प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने वेदांता
समूह द्वारा नियंत्रित हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) में सरकार के अवशिष्ट
शेयरों की बिक्री को 20 जनवरी 2014 को
अनुमोदित किया. इस अनुमोदन के साथ ही एचजेडएल के 16500 करोड़
रुपये के शेयरों की बिक्री की अनुमति मिल गई. वर्तमान में सरकार के पास कंपनी के 29.5
प्रतिशत शेयर हैं.
यह अनुमोदन प्रस्ताव पर भारत के अटॉर्नी-जनरल की सहमति के बाद आया. अटॉर्नी-जनरल ने एचजेडएल में शेयरों की बिक्री पर इसलिए सहमति दी, क्योंकि यह कंपनी अब सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी नहीं रही. जबकि पहले उनका विचार था कि संसद से इसका अनुमोदन प्राप्त किया जाए, क्योंकि कंपनी का गठन एक अधिनियम द्वारा किया गया था.
इससे पहले वर्ष 2002 में केंद्र सरकार ने भारत की इस सबसे बड़ी जिंक-निर्माता कंपनी के बहुसंख्यक शेयर अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाली वेदांता रिसोर्सेज को बेच दिए थे.
यह अनुमोदन प्रस्ताव पर भारत के अटॉर्नी-जनरल की सहमति के बाद आया. अटॉर्नी-जनरल ने एचजेडएल में शेयरों की बिक्री पर इसलिए सहमति दी, क्योंकि यह कंपनी अब सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी नहीं रही. जबकि पहले उनका विचार था कि संसद से इसका अनुमोदन प्राप्त किया जाए, क्योंकि कंपनी का गठन एक अधिनियम द्वारा किया गया था.
इससे पहले वर्ष 2002 में केंद्र सरकार ने भारत की इस सबसे बड़ी जिंक-निर्माता कंपनी के बहुसंख्यक शेयर अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाली वेदांता रिसोर्सेज को बेच दिए थे.
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