दिल्ली बजट 2015-16: मुख्य विशेषताएं-(27-JUNE-2015) C.A

| Saturday, June 27, 2015
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने वित्तवर्ष 2015-16 के लिए 41500 करोड़ रुपये का दिल्ली बजट विधानसभा में 25 जून 2015 को पेश किया. इस बजट को पहला 'स्वराज बजट' नाम दिया गया जो भारत का पहला भागीदारी बजट है.

मनीष सिसौदिया ने, जिनके पास वित्त मंत्रालय का प्रभार भी है, अपने बजट भाषण में मूल्यवर्धित कर (वैट) में किसी प्रकार की बढ़ोत्तरी न करते हुये रसोई के काम आने वाले प्रेशर कुकर और पैंन आदि पर इसे घटाने की घोषणा की.
दिल्ली बजट 2015-16 की मुख्य विशेताएँ 
इसमें 19 हजार करोड़ रुपये योजना मद और 22 हजार 129 करोड़ रुपये गैर योजना खर्च के लिए रखे गये हैं जबकि 371 करोड़ रुपये का अधिशेष रहेगा. 
सरकार का ध्यान कर वसूली तंत्र को सुधारकर राजधानी को चिकित्सा हब और विश्व स्तर का कौशल केंद्र बनाने पर रहेगा. 
दिल्ली के सभी कॉलेजों और ग्रामीण क्षेत्रों में 50 करोड़ के खर्च से मुफ्त में वाई फाई सुविधा मुहैया कराने का एलान किया.
बजट में 253 करोड़ रुपये के प्रावधान से स्वराज फंड बनाने की घोषणा की गयी है जिससे 11 विधानसभाओं में पायलट तौर पर प्राथमिकता के आधार पर वहां के नागरिक अपनी जरूरतों के हिसाब से खर्च करा सकेंगे.
बजट में सरकार ने अपने संसाधन बढ़ाने के लिए सिनेमा देखने पर लगने वाले मनोरंजन कर को 20 से बढ़ाकर 40 प्रतिशत और विलासिता कर 10 से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने की घोषणा की.
कंपनियों और साझेदारी फर्मों में खरीदे जाने वाले निजी वाहनों पर पंजीकरण शुल्क 25 प्रतिशत बढ़ाने की घोषणा की गई.
राजधानी में बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए दिल्ली राज्य सरकार ने हल्के वाणिज्यिक वाहनों के प्रत्येक बार दिल्ली में आने पर सौ रुपये, चार से चौदह चक्कों वाले ट्रक पर पांच सौ से लेकर 1500 रुपये तक का शुल्क लगाया गया.  इससे प्राप्त होने वाली राशि का इस्तेमाल पर्यावरण के अनुकूल सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बेहतर करने पर खर्च किया जायेगा.
बैटरी से चलने वाले दो पहिया और चार पहिया वाहनों की खरीद पर 1000 से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक की सब्सिडी देने का प्रावधान.
बैटरी से चलने वाले ई रिक्शा की खरीद पर पन्द्रह सौ रुपये की सब्सिडी दी जायेगी। यह सब्सिडी केवल एक व्यक्ति को केवल एक ई रिक्शा खरीदने पर ही मिलेगी. 
शिक्षा क्षेत्र के लिये आवंटित 9836 करोड़ रुपये में से एक चौथाई अर्थात 4570 करोड़ रुपये योजना मद में खर्च किये जाने का प्रावधान. यह योजना मद वित्तवर्ष 2014-15 के बजट के 2219 करोड़ रुपये की तुलना में 106 प्रतिशत अधिक है.
चालू वित्त वर्ष के दौरान 20 हजार नये शिक्षकों की नियुक्ति, सभी सरकारी स्कूलों के प्रत्येक कमरे में सीसीटीवी कैमरा, तीन नये आईआईटी, पांच पोलिटेक्निक और कौशल विश्वविद्यालय खोलने का प्रावधान किया गया. 
दिल्ली सरकार के 1011 स्कूलों में आधुनिक शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 50 स्कूलों को वर्ष 2015-16 मॉडल सुविधायुक्त स्कूल बनाया जायेगा.
दिल्ली के हर जिले में विकास कार्यों और सार्वजनिक संपत्ति के रखरखाव के लिये एक नई एजेंसी दिल्ली शहरी विकास एजेंसी (DUDA, डीयूडीए) बनाने का प्रस्ताव. यह एजेंसी स्वराज कोषके तहत लोगों द्वारा सुझाये गये काम को करेगी और क्षेत्र के विधायकों के सिफारिश पर ‘‘विधायक कोष’’ के तहत काम करेगी. 
स्वराज कोष के तहत 11 विधानसभाओं में जनता के आदेश अनुसार काम होगा, इसके लिए हर विधानसभा को 20 करोड़ रुपये दिए जाएंगे.
स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये 4,787 करोड़ रुपये का आवंटन किया. इसमें योजना व्यय 3,138 करोड़ रुपये रखा गया है जो कि वित्त वर्ष 2014-15 के मुकाबले 45 प्रतिशत अधिक है. 
स्वास्थ्य क्षेत्र का यह धन सरकारी अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या 10,000 तक पहुंचाने और दिल्ली के सभी हिस्सों में ‘‘मोहल्ला क्लिनिक’’ स्थापित करने पर किया जायेगा. इसके लिये 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
प्रमाणपत्र के लिए ई-डिस्ट्रिक्ट सेवा लाई जाएगी.
• 1690 करोड़ रुपये बिजली पानी सब्सिडी के लिए प्रस्तावित.
• MCD के लिए 5908 करोड़ रुपये प्रस्तावित.
आलू-प्याज के लिए पहली बार सुरक्षित भंडारण की व्यवस्था. 
दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना जरूरी
• 2 साल में दिल्ली को पूर्ण साक्षर राज्य बनाने का लक्ष्य. 
मजीठिया वेतन की सिफारिशों को सख्ती से लागू कराने के लिए प्रतिबद्ध
किसानों के फसल बर्बाद होने पर सहायता राशि 20 हजार रुपए प्रति एकड़ देने का फैसला किया गया है
शहीद होनेवाले दिल्ली पुलिस के सैनिकों को 1 करोड़ रुपए दिए जाने का प्रस्ताव. 
एक उच्च शिक्षा एवं कौशल विकास गारंटी योजना (Higher Education and Skill Development Guarantee Scheme) शुरू करने का प्रस्ताव जिसके तहत छात्रों को किसी भी जमानत या मार्जिन मनी के बिना 10 लाख रुपये तक का ऋण प्राप्त करने का प्रावधान. 
जन जल प्रबंधन योजना का प्रस्ताव जिसे विकेन्द्रीकृत तरीके से पानी और सीवरेज सेवाओं के प्रबंधन में समुदाय को शामिल करके शुरू किया जाएगा.
दिल्ली के लोगों ने 1 लाख 30 हजार करोड रुपये टैक्स दिया.
• 1 30000 रुपये का इनकम टैक्स दिल्ली के लोगों ने भरा है. लेकिन इसमें से 30% ही दिल्ली को मिल पाता है.


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