अन्तरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट-2014 जारी की गयी-(17-OCT-2015) C.A

| Saturday, October 17, 2015
यूएस स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा 14 अक्टूबर 2015 को अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट-2014 जारी की गयी. इस रिपोर्ट द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता से पीड़ित लोगों की आवाज़ उठाने का प्रयास किया गया है.

इस रिपोर्ट में विभिन्न देशों एवं क्षेत्रों की 200 से अधिक रिपोर्ट्स शामिल हैं. इसमें धार्मिक स्वतंत्रता को हताहत करने वाले विभिन्न कारकों को शामिल किया गया है. 

पिछले कुछ वर्षों में धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध विश्व भर में हिंसात्मक घटनाएं बढ़ी हैं. इसके अतिरिक्त आतंकवाद तथा उग्रवाद से मुकाबले की घटनाएं एवं धार्मिक प्रतिबन्ध बढ़े हैं.

2014 में नकारात्मक विकास 

•    वर्ष 2014 में, सब-सहारा अफ्रीका एवं एशिया एवं मध्य पूर्व की सरकारें अपने नागरिकों को आतंकवादी गतिविधियों एवं उनके धार्मिक अधिकारों की रक्षा करने में असमर्थ रहीं.
•    सीरिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, म्यांमार एवं श्रीलंका की सरकारें नागरिकों के बीच धार्मिक सहिष्णुता की भावना उत्पन्न करने में असफल रही हैं. उदहारण के लिए, पाकिस्तान सरकार धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करने वाले लोगों को गिरफ्तार करने उनके खिलाफ करवाई करने में असमर्थ रही है.
•    बहुत से देशों ने आतंकवाद से मुकाबला करने के नाम पर अपने नागरिकों पर बहुत सी धार्मिक पाबंदियां लगा दीं.

2014 में सकारात्मक विकास 

•    धार्मिक एवं सिविल सोसाइटी समूहों ने धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए उपयुक्त कदम उठाने की कोशिश की है. 
•    मध्य पूर्व एवं इजिप्ट में ईसाई लोगों की व्यवस्था में सुधार: यह देखा गया है कि इन स्थानों पर ईसाईयों की दशा में सकारात्मक सुधार हुआ है. देश के नए संविधान के अनुसार नागरिकों के अधिकारों की रक्षा का प्रावधान दिया गया है.
•    अक्टूबर में तुर्कमेनिस्तान में धार्मिक कैदियों की रिहाई की गयी. 
•    धार्मिक हमलों पर सामाजिक प्रतिक्रिया, इस्लामोफोबिया एवं असहिष्णुता: डेनमार्क में 14-15 फरवरी को हुए आतंकवादी हमलों के उपरांत विभिन्न धर्मों के लोगों ने एक मानवीय रिंग बनाकर विश्व को एक संगठित एवं उत्तम संदेश दिया.
•    किर्गिस्तान में संवैधानिक चैम्बर : 4 सितम्बर को किर्गिस्तान में नौ जजों के एक पैनल को संवैधानिक चैम्बर नाम दिया गया. इस पैनल ने 2008 के धार्मिक कानून के कुछ भाग को असंवैधानिक करार दिया. उन्होंने 200 से कम सदस्यों वाले धार्मिक संगठन के पंजीकरण को आसान बनाया.
रिपोर्ट में भारत की स्थिति

•    संविधान में लोगों को किसी भी धर्म को अपनाने, उसे मानने की स्वतंत्रता दी गयी है तथा धर्मनिरपेक्ष राज्य बनाए जाने का प्रावधान दिया गया है. भारत के 29 में से 6 राज्यों ने धर्मांतरण विरोधी कानूनों को लागू किया है.
•    यह छह राज्य हैं : अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, छतीसगढ़, ओडिशा एवं मध्य प्रदेश.
•    आन्ध्र प्रदेश, छतीसगढ़ एवं कर्नाटक में वर्ष 2013 में ईसाईयों पर सबसे अधिक हमले किये गये. इस दौरान ईसाईयों के विरुद्ध 151 घटनाएं दर्ज की गयीं. आन्ध्र प्रदेश में 41, छतीसगढ़ में 28 तथा कर्नाटक में 27 केस दर्ज किये गये.
•    वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों एवं 2002 के सैकड़ों केस अभी भी ज्यों के त्यों पड़े हैं. 2002 दंगों के लिए बनाये गये नानावती-मेहता आयोग ने 18 नवम्बर 2014 को अपनी रिपोर्ट सौंपी.
•    सिख विरोधी दंगों के लिए सिख समुदाय की सिविल सोसाइटी अपना विरोध प्रकट करती रही है जिसमें 3000 लोग मारे गये थे.

अन्तरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट, 2014 को संयुक्त राज्य स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा तैयार किया गया तथा इसे अन्तरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता कानून 1998 के तहत, सेक्शन 102(बी) के साथ कांग्रेस में प्रस्तुत किया गया.

इस रिपोर्ट में सरकारी कर्मचारियों, धार्मिक नेताओं, गैर सरकारी संगठनों, पत्रकारों, मानव अधिकार कार्यकर्ताओं, धार्मिक समूहों एवं अन्य प्रतिनिधियों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया.

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