वर्ष 2005 से पहले के जारी किए गए नोट वापस लेने की भारतीय रिज़र्व बैंक घोषणा-(26-JAN-2014) C.A

| Sunday, January 26, 2014
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने वर्ष 2005 से पहले जारी किए गए समस्त करेंसी नोट वापस लेने का निर्णय 21 जनवरी 2014 को किया. इसका उद्देश्य मुद्रा-प्रवाह पर अंकुश लगाना और जाली नोटों को बाहर करना है. इससे मुद्रा-जमाखोरों के पास अपनी बेहिसाबी मुद्रा खर्च करके या बदलवाकर बाहर निकलने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं रहेगा.
भारतीय रिज़र्व बैंक नागरिकों को वर्ष 2005 से पहले के बैंक-नोट बदलने की सुविधा 1 अप्रैल 2014 से उपलब्ध कराएगा. वर्ष 2005 से पहले के जारी किए नोटों पर पिछली ओर मुद्रण का वर्ष मुद्रित नहीं किया  गया है. यद्यपि वर्ष 2005 से पहले जारी हुए नोट वैध रहेंगे.

बैंकों को अपने ग्राहकों के साथ-साथ गैर-ग्राहकों से भी नोट बदलने होंगे. 1 जुलाई 2014 से जो लोग ऐसे किसी बैंक में, जिनमें उनका खाता नहीं है, 500 और 1000  रुपये के 10 से अधिक नोट बदलवाना चाहेंगे, तो उन्हें अपने निवास और पहचान का प्रमाण उपलब्ध कराना होगा.  

मार्च 2012 तक बैंकिंग-प्रणाली में 5 लाख जाली बैंक-नोटों के होने का पता चला है, जो वर्ष 2011 से 31% अधिक है.
भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बैंकों से यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि जिन नोटों को वे काउंटर पर प्राप्त करें, उनका उचित रूप से प्रमाणीकरण किए जाने के बाद ही उन्हें वापस सर्कुलेशन में भेजा जाए.  

विदित हो कि विश्वभर के सभी केंद्रीय बैंकों में नियमित अंतरालों पर बैंक-नोटों को प्रचलन से हटाने की प्रथा है.


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