सेबी ने तकनीकी स्टार्टअप के लिए आईपीओ नियम आसान किये-(26-JUNE-2015) C.A

| Friday, June 26, 2015
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 23 जून 2015 को निदेशक मंडल की बैठक में स्टार्टअप कम्पनियों को बाजार से पूंजी जुटाने हेतु उनके लिए कई आईपीओ नियमों को आसान बनाने की घोषणा की है.
इसमें न केवल आईपीओ (Initial Public Offer- IPO) लिस्टिंग की प्रक्रिया को आसान बनाने के प्रावधान किये गये हैं बल्कि 3000 से ज्यादा स्टार्टअप कंपनियों को बाजार से पूंजी जुटाने की मंजूरी भी दी गयी है.

सेबी ने कंपनियों के लिए लिस्टिंग की समय सीमा 13 दिन से घटाकर दिन कर दी है, इसके अतिरिक्त प्रोमोटर्स और प्री-लिस्टिंग इन्वेस्टर्स के लिए लॉक-इन पीरियड तीन  वर्ष से घटाकर 6 महीने कर दिया गया है.

विनिमय बाजारों में स्टार्टअप्स के लिए अलग प्लेटफ़ॉर्म होगा जिससे स्टार्टअप कम्पनियां लाभ उठा सकेंगी. यह मंच उन कम्पनियों के लिए अधिक लाभप्रद है जो प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, बौद्धिक संपदा, डेटा विश्लेषण, जैव प्रौद्योगिकी और नैनो प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं.


यह कम्पनियों को उत्पाद, सेवाएं अथवा व्यापारिक प्लेटफ़ॉर्म उपलब्ध कराएगा. स्टार्ट-अप्स की लिस्टिंग के लिए 25 फीसदी हिस्सा इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टरों के पास होना जरूरी होगा. इंस्टीट्यूशनल कैटेगरी में एनबीएफसी भी निवेशक होंगे.

सेबी ने फास्ट ट्रैक इश्यू के लिए जारीकर्ता के पास सार्वजनिक हिस्सेदारी का बाज़ार पूंजीकरण की आवश्यकता को भी कम कर दिया है. इसे फ़ॉलो ऑन पब्लिक ऑफरिंग (एफपीओ) में 3000 करोड़ रूपए से 1000 करोड़ रूपए तथा अधिकारों के मामले में 250 करोड़ रूपए कर दिया गया है.

यह सिस्टम प्रमोटरों के पुनर्वर्गीकरण के लिए ढांचे को तर्कसंगत बनाकर उसे सार्वजनिक रूप प्रदान करेगा. इससे ढांचे में स्थिरता आएगी तथा निवेशकों को कंपनी / प्रमोटरों द्वारा संबंधित किसी कदम के उठाये जाने पर उन्हें सूचित भी करेगा.

आईपीओ की प्रक्रिया को व्यवस्थित बनाने के लिए सेबी रजिस्ट्रार तथा शेयर ट्रान्सफर एजेंट्स एवं डिपॉजिटरी प्रतिभागियों को फॉर्म स्वीकार करने का अधिकार प्रदान करता है तथा शेयर बाज़ार में बोली लगाने के लिए भी अनुमति प्रदान करता है.

0 comments:

Post a Comment