मिस्र ने जनमत-संग्रह में संविधान का अनुमोदन किया-(23-JAN-2014) C.A

| Thursday, January 23, 2014
मिस्र ने देश के निर्वाचन आयोग द्वारा 18 जनवरी 2014 को करवाए गए एक जनमत-संग्रह में संविधान का अनुमोदन कर दिया. प्रस्तावित संविधान अम्र मूसा की अध्यक्षता में गठित एक 50-सदस्यीय समिति ने दिसंबर 2013 में तैयार किया था.
संविधान मिस्र के तीन संस्थानों सेना, पुलिस और न्यायपालिका को मजबूती प्रदान करता है. साथ ही, वह महिलाओं और अक्षम व्यक्तियों को अधिक अधिकार प्रदान करता है.  संविधान ने इस्लामी शरीयत को कानून का मुख्य स्रोत बनाए रखने के बावजूद इस्लामी झुकाव वाले खंडों को हटा दिया.

संविधान के मुख्य तथ्य 
देश के राष्ट्रपति का कार्यकाल चार वर्ष का है.
एक व्यक्ति अधिकतम दो कार्यकाल तक ही राष्ट्रपति रह सकता है.
राष्ट्रपति को संसद द्वारा महाभियोग से हटाया जा सकेगा. 
इस्लाम को राष्ट्रीय धर्म के रूप में स्वीकार किया गया है, किंतु यह संविधान अल्पसंख्यकों (ईसाई और यहूदी) को कुछ संरक्षण प्रदान करते हुए पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता उपलब्ध कराता है.  
देश पुरुषों और स्त्रियों के बीच समानता की गारंटी देता है.
धर्म, जाति, लिंग या भौगोलिक आधार पर राजनीतिक दल नहीं बनाए जा सकते.
अगले आठ वर्षों के लिए रक्षा मंत्री की नियुक्ति सेना करेगी.
वर्ष 2013 में मुर्सी की बेदखली के बाद नागरिकों द्वारा सैन्य सरकार को वैधता प्रदान करने से संविधान को भारी समर्थन देखने को मिला है. जनमत-संग्रह दर्शाता है कि मिस्र के नागरिक राष्ट्रपति के उम्मीदवार के रूप में सेना-प्रमुख जनरल अब्देल-फतह अल-सिस्सी का प्रत्यक्ष समर्थन करते हैं.


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