डॉ. एम. वीरप्पा मोइली ने इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार प्रदान किए-(21-FEB-2014) C.A

| Friday, February 21, 2014
पर्यावरण एवं वन मंत्री डॉ. एम वीरप्पा मोइली ने इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार-2010 प्रदान किए. इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार-2010  के तहत दो पुरस्कार 'संगठन' वर्ग में और तीन पुरस्कार 'वैयक्तिक' वर्ग में 19 फरवरी 2014 को दिया गया.

'संगठन' वर्ग में 
जाट रेजीमेंट की 21वीं बटालियन को पर्यावरण संरक्षण और वनीकरण के क्षेत्र में शानदार काम करने के लिए पुरस्कृत किया गया. रेजीमेंट ने 'गो-ग्रीन' अभियान के तहत असम के ढुबरी क्षेत्र के बाढ़ पीड़ित इलाकों में वृक्षारोपण का काम किया था. 

दक्षिण सुंदरबन के जॉयगोपालपुर गांव के कुछ युवाओं द्वारा शुरू किए गए जॉयगोपालपुर ग्राम विकास केंद्र को पर्यावरण संरक्षण और जन जागरण के लिए पुरस्कृत किया गया.

'वैयक्तिक' वर्ग में
1992 में स्थापित एक गैर-सरकारी संगठन 'साथी' को हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के घिन्नी-घाट क्षेत्र में पर्यावरण उन्नयन तथा सामाजिक विकास के लिए पुरस्कृत किया गया. संगठन के वर्तमान निदेशक डॉ. अनिल शर्मा हैं, जिन्होंने पुरस्कार प्राप्त किया.

1998 में स्थापित गैर-सरकारी संगठन 'वाइल्ड लाइफ एसओएस इंडिया' के सह संस्थापक और अध्यक्ष कार्तिक सत्यनारायणन को वन्यजीव संरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए पुरस्कृत किया गया. 

पुद्दुचेरी प्रदूषण नियंत्रण समिति में इंजीनियर डॉ. एन. रमेश को पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में योगदान देने के लिए पुरस्कृत किया गया.

इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की स्मृति में वर्ष 1987 में इन राष्ट्रीय पुरस्कारों की स्थापना की थी. इसके तहत पुरस्कृत व्यक्तियों को नकद पुरस्कार के साथ रजत कमल ट्रॉफी और प्रशस्ति-पत्र प्रदान किए जाते हैं. पुरस्कार में संस्थागत श्रेणी के अंतर्गत 5-5 लाख रुपये के दो नकद पुरस्कार और व्यक्तिगत श्रेणी में तीन नकद पुरस्कार क्रमश: 5, 3 और 2 लाख रुपये के दिए जाते हैं. इनका चयन सात सदस्यीय पर्यावरण पुरस्कार समिति करती है, जिसकी अध्यक्षता भारत के उपराष्ट्रपति करते हैं.


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