केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने देश में इलेक्ट्रॉनिक वित्तीय लेनदेन को
गति देने के लिए तैयार मसौदे को 22 जून 2015 को जारी किया. ई-ट्रांजेक्शन का अर्थ है कि एक उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक
तरीके से वित्तीय लेनदेन के लिए अधिकृत होगा और इसके द्वारा हुआ लेनदेन सीधे एक
दूसरे के खाते में हस्तातंरित करने की छूट होगी.
इस प्रस्तावित नीति का उद्देश्य आने वाले समय में सरकारी या नियमित
व्यावसायिक लेनदेन में भी नकदी के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के उपयोग को
प्रोत्साहित करना है.
प्रस्तावित मसौदे की मुख्य विशेषताएं
• इसका उद्देश्य बेहतर क्रेडिट का उपयोग और वित्तीय समावेशन को सक्षम करना है.
• यह सरकार, कॉर्पोरेट्स, संस्थानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में गैर नकद भुगतान की सुविधा को प्रोत्साहित करना चाहता है.
• इस मसौदे में व्यय के कुछ हिस्से को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं को आयकर में छूट दिये जाने का प्रस्ताव है.
• यह छूट इलेक्ट्रॉनिक भुगतान स्वीकार करने वाले कारोबारियों को भी देने का प्रावधान है. उदाहरण के तौर पर यदि कोई कारोबारी ई-ट्रांजेक्शन का कम से कम 50 प्रतिशत भुगतान इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से स्वीकार करेगा तो उसे आयकर में छूट का लाभ मिल सकता है.
• इसमें सभी ई-ट्रांजेक्शनों के मूल्यवर्धित कर (वैट) में एक से दो प्रतिशत तक की कमी करने का भी प्रस्ताव किया गया है.
• इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन बैंक खातों के जरिये या प्रीपेड कार्ड के माध्यम से किया जा सकेगा.
• धनराशि का हस्तातंरण डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, मोबाइल वॉलेटों, मोबाइल ऐप, नेट बैंकिंग, इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सेवा, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर, त्वरित भुगतान सेवा ( आईएमपीएस) या इसी तरह के दूसरे माध्यमों से हो सकता है.
• निर्धारित राशि से अधिक के लेनदेन पर मामूली हैंडलिंग शुल्क वसूला जा सकता है.
• हाई वैल्यू या एक लाख रूपये से अधिक के लेनदेन सिर्फ और सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किया जा सकेगा.
• इस तरीके से लेनदेन से अर्थव्यवस्था में नकदी की लागत को भी कम किया जा सकेगा और नकली नोटों के प्रचलन में आने से रोकने में भी मदद मिलेगी.
• इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शनों के विवरण से लोगों द्वारा विभिन्न मदों में किए जा रहे खर्चों की जानकारी भी सुगमता से मिल सकेगी, जोकि सरकार के लिए वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इन्क्लूजन) को आगे बढ़ाने में काफी मददगार हो सकती है.
• इसके साथ ही सरकार इन जानकारियों के आधार पर अपनी आर्थिक और वित्तीय नीतियां बना सकती है या उनमें बदलाव कर सकती है.
• ग्राहकों को भी एक तयशुदा सीमा के अनुरूप अपने बिलों इलेक्ट्रॉनिक भुगतान करने पर कर छूट दी जा सकती है.
• ई-ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए प्रस्ताव में ऐसे भुगतानों के लिए जरूरी प्रमाणन (ऑथेंटिकेशन) या पुष्टि से जुड़ी प्रक्रियाओं में भी कुछ नरमी लाने की बात कही गई है.
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2015 - 16 के अपने बजट भाषण में कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक वित्तीय लेनदेन को बढ़ावा दिया जायेगा ताकि कालेधन के प्रवाह पर काबू पाया जा सके. सरकार नकदी लेनदेन को हतोत्साहित करना चाहती है और बैंकिंग तंत्र के जरिये लेनदेन को बढ़ावा देना चाहती है.
प्रस्तावित मसौदे की मुख्य विशेषताएं
• इसका उद्देश्य बेहतर क्रेडिट का उपयोग और वित्तीय समावेशन को सक्षम करना है.
• यह सरकार, कॉर्पोरेट्स, संस्थानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में गैर नकद भुगतान की सुविधा को प्रोत्साहित करना चाहता है.
• इस मसौदे में व्यय के कुछ हिस्से को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं को आयकर में छूट दिये जाने का प्रस्ताव है.
• यह छूट इलेक्ट्रॉनिक भुगतान स्वीकार करने वाले कारोबारियों को भी देने का प्रावधान है. उदाहरण के तौर पर यदि कोई कारोबारी ई-ट्रांजेक्शन का कम से कम 50 प्रतिशत भुगतान इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से स्वीकार करेगा तो उसे आयकर में छूट का लाभ मिल सकता है.
• इसमें सभी ई-ट्रांजेक्शनों के मूल्यवर्धित कर (वैट) में एक से दो प्रतिशत तक की कमी करने का भी प्रस्ताव किया गया है.
• इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन बैंक खातों के जरिये या प्रीपेड कार्ड के माध्यम से किया जा सकेगा.
• धनराशि का हस्तातंरण डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, मोबाइल वॉलेटों, मोबाइल ऐप, नेट बैंकिंग, इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सेवा, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर, त्वरित भुगतान सेवा ( आईएमपीएस) या इसी तरह के दूसरे माध्यमों से हो सकता है.
• निर्धारित राशि से अधिक के लेनदेन पर मामूली हैंडलिंग शुल्क वसूला जा सकता है.
• हाई वैल्यू या एक लाख रूपये से अधिक के लेनदेन सिर्फ और सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किया जा सकेगा.
• इस तरीके से लेनदेन से अर्थव्यवस्था में नकदी की लागत को भी कम किया जा सकेगा और नकली नोटों के प्रचलन में आने से रोकने में भी मदद मिलेगी.
• इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शनों के विवरण से लोगों द्वारा विभिन्न मदों में किए जा रहे खर्चों की जानकारी भी सुगमता से मिल सकेगी, जोकि सरकार के लिए वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इन्क्लूजन) को आगे बढ़ाने में काफी मददगार हो सकती है.
• इसके साथ ही सरकार इन जानकारियों के आधार पर अपनी आर्थिक और वित्तीय नीतियां बना सकती है या उनमें बदलाव कर सकती है.
• ग्राहकों को भी एक तयशुदा सीमा के अनुरूप अपने बिलों इलेक्ट्रॉनिक भुगतान करने पर कर छूट दी जा सकती है.
• ई-ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए प्रस्ताव में ऐसे भुगतानों के लिए जरूरी प्रमाणन (ऑथेंटिकेशन) या पुष्टि से जुड़ी प्रक्रियाओं में भी कुछ नरमी लाने की बात कही गई है.
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2015 - 16 के अपने बजट भाषण में कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक वित्तीय लेनदेन को बढ़ावा दिया जायेगा ताकि कालेधन के प्रवाह पर काबू पाया जा सके. सरकार नकदी लेनदेन को हतोत्साहित करना चाहती है और बैंकिंग तंत्र के जरिये लेनदेन को बढ़ावा देना चाहती है.
0 comments:
Post a Comment