वीरप्पा मोइली ने भारत के हाइड्रोकार्बन संसाधनों के पुनर्निर्धारण के लिए बहु-संगठन दल का गठन किया-(22-JAN-2014) C.A

| Wednesday, January 22, 2014
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री वीरप्पा मोइली ने 26 अवसादी घाटियों (sedimentary basins) में हाइड्रोकार्बन संसाधनों का पुनर्निर्धारण करने के लिए एक बहु-संगठन दल (मल्टी-आर्गेनाइजेशन टीम अर्थात एमओटी) गठित करने की घोषणा 20 जनवरी 2014 को की. भारत के हाइड्रोकार्बन संसाधनों का पुनर्निर्धारण और पुनरावलोकन नई खोज लाइसेंसिंग नीति (एनईएलपी) के तहत भू-वैज्ञानिक डाटा की उपलब्धता में भारी बढ़ोतरी के कारण आवश्यक हो गया था. 
नई खोज लाइसेंसिंग नीति (एनईएलपी)
नई खोज लाइसेंसिंग नीति (एनईएलपी) केंद्र सरकार द्वारा देश में हाइड्रोकार्बंस की खोज की गति बढ़ाने के लिए लागू की गई थी. एनईएलपी के अभी तक दो दौर घोषित किए गए हैं.

विचाराधीन विषय 
संसाधन-अनुमानीकरण का कार्य भारत के सभी 26 अवसादी घाटियों (sedimentary basins) के लिए किया जाना है. इसका कुल क्षेत्रफल 31.4 लाख वर्गमीटर है. 
उपलब्ध तकनीकी डाटा का सेडीमेंटरी बेसिनवार और उप-बेसिनवार पोर्टफोलियो तैयार करना.
अनन्वेषित सेडीमेंटरी बेसिंस और उप-बेसिंस के हाइड्रोकार्बन संसाधनों का पुनर्निर्धारण करने के लिए भावी डाटा इंगित करना. 
उप-बेसिंस और/या क्षेत्रों से युक्त बेसिंस के अंतर्गत, किसी बेसिन के भीतर लघुतम संभव यूनिटों के लिए हाइड्रोकार्बन संसाधन आँकड़े तैयार करना.     
वर्टिकली स्टैक्ड मल्टिपल पेट्रोलियम सिस्टम्स वाले बेसिंस के लिए संसाधन-अनुमानीकरण करना.
समस्त प्रकारों के नवीनतम उपलब्ध भू-वैज्ञानिक डाटा के आधार पर बेसिन/उप-बेसिन सीमाओं और बेसिन/उप-बेसिन क्षेत्रों के यथातथ्य रेखाचित्रण के साथ विस्तृत मानचित्र तैयार करना.  
बेसिनों के वर्गीकरण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पैरामीटरों की समीक्षा और आवश्यकता हो तो बेसिंस के पुनर्वर्गीकरण के लिए बदलाव सुझाना.

प्रक्रिया 
हाइड्रोकार्बन संसाधनों के पुनर्निर्धारण का कार्य केशवदेव मालवीय पेट्रोलियम इंजीनियरिंग संस्थान (केड़ीएमआईपीई), देहरादून के नेतृत्व में किया जाना है. इसके लिए आवश्यकतानुसार अनेक कार्य-निष्पादन दल गठित किए जाने हैं.
केड़ीएमआईपीई द्वारा इसकी व्यवस्था के लिए ओएनजीसी की मानक क्रियाविधि के अनुसार आवश्यक विशेषज्ञ निकायों और परामर्शदाताओं को नियुक्त करना. 
चूँकि समस्त बेसिनों का संसाधन-पुनर्निर्धारण एक-साथ नहीं किया जा सकता, अत: कार्य-निष्पादन दल उनकी प्राथमिकता निश्चित करेंगे और प्रत्येक बेसिन के लिए कार्य-समापन हेतु समय-निर्धारण करेंगे, ताकि रिपोर्ट-लेखन सहित पूरा कार्य 30 महीने की समयावधि के भीतर पूरा हो जाए.
 
बहु-संगठन दल (मल्टी-आर्गेनाइजेशन टीम अर्थात एमओटी) 
वांछित समयावधि में डाटा-गोपनीयता और गुणवत्तापूर्ण कार्य सुनिश्चित करने के लिए एक बहु-संगठन दल (एमओटी) गठित किया जाएगा, जिसमें निम्नलिखित अदिकारियों को शामिल किया गया है.
निदेशक (खोज) ओएनजीसी : अध्यक्ष
निदेशक (खोज और विकास) ओआईएल : उपाध्यक्ष
प्रमुख, केड़ीएमआईपीई ओएनजीसी, देहरादून : सदस्य
प्रमुख, आर एंड डी ओआईएल, दुलियाजन, असम : सदस्य
महाप्रबंधक (जी एंड जी) डीजीएच, नोएडा : सदस्य

विभिन्न बेसिनों के हाइड्रोकार्बन संसाधन अनुमानीकरण की प्रक्रिया आनुक्रमिक होने के कारण प्रगति के आकलन के लिए एमओटी द्वारा तिमाही समीक्षा बैठकें आयोजित करने का प्रावधान है. विभिन्न रिपोर्टों और मानचित्रों के रूप में विस्तृत दस्तावेजीकरण सृजित किया जाएगा. दस्तावेजों और मानचित्रों के सृजन के विस्तृत तौर-तरीके प्रमुख, केडीएमआईपीई, देहरादून और प्रमुख, डीजीएच, नोएडा द्वारा निश्चित किए जाने हैं. आवश्यकता पड़ने पर एमओटी द्वारा और कम अंतरालों में बैठकें आयोजित का भी प्रावधान है.
अध्ययन के लिए भू-वैज्ञानिक डाटा 
संसाधन-निर्धारण के प्रयोजन के लिए केडीएमआईपीई अपने और डीजीएच के पास उपलब्ध भू-वैज्ञानिक डाटा का इस्तेमाल करेगा. डीजीएच विभिन्न ई एंड पी कंपनियों द्वारा परिचालित एनईएलपी और प्री-एनईएलपी खण्डों का समस्त निर्धारण संबंधी डाटा उपलब्ध करवाने के लिए जिम्मेदार होगा. केडीएमआईपीई द्वारा डाटा की गोपनीयता बनाए रखी जाएगी.
 
विदित हो कि अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने वर्ष 2013 में अनुमान लगाया था कि भारत की तेल एवं गैस संसाधन क्षमता 206 अरब बैरल की है.


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