समाज एवं धर्मनिरपेक्षता अध्ययन केंद्र (सीएसएसएस), मुंबई को 25 जनवरी 2014 को
संगठन श्रेणी में राष्ट्रीय सांप्रदायिक सद्भावना पुरस्कार 2013 के लिए चुना गया. व्यक्तिगत श्रेणी में दिल्ली के डॉ. मोहिन्दर सिंह और
केरल के एन राधाकृष्णन को चुना गया.
पुरस्कार में प्रत्येक श्रेणी में एक प्रशस्ति पत्र दिया
जाता है. इसके अतिरिक्त व्यक्तिगत श्रेणी में प्रत्येक विजेता को पांच लाख रुपये
का नकद पुरस्कार और संगठन श्रेणी में दस लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है.
समाज एवं धर्मनिरपेक्षता
अध्ययन केंद्र (सीएसएसएस) से संबंधित तथ्य
•समाज एवं धर्मनिरपेक्षता अध्ययन केंद्र
(सीएसएसएस) मुंबई स्थित एक संगठन है जिसकी स्थापना 1996 में
देश में शांति, धर्मनिरपेक्षता एवं सांप्रदायिक सद्भाव को
बढ़ाने के लिए किया गया था.
• इसके साथ ही यह मानवाधिकारों से संबंधित
मुद्दों और समाज में हाशिए पर खड़े लोगों और वंचितों से जुड़े मुद्दों पर भी काम
कर रहा है.
डॉ. मोहिन्दर सिंह से
संबंधित तथ्य
• 72 वर्षीय मोहिन्दर सिंह एक विद्वान होने
के साथ राष्ट्रीय अलपसंख्यक शिक्षण संस्थान आयोग के वर्तमान सदस्य भी हैं.
• वे साल 2005 से 2007 तक राष्ट्रीय धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य भी थे.
• साल 1984 में अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ उन्होंने दिल्ली में सिक्ख विरोधी दंगों के मद्देनजर राहत शिविरों का आयोजन किया था और हिन्दूओं और सिक्खों के बीच दोस्ती कायम करने में मदद की थी.
• साल 1985 में डॉ. निर्मला देशपांडे के साथ मिलकर उन्होंने सांप्रदायिक सद्भाव फोरम की स्थापना उन्होंने की थी जिसने लगभग चार वर्षों तक काम किया और अंतरविश्वास बैठकों के आयोजन और सदस्यों के साथ पवित्र स्थलों की यात्रा की.
• वे साल 2005 से 2007 तक राष्ट्रीय धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य भी थे.
• साल 1984 में अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ उन्होंने दिल्ली में सिक्ख विरोधी दंगों के मद्देनजर राहत शिविरों का आयोजन किया था और हिन्दूओं और सिक्खों के बीच दोस्ती कायम करने में मदद की थी.
• साल 1985 में डॉ. निर्मला देशपांडे के साथ मिलकर उन्होंने सांप्रदायिक सद्भाव फोरम की स्थापना उन्होंने की थी जिसने लगभग चार वर्षों तक काम किया और अंतरविश्वास बैठकों के आयोजन और सदस्यों के साथ पवित्र स्थलों की यात्रा की.
डॉ. एन राधाकृष्णन के
बारे में
• 69 वर्षीय डॉ. एन
राधाकृष्णन एक गांधीवादी विद्वान और शांति दूत हैं.
• इन्होंने गांधीग्राम विश्वविद्यालय में शांति सेना कार्यक्रम की शुरुआत की थी और इसे देश के अन्य हिस्सों तक पहुंचाया.
• ये तमिलनाडु और केरल के सांप्रदायिक तनाव वाले क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए सक्रिय रूप से काम करते रहे हैं .
• इनके हिमसमुख भारत आंदोलन ने लोगों को शांति और सतत विकास में पैदल सैनिकों के रुप में जुड़ने को प्रेरित किया.
• इन्होंने गांधीग्राम विश्वविद्यालय में शांति सेना कार्यक्रम की शुरुआत की थी और इसे देश के अन्य हिस्सों तक पहुंचाया.
• ये तमिलनाडु और केरल के सांप्रदायिक तनाव वाले क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए सक्रिय रूप से काम करते रहे हैं .
• इनके हिमसमुख भारत आंदोलन ने लोगों को शांति और सतत विकास में पैदल सैनिकों के रुप में जुड़ने को प्रेरित किया.
राष्ट्रीय सांप्रादायिक सद्भाव पुरस्कार से संबंधित तथ्य
राष्ट्रीय सांप्रादायिक सद्भाव पुरस्कार की स्थापना भारत सरकार के गृह मंत्रालय के स्वायत्त संगठन राष्ट्रीय सांप्रदायिक सद्भाव संगठन (एनएफसीएच) द्वारा 1996 में की गई थी. यह पुरस्कार सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था. इसकी स्थापना व्यक्ति विशेष या संगठनों द्वारा सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के प्रयासों की प्रशंसा और मान्यता देने के उद्देश्य से की गई थी.
राष्ट्रीय सांप्रादायिक सद्भाव पुरस्कार की स्थापना भारत सरकार के गृह मंत्रालय के स्वायत्त संगठन राष्ट्रीय सांप्रदायिक सद्भाव संगठन (एनएफसीएच) द्वारा 1996 में की गई थी. यह पुरस्कार सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था. इसकी स्थापना व्यक्ति विशेष या संगठनों द्वारा सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के प्रयासों की प्रशंसा और मान्यता देने के उद्देश्य से की गई थी.
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