ट्री फाउंडेशन को नागापट्टिनम में बड़ी तादात में मृत कछुए मिले-(30-JAN-2014) C.A

| Thursday, January 30, 2014
समुद्री कछुओं के संरक्षण में लगी गैर सरकारी संगठन ट्री फाउंडेशन के द्वारा 28 जनवरी 2014 को दिये गये वक्तव्य के अनुसार, दिसंबर 2013 से जनवरी 2014 मध्य 100 से अधिक ओलिव रेडली प्रजाति के कछुए मिल चुके हैं. फाउंडेशन के मुताबिक इसी अवधि में पुडुचेरी के तट पर 21 मृत कछुओं को पाया गया था.
मत्स्य विभाग ने गांव के मछुआरों को निर्देश दिया है कि अगर उनकी जाल में कोई कछुआ फंस जाए तो वे अपना जाल काट कर उसे आजाद कर दें. यह कदम मछुआरों की जाल में फंस कर कछुओं की होने वाली मौत के मद्देनजर उठाया गया है. यह पहली बार है जब वन विभाग ने भी कछुओं से संबंधित आंकड़े जुटाना शुरु किया है, जिसका इस्तेमाल वे कछुओं को पकड़े जाने वाले स्थल के विशलेषण में करेंगें. पुडुचेरी में कछुओं के पकड़े जाने और उनके शवों के अध्ययन की सुविधा उपलब्ध नहीं है. इस संगठन ने पिछले सत्र में सौ से ज्यादा मृत कछुए थारंगमबाड़ी के मछली पकड़ने वाले चिन्नामेडु गांव में पाए थे.
नागापट्टनम समुद्र तट के बारे में 
ऑलिव रेडली प्रजाति के कछुओं को नागापट्टनम के 154 किलोमीटर लंबे समुद्री तट पर अपने अनुकूल वातावरण मिलता है और इसी वजह से वह दिसंबर से मार्च के महीने में हर साल यहां आते हैं.
ऑलिव रेडिली कछुए
ऑलिव रेडिली कछुए बहुत हद तक केम्प रेडली जैसे होते हैं लेकिन उनका शरीर गहरा और खोल थोड़ा उपर की ओर उठा हुआ होता है. इनके खोल का रंग धूसर होता है और इसका सिर एवं खोल केम्प कछुओं के मुकाबले छोटा होता है. इनका वजन करीब 45 किलोग्राम और आकार 70 सेंटीमीटर होता है. इसी कारण ये केम्प रेडिल के जैसे सबसे छोटे समुद्री कछुए होते हैं. ये कछुए आम तौर पर एंटिल्स के माध्यम से दक्षिण अमेरिका के उत्तरीय तट, पश्चिम अफ्रीका, हिंद महासागर, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणपूर्ण एशिया में पाए जाते हैं. रिपोर्टों के मुताबिक इन कछुओं की संख्या में पाकिस्तान, म्यांमार, मलयेशिया और थाइलैंड और संभवतः भारत के पूर्वी तट, ओडीशा के दक्षिण और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, गिरावट हुई है. 
समुद्री कछुए
समुद्री कछुए सरिसृप होते हैं और हवा में सांस लेते हैं इसलिए उन्हें हर 40 से 45 मिनट में एक बार बाहर आने की जरूरत पड़ती है. ये पृथ्वी के सबसे प्राचीन जीवों में से एक हैं. फिलहाल विश्व में इस प्रकार के कछुओं की सिर्फ सात प्रजातियां पाई जाती हैं और ये डायनासोर के समय भी मौजूद थे. दूसरे कछुओं के विपरीत समुद्री कछुए अपने पैरों और सिर को अपनी खोल में समेट नहीं सकते. प्रजातियों के आधार पर इनका रंग पीला, हरापना लिए और काला हो सकता है. इनकी जनसंख्या के बारे में बताना मुश्किल है क्योंकि न तो नर और न ही मादा कछुए अंडे से बच्चे निकलने के बाद समुद्र तट पर वापस नहीं लौटते. ये आमतौर पर पूरे विश्व में सभी गर्म और समशीतोष्ण जल में पाए जाते हैं.
ट्री फाउंडेशन
ट्री फाउंडेशन एक गैर सरकारी संगठन (गैर लाभकारी संगठन) है जो हमारे ग्रह के वनस्पति संसाधनों और उनपर निर्भर पारिस्थितिकी प्रणालियों पर अनुसंधान, शिक्षा और उनके संरक्षण को बढ़ावा देता है. फिलहाल यह फाउंडेशन मछली पकड़ने वाले गांवों से जुड़ा है ताकि जब भी उन्हें मृत कछुए मिले वे गांव वालों को इसकी सूचना दे सकें. इस संगठन ने 28 दिसंबर से 27 जनवरी के बीच थारंगमबाड़ी के 3 तटों पर 154 मृत कछुए और 1 मृत डॉल्फिन पाई है.


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