ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के खगोलविदों ने
ब्रह्मांड में सबसे पुराने तारे की खोज की. इस खोज को 11 फ़रवरी 2014 को नेचर पत्रिका में प्रकाशित की गई.
एसएमएसएस जे031300.36-670839.3 नामक यह तारा मिल्की वे आकाशगंगा में है और पृथ्वी से लगभग 6000 प्रकाश वर्ष दूर है. यह तारा 13.7 अरब साल पहले ब्रह्मांड में हुए बड़े धमाके (बिग बैंग) के बाद अस्तित्व में आया था.
प्राचीन तारों की खोज कर रही साइडिंग स्प्रिंग वेधशाला में एएनयू स्काई मैपर दूरबीन का उपयोग करके इस तारे की खोज की गई. इस वेधशाला ने दक्षिणी आकाश का पहला डिजिटल नक्शा बनाने के लिए पांच साल की परियोजना शुरु की है. इस तारे की खोज की पुष्टि चिली में मैगलन दूरबीन का उपयोग करके की गई.
सबसे 'पुराना' यह तारा जिस तरह के संघटकों से मिलकर बना है उसकी जांच से पता चलता है कि वह प्रारंभिक तारों के बाद अस्तित्व में आया. प्रारंभिक तारे हमारे सूरज से करीब 60 गुना भारी होते थे.
तारे की लौह सामग्री से उसकी उम्र निर्धारित की जाती है. तारे में कम लौह सामग्री से पता चलता है कि यह एक कम ऊर्जा के विस्फोट से बना है. इस नई खोज से पता चला है कि सुपरनोवा अपनी ऊर्जा के मामले में अधिक विविध थे जबकि पहले ऐसा नहीं सोचा गया था.
इस खोज से खगोलविदों को पहले तारों के रसायन शास्त्र का अध्ययन करने का मौका मिलेगा और यह खोज वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड की प्रारंभिक अवस्था का पता लगाने में मदद करेगा. इस खोज से ब्रह्मांड की उत्पत्ति की जांच में नए तरीकों के लिए रास्ता खुल जाएगा.
इस नई खोज से पता चलता है कि पहले तारे बहुत बड़े थे और विशेषज्ञों की राय की तुलना में अधिक लिथियम जला दिया होगा. तारों में लिथियम जलता है और वे अधिक लौह उत्सर्जन नहीं करते है. इस तरह बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार लिथियम का मात्रा अधिक होती है. बिग बैंग ने हाइड्रोजन, हीलियम और लिथियम की बेहद थोड़ी मात्रा से भरा एक ब्रह्मांड बनाया. तारों और सुपरनोवा में आयरन और अन्य तत्व मिले है. नए तारे कई तारों में विस्फोट से बने है और इनमें कई अलग अलग तत्व शामिल है, जबकि पुराने तारे रचना के संदर्भ में अधिक सरलीकृत हैं.
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