बॉम्बे हाई कोर्ट ने 8 अक्टूबर 2015 को 3700 करोड़ रुपयों के वोडाफोन ट्रांसफर प्राइसिंग मामले में आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) के आदेश के खिलाफ फैसला सुनाया.
यह फैसला हाईकोर्ट के जस्टिस एस सी धर्माधिकारी और अनिल मेनन की खंडपीठ ने वोडाफोन द्वारा आईटीएटी के फैसले के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई के दौरान सुनाया.
अपने पूर्व आदेश में आईटीएटी ने वोडाफोन को आयकर (आई–टी) अधिकारियों ने 3700 करोड़ रुपए कर की मांग के अनुपालन का निर्देश दिया था.
यह फैसला हाईकोर्ट के जस्टिस एस सी धर्माधिकारी और अनिल मेनन की खंडपीठ ने वोडाफोन द्वारा आईटीएटी के फैसले के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई के दौरान सुनाया.
अपने पूर्व आदेश में आईटीएटी ने वोडाफोन को आयकर (आई–टी) अधिकारियों ने 3700 करोड़ रुपए कर की मांग के अनुपालन का निर्देश दिया था.
उपरोक्त कर 2007– 2008 में हचिसन को वोडाफोन के कॉल सेंटर व्यापार – वोडाफोन इंडिया सर्विस प्राइवेट लिमिटेड (वीआईएसपीएल) की बिक्री पर लगाया गया था.
आईटी अधिकारियों के अनुसार यह लेन–देन पूंजीगत लाभ कर के प्रावधानों के अधीन है औऱ वोडाफोन कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है.
वोडाफोन ने यह कहते हुए इस आदेश को चुनौती दी थी कि कॉल सेंटर व्यापार की बिक्री दो घरेलू कंपनियों के बीच हुई थी, इसलिए इस समझौते पर हस्तांतरण मूल्य नियम लागू नहीं होते.
आईटी अधिकारियों के अनुसार यह लेन–देन पूंजीगत लाभ कर के प्रावधानों के अधीन है औऱ वोडाफोन कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है.
वोडाफोन ने यह कहते हुए इस आदेश को चुनौती दी थी कि कॉल सेंटर व्यापार की बिक्री दो घरेलू कंपनियों के बीच हुई थी, इसलिए इस समझौते पर हस्तांतरण मूल्य नियम लागू नहीं होते.
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