यूनेस्को ने जेंडर एंड एजुकेशन फॉर आल रिपोर्ट 2000-2015 जारी की-(23-OCT-2015) C.A

| Friday, October 23, 2015
जेंडर एंड एजुकेशन फॉर आल (ईएफए) 2000-2015: उपलब्धियां और चुनौतियां: विषय पर यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) ने 12 अक्टूबर 2015 को “जेंडर एंड एजुकेशन फॉर आल (ईएफए) 2000-2015: उपलब्धियां और चुनौतियां” रिपोर्ट जारी की. यह रिपोर्ट यूनेस्को की वैश्विक निगरानी रिपोर्ट (जीएमआर) और संयुक्त राष्ट्र ने  लड़कियों की शिक्षा पर पहल विषय पर केन्द्रित है.
इस रिपोर्ट में पूरे विश्व में लड़कियों की शिक्षा के अनुपात को प्रदर्शित किया गया है. 2005 से पहले तक आधे से कम देशों ने ही प्राथमिक और माध्यमिक दोनों ही क्षेत्र में लैंगिक समानता के लक्ष्य को हासिल किया.
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं-
• हालाँकि लैंगिक समानता का लक्ष्य विश्व के सभी देश हासिल नहीं कर सके हैं, फिर भी सन 2000 से लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति हुई है.
• उप-सहारा अफ्रीका में कोई भी देश लैंगिक समानता के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया है.
•  2000 के बाद से प्राथमिक और माध्यमिक दोनों ही क्षेत्र में लैंगिक समानता को हासिल करने वाले देशों की संख्या 36 से बढ़कर 62 हो गई है.
• 62 लाख लड़कियां अभी भी शिक्षा के बुनियादी अधिकार से वंचित हैं, स्कूल न जाने वाली लड़कियों की संख्या में पिछले 15 साल में 52 लाख तक की गिरावट आई है.
• युवा साक्षरता में लिंग अंतराल कम हो रहा हैं. उप-सहारा मरुस्थल अफ्रीका में 2015 तक प्रत्येक दस में से सात युवा महिलाओं को साक्षर बनाने की कोशिश की जा रही है.
• लैंगिक समानता को प्राप्त करने में स्कूल से संबंधित, लिंग आधारित हिंसा और बाल विवाह आदि मुख्य चुनौतियां हैं. वर्ष 2012 में अधिकतर शादी करने वाली पांच महिलाओं में से एक की आयु लगभग 15 -19 वर्ष थी. 
• इन समस्याओं के समाधान हेतु जेंडर एंड एजुकेशन फॉर आल रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सभी को नि: शुल्क शिक्षा उपलब्ध करायी जाय. किशोरियों को माध्यमिक शिक्षा के वैकल्पिक विकल्प दिए जाएं. इस समस्या से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए नीति और योजना बनाकर सभी पहलुओं पर सुझाव दिए जाए और उपाय किए जाए.
भारत के संबंध में रिपोर्ट
भारत में बालिकाओं के पढ़ने के लिए नि:शुल्क पुस्तकें, स्कूल चलो अभियान, ब्रिज कोर्स, महिला शिक्षकों की भर्ती, ग्रामीण और वंचित लड़कियों की संख्या स्कूलों में बढ़ाना और राष्ट्रीय कार्यक्रमों जैसी अनेक रणनीतियां को अपना कर शिक्षा में प्राथमिक और जूनियर (माध्यमिक से नीचे) स्तर पर लिंग अंतराल लगभग नगण्य है.