वैज्ञानिकों ने CO2 की तुलना में 7000 गुना अधिक शक्तिशाली एक नये ग्रीनहाउस गैस की खोज की-(01-JAN-2014) C.A

| Wednesday, January 1, 2014
टोरंटो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पर्फ्लुओरोत्रिबुत्य्लामिने (Perfluorotributylamine)  नामक एक लंबे समय तक रहते मानव निर्मित ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) की खोज की. यह गैस 100 साल के समय अंतराल पर धरती तापन पर कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 7100 गुना अधिक शक्तिशाली है.

यह Perfluorotributylamine गैस प्राकृतिक रूप से उत्पन्न नहीं होती. यह विधुत उद्योग में 20 वीं शताब्दी के मध्य से ट्रांजिस्टर और संधारित्र के रूप में उपयोग में किया गया है.जिसका प्रभाव वातावरण पर अज्ञात रहते औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए प्रयुक्त रसायनों का एक पूरा वर्ग के अंतर्गत आता है.
PFTBA किसी भी तरह से जलवायु परिवर्तन के मुख्य चालक के रूप में तेल एवं कोयले जैसे जीवाश्म ईंधन के जलने को विस्थापित नहीं करता.

जलवायु परिवर्तन के नजरिए से अलग -अलग, PFTBA के वायुमंडलीय एकाग्रता काफी जलवायु परिवर्तन की घटना के प्रति सचेत नहीं है, अभी भी सबसे बड़ा अपराधी जीवाश्म ईंधन के उत्सर्जन से CO2 है. इसके अतिरिक्त  यह आज तक वातावरण में ज्ञात किसी भी अणु की उच्चतम विकिरण क्षमता है.

टोरंटो शोधकर्ताओं का कि अनुमान है कि PFTBA लगभग 500 वर्षों के लिए वातावरण में रहता है. ये गैस कार्बन डाइऑक्साइड के विपरीत अवशोषित करने के लिए पृथ्वी पर कोई ज्ञात प्राकृतिक "डूब" कर रहे हैं.

PFTBA एवं उसके वार्मिंग क्षमता की खोज के औद्योगिक प्रक्रियाओं में इस्तेमाल अन्य रसायनों की जलवायु प्रभावों के बारे में सवाल उठाता है.

ग्रीन हाउस  गैस से संबंधित तथ्य

ग्रीन हाउस गैसें पृथ्वी के वातावरण या जलवायु में परिवर्तन के लिए उत्तरदायी होती हैं. इनमें सबसे ज्यादा उत्सर्जन कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, जलवाष्प आदि करती हैं  इन गैसों का उत्सर्जन आम प्रयोग के उपकरणों वातानुकूलक फ्रिज,कंप्यूटर कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत पेट्रोलियम और परंपरागत चूल्हे हैं.पशुपालन से मीथेन का उत्सर्जन होता है. हालांकि क्लोरोफ्लोरो का प्रयोग भारत में बंद हो चुका है, लेकिन इसके स्थान पर प्रयोग हो रही गैस हाइड्रो क्लोरो-फ्लोरो कार्बन  सबसे हानिकारक ग्रीन हाउस गैस है, जो कार्बन डाई आक्साइड की तुलना में एक हजार गुना ज्यादा हानिकारक है.


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