सर्वोच्च न्यायालय ने 9 जनवरी 2014 को सहारा
समूह को उन 22885 करोड़ रुपयों का स्रोत बताने का निर्देश
दिया, जिन्हें उसने निवेशकों को लौटा देने का दावा किया
है. सर्वोच्च न्यायालय की खण्डपीठ ने कहा कि अगर सहारा ग्रुप 23 जनवरी 2014 तक उसके आदेश का पालन नहीं करता,
तो न्यायालय द्वारा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और कंपनी
रजिस्ट्रार (आरओसी) से इस मामले की जाँच करने का निर्देश दिया जाएगा. सर्वोच्च
न्यायालय ने यह आदेश सहारा समूह द्वारा सेबी को मांगी गयी सूचना न देने के के बाद
जारी दिया. विदित हो कि सहारा द्वारा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को
यह कहते हुए एक आवश्यक सूचना देने से मना कर दिया था कि कि यह सूचना महत्वहीन है.
सहारा समूह दो रियल इस्टेट कंपनियों का मालिक है — सहारा
हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन और सहारा इंडिया रियल इस्टेट. सर्वोच्च न्यायालय
ने सहारा समूह को दो वर्ष पहले अपने निवेशकों को पैसा लौटने का निर्देश दिया था.
समहू ने दावा किया कि उनके वैकल्पिक पूर्ण-परिवर्तनीय डिबेंचरों
में लगभग 20000 करोड़ रुपये निवेशकों को वापस किए जा चुके
हैं, किंतु सेबी के अनुसार पैसा लौटाया नहीं गया. जब सेबी
ने लौटाए गए धन के स्रोत के बारे में पूछा तो सहारा ग्रुप ने सूचना देने से मना कर
दिया था.
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