सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को असंवैधानिक घोषित किया-(17-OCT-2015) C.A

| Saturday, October 17, 2015
सर्वोच्च न्यायालय ने जजों की नियुक्ति के लिए बने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को 16 अगस्त 2015 को असंवैधानिक घोषित कर दिया. सर्वोच्च न्यायालय के पांच जजों की संविधान पीठ ने इसे खारिज किया. इसके साथ ही अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि जजों की नियुक्ति पहले की तरह कॉलेजियम सिस्टम से ही होगी. इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्तिट आयोग/ एनजेएसी  बनाने वाले कानून से संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन होता है.
उपरोक्त नए कानून को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन और दूसरे लोगों ने दलील दी थी कि जजों के सिलेक्शन और अप्वाइंटमेंट का नया कानून गैरसंवैधानिक है. इससे ज्यूडिशियरी के फ्रीडम पर असर पड़ेगा. इसमें जाने-माने वकील फली नरीमन, अनिल दीवान और राम जेठमलानी ने एनजेएसी बनाए जाने के खिलाफ तर्क दिए थे.

जस्टिस जे एस खेहड़ की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय के पांच सदस्यों वाली संविधान पीठ ने 99वें संविधान संशोधन और एनजेएसी की कॉन्स्टिट्यूशनल वैलिडिटी को चुनौती देने वाली याचिका पर 31 दिन तक बहस सुनने के बाद 15 जुलाई 2015 को सुनवाई पूरी की थी. इस बेंच में जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस मदन बी लोकूर, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस आदर्श कुमार गोयल शामिल थे.

विदित हो कि केंद्र की वर्तमान मोदी सरकार ने अगस्त  2014 में उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय में जजों के नियुक्ति के बीस साल से ज्यादा पुराने कॉलेजियम सिस्टम को खत्म करके वर्ष 2014 में संविधान में 99वां संशोधन करके राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्तिम आयोग/ एनजेएसी का प्रावधान किया था.

एनजेएसी एवं कॉलेजियम सिस्टम से संबंधित मुख्य तथ्य:एनजेएसी में (अगर लागू होता तो) जजों के नियुक्ति में केंद्र सरकार की भी भूमिका होती. एनजेएसी में भारत के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्टतम जज, केन्द्रीय कानून मंत्री के अलावा दो जानकार लोगों को भी शामिल करने का प्रावधान है. वहीं, पुराने कॉलेजियम पद्धति में पांच जजों का पैनल यह नियुक्ति करता था. सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद कॉलेजियम सिस्टम फिर से लागू हो गया है.

0 comments:

Post a Comment