अमरीका ने 14 जनवरी 2014 को न्यूयार्क स्थित भारतीय वाणिज्य
दूतावास में 10 वीं सदी की चोरी की गयी तीन भारतीय
कलाकृतियों को भारत को सौंपा. चोरी कलाकृतियों में विष्णु और लक्ष्मी की एक रेतीले
पत्थर की मूर्ति, विष्णु और पार्वती की एक रेतीले पत्थर की
मूर्ति, तथा बोधिसत्व की एक काले पत्थर की कलाकृति शामिल थी.
सभी कलाकृतियों की कीमत 1.5-2 मिलियन डॉलर के बीच मूल्यवान
हैं. कलाकृतियां 2009 में चोरी हो गए थे.
विष्णु और
लक्ष्मी की 350 पाउंड के रेतीली पत्थर की मूर्ति 11
वीं से 12 वीं सदी की अवधि की हैं. यह
राजस्थान के बारां जिले में गधगाछ मंदिर से चोरी हो गयी थी. इंटरपोल ने दुनिया के
शीर्ष 10 सर्वाधिक वांछित कलाकृतियों में इन्हें नंबर 6
के रूप में सूचीबद्ध किया था. "विष्णु और पार्वती 'के 600 पाउंड रेतीले पत्थर की मूर्ति भी इसी अवधि के
दौरान की है और एक ही मंदिर से चोरी हो गयी थी. रेतीले पत्थर की मूर्तियों को
होमलैंड सुरक्षा ऐजेंसी द्वारा ढूंढा गया जो अमेरिका के अप्रवासी और सीमा शुल्क
प्रवर्तन एजेंसी के तहत कार्य कर रही थी. होमलैंड सुरक्षा जांचदल ने चोरी की
कलाकृतियों के बारे में भारत के राजस्व खुफिया निदेशालय से 2010 में जानकारी प्राप्त की.
बोधिसत्व की
काले रेतीले पत्थर की मुर्ति भारत में एक अनिर्दिष्ट स्थान से संबंध रखती है. इसे
अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा द्वारा ढूंढा गया था. भारत को अंतिम
सांस्कृतिक संपत्ति की स्वदेश वापसी 2006 में हुयी थी जब
अमेरिकी अधिकारियों ने 2000 में मंदसौर, मध्य प्रदेश के एक मंदिर से चोरी की गयी एक 9 वीं
शताब्दी की पत्थर की मूर्ति को भारत को लौटाया था.
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