ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने 14 जनवरी 2014 को आपरेशन ब्लू स्टार में पूर्व ब्रिटिश
प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर की भूमिका की जांच के आदेश जारी किये. पूछताछ ब्रिटेन
के कैबिनेट सचिव सर जेरेमी हेवुड द्वारा की जानी है. जांच में हाल में जारी
दस्तावेजों पर गौर किया जाना है, जिनमें कहा गया था कि
स्वर्ण मंदिर के अंदर छुपे अलगाववादी सिख उग्रवादियों के खिलाफ वर्ष 1984 में भारत सरकार के ऑपरेशन ब्लू स्टार की योजना में मार्ग्रेट थैचर की
सरकार द्वारा सुझाव दिया गया था.
जारी किये गये सार्वजनिक दस्तावेजों में ऐसे संकेत मिले हैं
कि ब्रिटेन ने अपनी विशेष वायु सेवा के अधिकारियों को स्वर्ण मंदिर पर धावा बोलकर
अंदर छिपे आतंकियों को निकालने की योजना के लिए भारत की मदद के लिए भेजा गया.
जिन दस्तावेजों की यहां बात की जा रही है, उन्हें सरकार की कैबिनेट ने लंदन स्थित राष्ट्रीय अभिलेखागार ने 30
साल के गैर-गोपनीयता नियम के तहत एक श्रृंखला के रुप में जारी किया
था.
लार्ड इन्द्रजीत सिंह के नेतृत्व में सिख संगठनों के
नेटवर्क, ने रहस्योद्घाटन पर शोक व्यक्त किया है और
जांच की सहायता करने के लिए विदेश और राष्ट्रमंडल
कार्यालय से मदद की पेशकश की.
ऑपरेशन ब्लूस्टार
स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों को बाहर निकलवाने और हथियारों की वसूली के लिए एक सैन्य अभियान को ऑपरेशन ब्लू स्टार का नाम दिया गया था. ऑपरेशन 1984 में स्वर्ण मंदिर परिसर में हरमंदिर साहिब में भारतीय सेना के नेतृत्व में किया गया था. जरनैल सिंह भिंडरांवाले के नेतृत्व में खालिस्तान अलगाववादियों ने 1982 में हरमंदिर साहिब की सीमा में, अकाल तख्त नामक एक अतिथि गृह में प्रवेश किया था.
स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों को बाहर निकलवाने और हथियारों की वसूली के लिए एक सैन्य अभियान को ऑपरेशन ब्लू स्टार का नाम दिया गया था. ऑपरेशन 1984 में स्वर्ण मंदिर परिसर में हरमंदिर साहिब में भारतीय सेना के नेतृत्व में किया गया था. जरनैल सिंह भिंडरांवाले के नेतृत्व में खालिस्तान अलगाववादियों ने 1982 में हरमंदिर साहिब की सीमा में, अकाल तख्त नामक एक अतिथि गृह में प्रवेश किया था.
भिंडरांवाले को पूर्व मेजर जनरल साबेग द्वारा समर्थन दिया
गया था जिसे एक खालिस्तान हमदर्द होने के कारण सेना से निष्कासित कर दिया गया था.
ऑपरेशन ब्लूस्टार को लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह बराड़ के
नेतृत्व के तहत आयोजित किया गया था. ऑपरेशन के दौरान सेना के चीफ ऑफ स्टाफ जरनल
अरुण सुंदर वैद्य को बाद में पुणे में खालिस्तान अलगाववादियों द्वारा मार दिया गया
था.
0 comments:
Post a Comment