इंस्टिट्यूट ऑफ़ इकोनोमिक्स एंड पीस ने ग्लोबल पीस इंडेक्स (जीपीआई) 2015 जारी किया-(25-JUNE-2015) C.A

| Thursday, June 25, 2015
इंस्टिट्यूट ऑफ़ इकोनोमिक्स एंड पीस ने 16 जून 2015 को ग्लोबल पीस इंडेक्स (जीपीआई) 2015 जारी किया. ग्लोबल पीस इंडेक्स ने 2014 में शांति इसके कारणों और इसकी आर्थिक मूल्य का विवरण प्रस्तुत किया है.

ग्लोबल पीस इंडेक्स 2015 में राष्ट्रों को उनकी शांतिपूर्ण माहौल के अनुसार वरीयता प्रदान किया गया है.इसके द्वारा विश्व के लगभग 162 देशों की 99.6 प्रतिशत जनसंख्या के शांति की माप की जाती है.162 देशों के शांति गणना के आधार पर 2015 में भारत 143 वें स्थान पर रहा.2014 में भी भारत 143 वें स्थान पर ही था.
तीन व्यापक विषयों सुरक्षा,सामाजिक सुरक्षा तथा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय संघर्ष तथा सैन्यीकरण के आधार पर ग्लोबल पीस इंडेक्स तैयार किये जाते हैं.

इन तीनो व्यापक तथ्यों के आधार पर ग्लोबल पीस इंडेक्स की मुख्य विशेषताएं
सामाजिक सुरक्षा और सुरक्षा-इंडेक्स-हिंसा पर शहरीकरण के प्रभाव का अध्ययन करने के उपरांत इस निष्कर्ष निकलता है कि सामान्यतः शहरीकरण के विकास से शांति के स्तर में भी वृद्धि होती है.कमजोर कानून वाले देशों में शिकायत और असमानता के स्तर में शहरीकरण के विकास के आधार पर कमी दिखाई देती है.

इस क्षेत्र में 2014 की तुलना में हत्या की दर और हिंसक प्रदर्शनों में गिरावट के कारण 2015 में थोड़ा सुधार हुआ है.

घरेलू और अंतरराष्ट्रीय संघर्ष-इस इंडेक्स में सीरिया, इराक, यमन, लीबिया, इजरायल और लेबनान में होने वाली प्रमुख मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका (मेना) संघर्ष के छह प्रमुख कारणों की पहचान की गयी है. जिसमें सांप्रदायिक विभाजन को मजबूत बनाने में सरकार की वैधता के लिए चुनौतियां,इजराइल में अस्थिरता की स्थिति तथा सऊदी अरब और ईरान के मध्य प्रोक्सी युद्ध को समाप्त करना आदि भी शामिल है. 

सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन इस इंडेक्स में मीना मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका आदि क्षेत्रों जहाँ कई देश  सांप्रदायिक संघर्ष और नागरिक संघर्ष से संबंधित हिंसा में वृद्धि के कारण दुनिया में सबसे कम शांतिपूर्ण राष्ट्रों के रूप में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष दक्षिण एशिया के राष्ट्रों से भी निम्नतम स्तर पर रहें.

सैन्यीकरण- 1990 के बाद से विश्व स्तर पर संचालित भू राजनीतिक और आर्थिक बदलाव से जुड़े होने के कारण वैश्विक सैन्यीकरण के उपायों में धीमी और स्थिर कमी आई है लेकिन कमजोर सकारात्मक शांति कारकों वाले देशों द्वारा आंतरिक दमन के लिए सैन्य उपयोग के अधिक होने की संभावना है.

ग्लोबल पीस इंडेक्स 2015 के महत्वपूर्ण तथ्य 
2014 में वैश्विक स्तर पर जीपीआई स्कोर लगभग स्थिर रहा.इसमें कुछ मानकों पर तुलनात्मक दृष्टि से कुछ देश आगे रहे जबकि कुछ पीछे. 

विगत 8 वर्षों में औसतन 2.4 प्रतिशत के ह्रास के साथ वैश्विक स्तर पर शांतिपूर्ण स्थिति में कमी आई है. 

आइसलैंड सबसे शांतिपूर्ण देश है तथा डेनमार्क और ऑस्ट्रिया क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं.

शीर्ष 10 राष्ट्रों में न्यूजीलैंड, स्विट्जरलैंड, फिनलैंड, कनाडा, जापान, ऑस्ट्रेलिया और चेक गणराज्य आदि शामिल हैं.इन सभी राष्ट्रों में स्थिर लोकतंत्र है.

गिनी-बिसाऊ में सबसे अधिक सुधार हुआ है. 24 अंक सुधार के साथ गिनी-बिसाऊ 120 वें स्थान पर है. इसके अतिरिक्त सर्वाधिक सुधार वाले चार देश कोटे डी आइवर, मिस्र, ताजिकिस्तान और बेनिन हैं.

सर्वाधिक सुधार करने वाले राष्ट्रों में आम बात यह रही कि सभी राष्ट्रों में संगठित संघर्ष के स्तर में कमी आई.

लीबिया के स्तर में इस साल सबसे अधिक गिरावट आई.यह 13 स्थान नीचे गिरकर अब 149 वें स्थान पर पहुँच गया.

रूसी अलगाववादियों और यूक्रेनी सरकार के बीच संघर्ष तथा क्रीमिया युद्ध के कारण दूसरी सबसे बड़ी गिरावट यूक्रेन के लिए दर्ज की गई.

पिछले दस वर्षों में आतंकवाद को बढ़ावा मिला है.आतंकवादी गतिविधियों में सर्वाधिक मारे जाने वाले व्यक्ति इराक, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नाइजीरिया और सीरिया के हैं.

पिछले साल फ्रांस, डेनमार्क और ऑस्ट्रेलिया में होने वाले आतंकवादी हमलों ने सर्वाधिक शांतिपूर्ण राष्ट्रों को भी प्रभावित किया.

2014 में वैश्विक अर्थव्यवस्था पर हिंसा का आर्थिक प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई दिया और इसे दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद के 13.4 फीसदी  होने का अनुमान है.

यह ब्राजील, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन और ब्रिटेन के संयुक्त अर्थव्यवस्थाओं के बराबर है. 2008 के बाद से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 15.3 फीसदी की वृद्धि हुई है.

सर्वाधिक खर्च सैन्य सुरक्षा पर 43 फीसदी, पुलिस सहित आंतरिक सुरक्षा पर 18 फीसदी, हत्या और हिंसक अपराध पर 27 फीसदी किये गये हैं.

2008 के बाद से संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति की लागत लगभग दोगुनी से भी अधिक हो गयी है.

इस रिपोर्ट के अंतर्गत सकारात्मक शांति पर नए निष्कर्ष के साथ साथ शांति, विकास और अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक लक्ष्यों पर प्रकाश डाला गया है.

सकारात्मक शांति सांख्यिकीय रूप से लिंग समानता और पारिस्थितिक उपायों के बेहतर प्रदर्शन आदि तथ्यों से जुड़ा हुआ है.

भारत और ग्लोबल पीस इंडेक्स 2014
भारत 2014 के समान ही इस वर्ष भी 162 देशों में से 143 वें स्थान पर है.

आंतरिक संघर्ष के कारण माओवादी आंदोलन ग्रस्त क्षेत्रों में हताहतों की संख्या बढ़ी है.

राजनीतिक स्थिरता के कारण भारत की स्थिति में सुधार आया है.

दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत में 2014 में एक ऐतिहासिक चुनाव हुआ जिसमें 1980 के बाद भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ.

भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति भूटान (18), नेपाल (52), बांग्लादेश (84), श्रीलंका (114), पाकिस्तान (154) और अफगानिस्तान (160) है.

संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत चौथा सबसे बड़ा हिंसा की रोकथाम पर खर्च करने वाला राष्ट्र है. 

ग्लोबल पीस इंडेक्स के बारे में 
विश्व शांति के स्तर को जानने के उद्देश्य से 2007 में इसकी स्थापना की गयी थी. 2015 में इसकी 9 वीं श्रृंखला जारी की गयी

वैश्विक शांति का पता लगाने हेतु इंस्टिट्यूट ऑफ़ इकोनोमिक्स एंड पीस द्वारा ग्लोबल पीस इंडेक्स  जारी किया जाता है.

इस इंडेक्स के तहत 23 संकेतको के माध्यम से 162 देशों में पडोसी देशों के साथ सम्बन्ध,सैन्य खर्च,जेलों की आबादी आदि के आधार पर शांति पूर्ण स्थिति का अवलोकन किया जाता है.

इंस्टिट्यूट ऑफ़ इकोनोमिक्स एंड पीस मानवीय प्रगति एवं शांति की ओर व्यक्ति का ध्यान आकर्षण करने के लिए ठोस सकारात्मक उपायों पर कार्य करनेवाली सिडनी स्थित अंतरराष्ट्रीय स्वतंत्र थिंक टैंक है.

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