प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रक्षा
अनुसंधान केंद्र स्थापित करने हेतु 17 जून 2015
को एनआईएल की भूमि को डीआरडीओ को हस्तांतरित करने की मंजूरी प्रदान
की.
यह भू-भाग जादवपुर यूनिवर्सिटी द्वारा पश्चिम बंगाल में डीआरडीओ को लम्बी अवधि के लिए लीज़ पर दिया जायेगा. यहां बनने वाले रक्षा अनुसंधान केंद्र का नाम जगदीश चन्द्र बोस सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (जेसीबीसीएटी) होगा.
इससे भारत के सामरिक क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को मजबूती मिलेगी तथा इस क्षेत्र में होने वाले आयात में कमी आयेगी.
यह भू-भाग जादवपुर यूनिवर्सिटी द्वारा पश्चिम बंगाल में डीआरडीओ को लम्बी अवधि के लिए लीज़ पर दिया जायेगा. यहां बनने वाले रक्षा अनुसंधान केंद्र का नाम जगदीश चन्द्र बोस सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (जेसीबीसीएटी) होगा.
इससे भारत के सामरिक क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को मजबूती मिलेगी तथा इस क्षेत्र में होने वाले आयात में कमी आयेगी.
नेशनल इंस्ट्रूमेंट्स लिमिटेड (एनआईएल) भारी उद्योग विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन एक केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (सीपीएसई) था. इसमें लगातार हो रहे घाटे एवं इसके निष्क्रिय हो जाने के पश्चात् इसकी संपत्ति, देनदारियों तथा श्रमशक्ति को औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड (बीआईएफआर) की स्वीकृत पुनरुद्धार योजना (एसआरएस) के तहत 1 जनवरी 2009 को जादवपुर विश्वविद्यालय को स्थानांतरित कर दिया गया.
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