में पूरी दुनिया भारत का लोहा मानती है।
कृषि
कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है। विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों एवं प्रयासों से कृषि को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में गरिमापूर्ण दर्जा मिला है। कृषि क्षेत्रों में लगभग 64% श्रमिकों को रोज़गार मिला हुआ है। 1950-51 में कुल घरेलू उत्पाद में कृषि का हिस्सा 59.2% था जो घटकर 1982-83 में 36.4% और 1990-91 में 34.9% तथा 2001-2002 में 25% रह गया। यह 2006-07 की अवधि के दौरान औसत आधार पर घटकर 18.5% रह गया। दसवीं योजना (2002-2007) के दौरान समग्र सकल घरेलू उत्पाद की औसत वार्षिक वृद्धि पद 7.6% थी जबकि इस दौरान कृषि तथा सम्बद्ध क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि दर 2.3% रही। 2001-02 से प्रारंभ हुई नव सहस्त्राब्दी के प्रथम वर्षों में 3.0% की वार्षिक सामान्य औसत वृद्धि दर 2003-04 में 10% और 2005-06 में 6% की रही।
खनिज संपदा
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत में खनिजों के उत्पादन में निरन्तर वृद्धि हुई है। कोयलालौह अयस्कबॉक्साइट आदि का उत्पादन निरंतर बढ़ा है। 1951 में सिर्फ़ 83 करोड़ रुपये के खनिजों का खनन हुआ थापरन्तु1970-71 में इनकी मात्रा बढ़कर 490 करोड़ रुपये हो गई। अगले 20 वर्षों में खनिजों के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। 2001-02 में निकाले गये खनिजों का कुल मूल्य 58,516.36 करोड़ रुपये तक पहुँच गया जबकि 2005-06 के दौरान कुल 75,121.61 करोड़ रुपये मूल्य के खनिजों का उत्पादन किया गया। यदि मात्रा की दृष्टि से देखा जायेतो भारत में खनिजों की मात्रा में लगभग तिगुनी वृद्धि हुई हैउसका 50% भाग सिर्फ़पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के कारण तथा 40% कोयला के कारण हुआ है।
रक्षा
भारत की रक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य यह है कि भारतीय उपमहाद्वीप में उसे बढ़ावा दिया जाए एवं स्थायित्व प्रदान किया जाए तथा देश की रक्षा सेनाओं को पर्याप्त रूप से सुसज्जित किया जाएताकि वे किसी भी आक्रमण से देश की रक्षा कर सकें। वर्ष 1946 के पूर्व भारतीय रक्षा का पूरा नियंत्रण अंग्रेज़ों के हाथों में था। उसी वर्ष केंद्र में अंतरिम सरकार में पहली बार एक भारतीय देश के रक्षा मंत्री बलदेव सिंह बने। हालांकि कमांडर-इन-चीफ एक अंग्रेज़ ही रहा । 1947 में देश का विभाजन होने पर भारत को 45 रेजीमेंटें मिलींजिनमें 2.5 लाख सैनिक थे। शेष रेजीमेंट पाकिस्तान चली गयीं। गोरखा फ़ौज की रेजीमेंटं (लगभग 25,000 सैनिक) भी भारत को मिलीं। शेष गोरखा सैनिक ब्रिटिश सेना में सम्मिलित हो गये। ब्रिटिश सेना की अंतिम टुकड़ी सामरसैट लाइट इन्फैंट्री की पहली बटालियन हो गयी। ब्रिटिश सेना की अंतिम टुकड़ी सामरसैट लाइट इन्फैंट्री की पहली बटालियन भारतीय भूमि से 28 फ़रवरी, 1948 को स्वदेश रवाना हुई।
पशु पक्षी जगत
आँकड़े एक झलक
क्षेत्रफल
32,87,263 वर्ग किमी.[6]
-भूमध्य रेखा से दूरी [7]
876 किमी
-पूर्व से पश्चिम लंबाई
2,933 किमी
-उत्तर से दक्षिण लंबाई
3,214 किमी
-प्रादेशिक जलसीमा की चौड़ाई
समुद्र तट से 12 समुद्री मील तक।
-एकान्तिक आर्थिक क्षेत्र
संलग्न क्षेत्र से आगे 200 समुद्री मील तक।


सीमा
देश और महासागर[8]
-समुद्री सीमा[9]
7516.5 किमी
-प्राकृतिक भाग
(1) उत्तर का पर्वतीय प्रदेश (2) उत्तर का विशाल मैदान (3) दक्षिण का प्रायद्वीपीय पठार (4) समुद्र तटीय मैदान तथा (5) थार मरुस्थल
-स्थलीय सीमा[10]
15,200 किमी


राज्य
28
-संघशासित क्षेत्र[11]
7
-ज़िलों की संख्या
593
-उपज़िलों की संख्या
5,470
-सबसे बड़ा ज़िला
लद्दाख (जम्मू-कश्मीरक्षेत्रफल 82,665 वर्ग किमी.)।
-सबसे छोटा ज़िला
थौबॅल (मणिपुरक्षेत्रफल- 507 वर्ग किमी.)।
-द्वीपों की कुल संख्या
247 [12]
-तटरेखा से लगे राज्य
गुजरातमहाराष्ट्रगोवाकर्नाटककेरल,तमिलनाडुआंध्र प्रदेशउड़ीसा और पश्चिम बंगाल
-केन्द्रशासित प्रदेश (तटरेखा)
दमन व दीवदादरा एवं नगर हवेली,लक्षद्वीपपांडिचेरी तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह
-कर्क रेखा [13]
गुजरातराजस्थानमध्यप्रदेशछत्तीसगढ़,झारखंडपश्चिम बंगालत्रिपुरा तथामिज़ोरम
-प्रमुख नगर
मुम्बईनई दिल्लीकोलकाताचेन्नई,बेंगलोरहैदराबादतिरुअनन्तपुरम,सिकन्दराबादकानपुरअहमदाबाद,जयपुरजोधपुरअमृतसरचण्‍डीगढ़,श्रीनगरजम्मूशिमलादिसपुरइटानगर,कोचीनआगरा आदि।
-राजधानी
नई दिल्ली
-पर्वतीय पर्यटन
अल्मोड़ानैनीताललैन्सडाउनगढ़मुक्तेश्वर,मसूरीकसौलीशिमलाकुल्लू घाटी,डलहौज़ीश्रीनगरगुलबर्गसोनमर्ग,अमरनाथपहलगामदार्जिलिंगकालिंपोंग,राँचीशिलांगकुंजुरऊटकमंड (ऊटी),महाबलेश्वरपंचमढ़ीमाउण्ट आबू
-प्रथम श्रेणी के नगरों की संख्या
300
-द्वितीय श्रेणी के नगरों की संख्या
345
-तृतीय श्रेणी के नगरों की संख्या
947
-चतुर्थ श्रेणी के नगरों की संख्या
1,167
-पंचम श्रेणी के नगरों की संख्या
740
-षष्ठम श्रेणी के नगरों की संख्या
197
-कुल नगरों की संख्या
5,161
-सर्वाधिक नगरों वाला राज्य
उत्तर प्रदेश (704 नगर)
-सबसे कम नगर वाला राज्य
मेघालय (7 नगर)
-सर्वाधिक नगरीय जनसंख्या वाला राज्य
उत्तर प्रदेश (3,45,39,582), मिज़ोरम(45.10%)
-सबसे कम नगरीय जनसंख्या वाला राज्य
सिक्किम (59,870), हिमाचल प्रदेश(8.69%)
-संघशासित क्षेत्र सर्वाधिक जनसंख्या[14]
दिल्ली 89.93%
-संघ शासित क्षेत्र कम जनसंख्या[15]
दादरा तथा नगर हवेली (8.47%)
-संघशासित क्षेत्र (सबसे बड़ा)[16]
अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह (8,293 वर्ग किमी.)
-सबसे छोटा संघ शासित क्षेत्र
लक्षद्वीप (32 वर्ग किमी.)
-शहरों की संख्या
5,161
-गांवों की संख्या
6,38,588
-आबाद गांवों की संख्या
5,93,732
-ग़ैर-आबाद गांवों की संख्या
44,856
-सामुद्रिक मत्स्ययन का प्रमुख क्षेत्र
पश्चिमी तट (75% तथा पूर्वी तट (25%)[17]
-सबसे बड़ा राज्य (क्षेत्रफल)
राजस्थान (3,42,239 वर्ग किमी.)
-सबसे छोटा राज्य
गोवा (3,702 वर्ग किमी.)


भूगोल
-प्रमुख पर्वत
हिमालयकराकोरमशिवालिकअरावलीपश्चिमी घाटपूर्वी घाटविन्ध्याचल,सतपुड़ाअन्नामलाईनीलगिरिपालनी,नल्लामालामैकलइलायची
-प्रमुख नदियाँ
सिन्धुसतलजब्रह्मपुत्रगंगायमुना,गोदावरीदामोदरनर्मदाताप्तीकृष्णा,कावेरीमहानदीघाघरागोमतीरामगंगा,चम्बल आदि।
-पर्वत शिखर
गाडविन आस्टिन या माउण्ट के 2 (8,611 मी.)कंचनजंघा (8,598 मी.)नंगा पर्वत(8,126 मी.)नंदादेवी (7,717 मी.)कामेत (7,756 मी.)मकालू (8,078 मी.),अन्नपूर्णा (8,078 मी.)मनसालू (8,156 मी.)बद्रीनाथकेदारनाथत्रिशूलमाना,गंगोत्रीगुरुशिखरमहेन्द्रगिरिअनाईमुडी आदि।
-झील
डलवुलरनैनीसाततालनागिनसांभरडीडवानाचिल्काहुसैन सागरवेम्बानदआदि।
-जलवायु
मानसूनी
-वनक्षेत्र
750 लाख हेक्टेयर [18]
-प्रमुख मिट्टियाँ
जलोढ़कालीलालपीलीलैटेराइट,मरुस्थलीयपर्वतीयनमकीन एवं पीट तथा दलदली।
-सिंचाई [19]
नहरें (40.0%) कुएँ (37.8%), तालाब (14.5%) तथा अन्य (7.7%)
-कृषि के प्रकार
तर खेती [20]आर्द्र खेती [21]झूम कृषि[22] तथा पर्वतीय कृषि [23]
-खाद्यान्न फ़सलें
चावलगेहूँज्वारबाजरारागीजौ आदि।
-नक़दी फ़सलें
गन्नाचायकाफ़ीरबड़नारियलफल एवं सब्जियाँदालेंतम्बाकूकपास तथा तिलहनी फ़सलें।
-खनिज संसाधन
लौह अयस्ककोयलामैंगनीजअभ्रक,बॉक्साइटचूनापत्थरयूरेनियमसोना,चाँदीहीराखनिज तेल आदि।


जनसंख्या
1,028,610,328 (2001) [24]
-पुरुष जनसंख्या
53,21,56,772
-महिला जनसंख्या
49,64,53,556
-अनुसूचित जाति [25]
16,66,35,700 (कुल जनसंख्या का 16.2%)
-अनुसूचित जनजाति [26]
8,43,26,240 (कुल जनसंख्या का 8.2%)
-प्रमुख जनजातियाँ
गद्दीगुज्जरथारूभोटियामिपुरीरियानालेप्चामीणाभीलगरासियाकोलीमहादेवीकोंकनासंथालमुंडाउराँवबैगाकोयागोंड आदि।
-विश्व में स्थान (जनसंख्या)
दूसरा
-विश्व जनसंख्या का प्रतिशत
16.87%
-जनसंख्या घनत्व
324 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी
-जनसंख्या वृद्धि दर (दशक)
21.54% (1991-2001)
-औसत वृद्धि दर [27]
1.95%
-लिंगानुपात /
933 : 1000
-राज भाषा
हिन्दी [28]
-प्रति व्यक्ति आय
27,786 रु0 (2007-08)


अर्थव्यवस्था
-निर्यात की वस्तुएँ
इंजीनियरी उपकरणमसालेतम्बाकूचमड़े का सामानचायलौह अयस्क आदि।
-आयात की वस्तुएँ
रसायनमशीनरीउपकरणउर्वरकखनिज तेल आदि।
-व्यापार सहयोगी
संयुक्त राज्य अमेरिकाब्रिटेननये राष्ट्रों के राष्ट्रकुल (सी.आई.एस.) के देशजापान,इटलीजर्मनीपूर्वी यूरोपीय देश।
-राष्ट्रीयकृत बैंकों की संख्या
20
-तेलशोधनशालाओं की संख्या
13
-कुल उद्यमों की संख्या
4,212 करोड़ (कृषि में संलग्न उद्यमों के अतिरिक्त)
-उद्यम (ग्रामीण क्षेत्र)
2,581 करोड़ (कृषि में संलग्न उद्यमों के अतिरिक्त)
-उद्यम (शहरी क्षेत्र)
1,631 करोड़ (38.7%)
-कृषि कार्य का प्रतिशत [29]
15%
-गैर-कृषि कार्य का प्रतिशत [30]
85%
-उद्यम (10 या अधिक कामगार)
5.83 लाख [31]
-सर्वाधिक उद्यम (पांच राज्य)
तमिलनाडु-4446999 (10.56%), महाराष्ट्र- 4374764 (10.39%), पश्चिम बंगाल- 4285688 (10.17%), आंध्र प्रदेश- 4023411 (9.55%), उत्तर प्रदेश- 4015926 (9.53%)
-सर्वाधिक उद्यम (केन्द्र शासित)
दिल्ली-753795(1.79%), चंडीगढ़- 65906 (0.16%), पाण्डिचेरी-49915 (0.12%)
-प्रमुख उद्योग
लौह-इस्पातजलयान निर्माणमोटर वाहनसाइकिलसूतीवस्त्रऊनी वस्त्ररेशमी वस्त्रवायुयानउर्वरकदवाएं एवं औषधियांरेलवे इंजनरेल के डिब्बेजूटकाग़ज़चीनीसीमेण्टमत्स्ययनचमड़ा उद्योगशीशाभारी एवं हल्के रासायनिक उद्योग तथा रबड़ उद्योग।
-बड़े बन्दरगाहों की संख्या
12 बड़े एवं 139 छोटे बंदरगाह।
-प्रमुख बन्दरगाह
मुम्बईन्हावा शेवाकलकत्ताहल्दिया,गोवाकोचीनकांडलाचेन्नईन्यू मंगलोरतूतीकोरिनविशाखापटनममझगाँवअलेप्पीभटकलभावनगरकालीकटकाकीनाडाकुडलूरधनुषकोडिपाराद्वीपगोपालपुर।
-पश्चिमी तट प्रमुख बंदरगाह
कांडलामुंबईमार्मुगाओंन्यू मंगलौर,कोचीन और जवाहरलाल नेहरू
-पूर्वी तट के प्रमुख बंदरगाह
तूतीकोरिनचेन्नईविशाखापत्तनमपारादीप और कोलकाताहल्दिया।
-पुराना बंदरगाह (पूर्वी तट)
चेन्नई
-सबसे गहरा बंदरगाह
विशाखापत्तनम
-कार्यशील व्यक्तियों की संख्या
31.5 करोड़मुख्य श्रमिक- 28.5 करोड़सीमान्त श्रमिक- 3,0 करोड़
-ताजे जल की मछलियाँ
सॉ-फिशलाइवफिशफैदरबैंकएंकावीईलबाटारेवातोरचितालाकटलामिंगालमिल्कफिशकार्पपर्लशाट आदि।


परिवहन
-जल परिवहन
कोलकाता (केन्द्रीय अन्तर्देशीय जल परिवहन निगम का मुख्यालय)
-सड़क मार्ग की कुल लम्बाई
33,19,664 किमी.
-राष्ट्रीय राजमार्गों की संख्या
संख्यानुसार 109 जबकि कुल 143 (लगभग 19 निर्माणाधीन)।
-राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लम्बाई
66,590 किमी.
-सबसे लम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग
राजमार्ग संख्या 7 (लंबाई- 2369 किमी वाराणसी से कन्याकुमारी)
-राष्ट्रीय राजमार्ग (स्वर्ण चतुर्भुज)
5,846 किमी (योजना के अंतर्गत शामिल राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लम्बाई)
-राष्ट्रीय राजमार्ग (उत्तर-दक्षिण कॉरिडॉर)
7,300 किमी (योजना अंतर्गत शामिल राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लम्बाई)
-रेलमार्ग
63,465 किमी.
-रेलवे परिमण्डलों की संख्या
16
-सबसे बड़ा रेलवे परिमण्डल
उत्तर रेलवे (11,023 किमी.मुख्यालय- नई दिल्ली)
-रेलवे स्टेशनों की संख्या
लगभग 7,133 (31 मार्च, 2006 तक)
-रेल यात्रियों की संख्या
50,927 लाख प्रतिदिन (2002-03)
-रेल इंजनों की संख्या</ref>
8,025 (मार्च, 2006)
-रेल सवारी डिब्बों की संख्या
42,570 (2001)
-रेल माल डिब्बों की संख्या
2,22,147 (2001)
-यात्री रेलगाड़ियों की संख्या
44,090
-अन्य सवारी रेल गाड़ियाँ
5,990
-अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों की संख्या
पाँच [32]
-मुक्त आकाशीय हवाई अड्डा
गया (बिहार)
-प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे
बंगलौरहैदराबादअहमदाबादगोवाअमृतसरगुवाहाटी एवं कोचीन।


अन्य
-जीव-जन्तु (अनुमानित)
75,000 जिनमें उभयचर- 2,500, सरीसृप- 450, पक्षी- 2,000 तथा स्तनपायी- 850
-राष्ट्रीय उद्यान
70
-वन्य प्राणी विहार
412
-प्राणी उद्यान
35
-राष्ट्रीय प्रतीक
राष्ट्रध्वज- तिरंगा
-राजचिन्ह
सिंहशीर्ष (सारनाथ)
-राष्ट्र गान
जन गण मन [33]
-राष्ट्रीय गीत
वन्दे मातरम् [34]
-राष्ट्रीय पशु
बाघ (पैंथर टाइग्रिस)।
-राष्ट्रीय पक्षी
मयूर (पावो क्रिस्टेशस)।
-स्वतन्त्रता दिवस
15 अगस्त
-गणतन्त्र दिवस
26 जनवरी
 वन्य जीवन
वन्य जीवन प्रकृति की अमूल्य देन है। भविष्य में वन्य प्राणियों की समाप्ति की आशंका के कारण भारत में सर्वप्रथम जुलाई, 1955 को वन्य प्राणी दिवस मनाया गया । यह भी निर्णय लिया गया कि प्रत्येक वर्ष दो अक्तूबर से पूरे सप्ताह तक वन्य प्राणी सप्ताह मनाया जाएगा। वर्ष 1956 से वन्य प्राणी सप्ताह मनाया जा रहा है। भारत के संरक्षण कार्यक्रम की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक मज़बूत संस्थागत ढांचे की रचना की गयी है।
भारतीय भाषा परिवार
भारत की मुख्य विशेषता यह है कि यहाँ विभिन्नता में एकता है। भारत में विभिन्नता का स्वरूप न केवल भौगोलिक हैबल्कि भाषायी तथा सांस्कृतिक भी है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1652 मातृभाषायें प्रचलन में हैंजबकि संविधान द्वारा 22 भाषाओं को राजभाषा की मान्यता प्रदान की गयी है। संविधान के अनुच्छेद 344 के अंतर्गत पहले केवल 15 भाषाओं को राजभाषा की मान्यता दी गयी थीलेकिन 21वें संविधान संशोधन के द्वारा सिन्धी को तथा 71वाँ संविधान संशोधन द्वारानेपालीकोंकणी तथा मणिपुरी को भी राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया। बाद में 92वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 के द्वारा संविधान की आठवीं अनुसूची में चार नई भाषाओं बोडोडोगरीमैथिली तथा संथाली को राजभाषा में शामिल कर लिया गया। इस प्रकार अब संविधान में 22 भाषाओं को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया है।
शिक्षा
1911 में भारतीय जनगणना के समय साक्षरता को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि "एक पत्र पढ़-लिखकर उसका उत्तर दे देने की योग्यता" साक्षरता है। भारत में लम्बे समय से लिखित भाषा का अस्तित्व हैकिन्तु प्रत्यक्ष सूचना के अभाव के कारण इसका संतोषजनक विकास नहीं हुआ। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की लेखन चित्रलिपि तीन हज़ार वर्ष ईसा पूर्व और बाद की है। यद्यपि अभी तक इस लिपि को पढ़ा नहीं जा सका हैतथापि इससे यह स्पष्ट है कि भारतीयों के पास कई शताब्दियों पहले से ही एक लिखित भाषा थी और यहाँ के लोग पढ़ और लिख सकते थे। हड़प्पा और अशोक के काल के बीच में पन्द्रह सौ वर्षों का ऐसा समय रहा हैजिसमें की कोई लिखित प्रमाण नहीं मिलता। लेकिन पाणिनि ने उस समय भारतीयों के द्वारा बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं का उल्लेख किया है।
भारतीय कला
भारतीय कला अपनी प्राचीनता तथा विविधता के लिए विख्यात रही है। आज जिस रूप में 'कलाशब्द अत्यन्त व्यापक और बहुअर्थी हो गया हैप्राचीन काल में उसका एक छोटा हिस्सा भी न था। यदि ऐतिहासिक काल को छोड़ और पीछे प्रागैतिहासिक काल पर दृष्टि डाली जाए तो विभिन्न नदियों की घाटियों में पुरातत्त्वविदों को खुदाई में मिले असंख्य पाषाण उपकरण भारत के आदि मनुष्यों की कलात्मक प्रवृत्तियों के साक्षात प्रमाण हैं। पत्थर के टुकड़े को विभिन्न तकनीकों से विभिन्न प्रयोजनों के अनुरूप स्वरूप प्रदान किया जाता था।
भारतीय संगीत
संगीत मानवीय लय एवं तालबद्ध अभिव्यक्ति है। भारतीय संगीत अपनी मधुरतालयबद्धता तथा विविधता के लिए जाना जाता है। वर्तमान भारतीय संगीत का जो रूप दृष्टिगत होता हैवह आधुनिक युग की प्रस्तुति नहीं हैबल्कि यह भारतीय इतिहास के प्रासम्भ के साथ ही जुड़ा हुआ है। वैदिक काल में ही भारतीय संगीत के बीज पड़ चुके थे। सामवेद उन वैदिक ॠचाओं का संग्रह मात्र हैजो गेय हैं। प्राचीन काल से ही ईश्वर आराधना हेतु भजनों के प्रयोग की परम्परा रही है। यहाँ तक की यज्ञादि के अवसर पर भी समूहगान होते थे।
नृत्य कला
भारत में नृत्य की अनेक शैलियाँ हैं। भरतनाट्यमओडिसीकुचिपुड़ीकथकलीमणिपुरीकथक आदि परंपरागत नृत्य शैलियाँ हैं तो भंगड़ागिद्दानगाबिहू आदि लोक प्रचलित नृत्य है। ये नृत्य शैलियाँ पूरे देश में विख्यात है। गुजरात का गरबा हरियाणा में भी मंचो की शोभा को बढ़ाता है और पंजाब का भंगड़ा दक्षिण भारत में भी बड़े शौक़ से देखा जाता है। भारत के संगीत को विकसित करने में अमीर ख़ुसरोतानसेनबैजू बावराजैसे संगीतकारों का विशेष योगदान रहा है। आज भारत के संगीत-क्षितिज पर बिस्मिल्ला ख़ाँज़ाकिर हुसैनरवि शंकर समान रूप से सम्मानित हैं।
संस्कृति
त्योहार और मेले भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। यह भी कह सकते हैं कि भारतीय संस्कृति अपने हृदय के माधुर्य को त्योहार और मेलों में व्यक्त करती हैतो अधिक सार्थक होगा। भारतीय संस्कृति प्रेमसौहार्द्रकरुणामैत्रीदया और उदारता जैसे मानवीय गुणों से परिपूर्ण है। यह उल्लासउत्साह और विकास को एक साथ समेटे हुए है। आनन्द और माधुर्य तो जैसे इसके प्राण हैं। यहाँ हर कार्य आनन्द के साथ शुरू होता है और माधुर्य के साथ सम्पन्न होता है। भारत जैसे विशाल धर्मप्राण देश में आस्था और विश्वास के साथ मिल कर यही आनन्द और उल्लास त्योहार और मेलों में फूट पड़ता है। त्योहार और मेले हमारी धार्मिक आस्थाओंसामाजिक परम्पराओं और आर्थिक आवश्यकताओं की त्रिवेणी हैजिनमें समूचा जनमानस भावविभोर होकर गोते लगाता है।
भारतीय भोजन
भारतीय भोजन स्वाद और सुगंध का मधुर संगम है। पूरन पूरी हो या दाल बाटीतंदूरी रोटी हो या शाही पुलावपंजाबी भोजन हो या मारवाड़ी भोजनज़िक्र चाहे जिस किसी का भी हो रहा होकेवल नाम सुनने से ही भूख जाग उठती है। भारत में पकवानों की विविधता भी बहुत अधिक है। राजस्थान में दाल-बाटीकोलकाता में चावल-मछलीपंजाब में रोटी-सागदक्षिण में इडली-डोसा। इतनी विविधता के बीच एकता का प्रमाण यह है कि आज दक्षिण भारत के लोग दाल-रोटी उसी शौक़ से खाते हैंजितने शौक़ से उत्तर भारतीय इडली-डोसा खाते हैं। सचमुच भारत एक रंगबिरंगा गुलदस्ता है।
पर्यटन
भारतवासी अपनी दीर्घकालीनअनवरत एवं सतरंगी उपलब्धियों से युक्त इतिहास पर गर्व कर सकते हैं। प्राचीन काल से ही भारत एक अत्यन्त ही विविधता सम्पन्न देश रहा है और यह विशेषता आज भी समय की घड़ी पर अंकित है। यहाँ प्रारम्भ से अनेक अध्यावसायों का अनुसरण होता रहा हैपृथक्-पृथक् मान्यताएँ हैंलोगों के रिवाज और दृष्टिकोणों के विभिन्न रंगों से सज़ा यह देश अतीत को भूतवर्तमान एवं भविष्य की आँखों से देखने के लिए आह्वान कर रहा है। किन्तु बहुरंगी सभ्यता एवं संस्कृति वाले देश के सभी आयामों को समझने का प्रयास इतना आसान नहीं है।


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