जून 2015 के तीसरे सप्ताह में मणिपुर वन विभाग
ने माथे पर सींग वाले हिरण की विलुप्तप्राय प्रजाति सानगई को दूसरी जगह भेजने का
फैसला किया. इसे विलुप्त होने से बचाने के लिए दूसरी जगह भेजने का फैसला लिया गया
है.
यह हिरण मणिपुर के लोकटक झील के तैरते बायोमास कईबुल लामजाओ
राष्ट्रीय उद्यान (केएलएनपी) में ही पाया जाता है और इसे लोकटक के ही समीप पुमलेन
पैट में स्थांतरित किया जाएगा.केएलएनपी दुनिया का एकमात्र अस्थायी राष्ट्रीय
उद्यान है.
पुमलेन पैट को स्थांतरित करने वाले स्थान के लिए इसलिए चुना गया है क्योंकि यह भी एक अस्थायी आवास है और यहां छोटी– छोटी पहाड़ियां भी है जो सानगई के लिए घर का काम करेगा.
सानगई मणिपुर का राजकीय पशु है और एक समय यह पूरे राज्य में पाया जाता था.फिलहाल यह झील के भीतर स्थित सिर्फ केईबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान (केएलएनपी) में ही पाया जाता है.
इसके संरक्षण के प्रयासों ने इनकी संख्या को बढ़ाने में मदद की है.साल 2008 में जहां इनकी संख्या 100 थी वहीं 2013 में इनकी संख्या बढ़कर 204 हो गई थी.
पुमलेन पैट को स्थांतरित करने वाले स्थान के लिए इसलिए चुना गया है क्योंकि यह भी एक अस्थायी आवास है और यहां छोटी– छोटी पहाड़ियां भी है जो सानगई के लिए घर का काम करेगा.
सानगई मणिपुर का राजकीय पशु है और एक समय यह पूरे राज्य में पाया जाता था.फिलहाल यह झील के भीतर स्थित सिर्फ केईबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान (केएलएनपी) में ही पाया जाता है.
इसके संरक्षण के प्रयासों ने इनकी संख्या को बढ़ाने में मदद की है.साल 2008 में जहां इनकी संख्या 100 थी वहीं 2013 में इनकी संख्या बढ़कर 204 हो गई थी.
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