गुरु पद्मसंभव के लिए समर्पित दो दिवसीय वार्षिक हेमिस
महोत्सव जम्मू-कश्मीर के सबसे बड़े मठ लद्दाख हेमिस गोम्पा (मठ) में 26 जून 2015 को शुरू हुआ.
हेमिस महोत्सव पद्मसंभव के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता
है. इस महोत्सव के दौरान लंबे सींगों के साथ मुखौटों से सुशोभित छाम नाम के लामा
नृत्य करते हैं और विशेष प्रकार के ढोल मंजीरा और भोंपू बजा कर धार्मिक नाटक
प्रस्तुत करते हैं. मुख्य लामा इस समारोह की अध्यक्षता करते हैं.
यह महोत्सव हर 12 वर्षों के उपरांत
जब भोट पंचांग के अनुसार “बंदर वर्ष” आता
है तो चार मंजिला ऊंची गुरु पद्भसंभवा की खूबसूरत मूर्ति अर्थात थंका (सिल्क के
कपड़े पर बनाई गई तस्वीरों को थंका कहा जाता है) प्रदर्शित की जाती है.
लद्दाख में मनाए जाने वाले अन्य उत्सव
लद्दाख में मनाए जाने वाले अन्य उत्सव
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दोसमोचे महोत्सव: लेह में फरवरी के दूसरे सप्ताह में डोसमोचे महोत्सव मनाया
जाता है. यह लद्दाख के नए समारोहों में से एक है. इस महोत्सव के दौरान हर साल
विभिन्न मठों में मुखौटा नृत्य का प्रदर्शन करते हैं. इस अलावा धार्मिक प्रतीकों
को लकड़ी के खंभों पर पताका को सजाकर लेह के बाहर आयोजित किया जाता है. दोसमोचे
त्योहार दो दिनों तक चलता है जिसमें बौद्ध भिक्षु नृत्य करते हैं, प्रार्थनाएं करते हैं और क्षेत्र से दुर्भाग्य और बुरी आत्माओं को दूर
रखने के लिए अनुष्ठान करते हैं.
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लोसर महोत्सव: लोसर तिब्बती या लद्दाखी नव वर्ष के रूप में मनाया जाने
वाला अन्य त्योहार है जो चंद्र कैलेंडर पर आधारित है. लद्दाख में लोसर का त्योहार
दिसंबर और जनवरी के महीने में दो सप्ताह के लिए मनाया जाता है. लोसर त्योहार के
दौरान आने वाले पर्यटकों पारंपरिक संगीत और नृत्य का आनंद देते हैं. त्योहार के
दौरान होने वाली अनुभव से उनको मंत्रमुग्ध कर देती है. इस अवसर पर पुराने वर्ष की
सभी बुराइयों और वैमनस्यों को समाप्त करने का प्रयत्न किया जाता है और नए साल
में पूर्णतया नया जीवन आरंभ करने की कोशिश की जाती है. इस त्योहार की तिथि और
स्थान हर साल बदलते रहते हैं.
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माथो नागरंग: मार्च के प्रथमार्ध में मनाए जाने वाले त्योहार माथो नागरंग के दौरान
पवित्र अनुष्ठान और नृत्य प्रदर्शित किए जाते हैं. चार सौ साल पुराने थांगका या
सिल्क से बनाई जाने वाली धार्मिक तिब्बती पेंटिंग और इसके साथ जुड़ा त्योहार माथो
नागरंग पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हैं. यह त्योहार माथो मठ में मनाया जाता है.
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फियांग और थिक्से: फियांग और थिक्से त्योहार लद्दाख में जुलाई या अगस्त में मनाया जाता है।
इस त्योहार के दौरान विभिन्न मठों से भिक्षुओं भगवान और देवी के विभिन्न रूपों को
दर्शाती है और अद्भुत मुखौटा नृत्य प्रदर्शन करने के लिए रंगीन जरी के वस्त्र और
मुखौटे पहनते हैं.
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