केंद्र सरकार द्वारा 7 अक्टूबर 2015 को पूर्व केंद्रीय गृह सचिव अनिल बैजल की अध्यक्षता में नियुक्त समिति ने सरकार को सीएसआर खर्च की निगरानी में सुधार के बारे में अपनी रिपोर्ट सौंप दी.
सीएसआर खर्च की निगरानी में सुधार हेतु कदम सुझाने के लिए केंद्रीय कॉरपोरेट मंत्रालय द्वारा समिति की स्थापना की गयी थी.
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कंपनी अधिनियम 2013 के तहत सभी सीएसआर (निगमित सामाजिक दायित्व) गतिविधियों के लिए समान कर उपचार और गैर अनुरूप कंपनियों के साथ पहले 2 से 3 साल तक नियमों में उदारता बरतने की सिफारिश की है.
समिति की रिपोर्ट के मुख्य आकर्षण
सीएसआर खर्च की निगरानी में सुधार हेतु कदम सुझाने के लिए केंद्रीय कॉरपोरेट मंत्रालय द्वारा समिति की स्थापना की गयी थी.
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कंपनी अधिनियम 2013 के तहत सभी सीएसआर (निगमित सामाजिक दायित्व) गतिविधियों के लिए समान कर उपचार और गैर अनुरूप कंपनियों के साथ पहले 2 से 3 साल तक नियमों में उदारता बरतने की सिफारिश की है.
समिति की रिपोर्ट के मुख्य आकर्षण
कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत सुझाव दिया गया है कि लाभदायक संस्थाए अपनी तीन साल की वार्षिक औसत आय का शुद्ध लाभ का कम से कम 2 प्रतिशत सीएसआर गतिविधियों के प्रति खर्च करें. पहले वित्तीय वर्ष अप्रैल 2014 से मार्च 2015 तक कंपनी अधिनियम के कार्यान्वयन के अनुपालन में रिपोर्ट 2015 अंत तक उपलब्ध होगी.
• अलग अलग सीएसआर गतिविधियों पर खर्च के लिए करों में भिन्नता से विकास क्षेत्रों में धन के आवंटन में विकृति पैदा हो सकती है.
• सभी पात्र गतिविधियों भर में सीएसआर पर खर्च के लिए सभी करों में एकरूपता होनी चाहिए, वर्तमान में केवल प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में अंशदान में कुछ गतिविधियां छूट योग्य हैं.
• सीएसआर के प्रावधानों के संबंधित धारा 135 की प्रयोज्यता को स्पष्ट किया जाए.
• एससीआर खर्च की निगरानी में सरकार की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए, इसकी जिम्मेदारी कॉरपोरेट और उनके संबंधित बोर्डों की होनी चाहिए.
• सीएसआर कंपनियों के व्यय की गुणवत्ता और प्रभावकारिता की निगरानी के लिए बाहरी विशेषज्ञों की कोई भूमिका भी सरकार द्वारा निर्धारित नहीं की जानी चाहिए.
• अलग अलग सीएसआर गतिविधियों पर खर्च के लिए करों में भिन्नता से विकास क्षेत्रों में धन के आवंटन में विकृति पैदा हो सकती है.
• सभी पात्र गतिविधियों भर में सीएसआर पर खर्च के लिए सभी करों में एकरूपता होनी चाहिए, वर्तमान में केवल प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में अंशदान में कुछ गतिविधियां छूट योग्य हैं.
• सीएसआर के प्रावधानों के संबंधित धारा 135 की प्रयोज्यता को स्पष्ट किया जाए.
• एससीआर खर्च की निगरानी में सरकार की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए, इसकी जिम्मेदारी कॉरपोरेट और उनके संबंधित बोर्डों की होनी चाहिए.
• सीएसआर कंपनियों के व्यय की गुणवत्ता और प्रभावकारिता की निगरानी के लिए बाहरी विशेषज्ञों की कोई भूमिका भी सरकार द्वारा निर्धारित नहीं की जानी चाहिए.
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