एलपीजी, केरोसिन और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आधार कार्ड के उपयोग को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश को संशोधित करने से इनकार किया-(12-OCT-2015) C.A

| Monday, October 12, 2015
एलपीजी, केरोसिन और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आधार कार्ड के उपयोग को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश को संशोधित करने से इनकार किया.
यह आदेश न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति एसए बोबडे और सी नागप्पन की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ द्वारा पारित किया गया. पीठ ने इस आदेश में संशोधन न करने के आदेश के साथ ही इस मामले पर पुन: विचार के लिए इसे सर्वोच्च न्यायालय की बड़ी पीठ को भेजा है.
अदालत यह निर्देश जारी कर चुकी है कि स्पष्टीकरण/ संशोधन की मांग वाले सभी आवेदनों को उचित आदेश के लिए चीफ जस्टिस एचएल दत्तू के समक्ष प्रस्तुत कर दिया जाय.
सर्वोच्च न्यायालय के 11 अगस्त के आदेश क्या है?
सर्वोच्च न्यायालय ने 11 अगस्त 2015 को आदेश दिया था कि आधार कार्ड जनता को जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए वैकल्पिक रहेगा. साथ ही शासन और अधिकारियों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली और रसोई गैस वितरण प्रणाली की तुलना में अन्य प्रयोजनों के लिए आधार कार्ड को आवश्यक करने पर रोक लगा दी थी. केन्द्र सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक, सेबी, इरडा, ट्राई, पेंशन कोष नियामक प्राधिकरण और गुजरात व झारखंड जैसे राज्यों ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की और इस बात पर जोर दिया कि विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रदान करने के लिए आधार कार्ड का स्वैच्छिक उपयोग किया जाना चाहिए.
सरकार द्वारा छूट की मांग क्यों?
आधार कार्ड जन धन योजना और डिजिटल भारत अभियान सहित कई योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है. इसके सीमित उपयोग को लेकर उच्चतम न्यायालय के आदेश से इन योजनाओं के सफल होने में संदेह है.
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा 90 करोड़ से अधिक नागरिकों को पहले से ही आधार कार्ड जारी कर दिए गए हैं और करोड़ों रुपये विभिन्न कल्याणकारी उपायों के साथ छह लाख गांवों को जोड़ने के लिए यूआईडीएआई योजना पर खर्च किया गया.
इसके अलावा आधार कार्ड कल्याणकरी योजनाओं से पैसे की फर्जी निकासी को रोकने में मदद करेगा.
प्रतिबंध क्यों लगा दिया गया?
इसमे यह तर्क दिया गया था कि सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य किया जाएगा.
व्यक्तिगत जानकारियों के मामले में आधार कार्ड के दुरुपयोग की संभावना है. खासकर किसी भी निरीक्षण या विनियमन और नामांकन के दौरान एकत्र की गई जानकारी के अभाव में किसी व्यक्ति की निजता पर अतिक्रमण होगा.
सर्वोच्च न्यायालय में मार्च 2014 को यह तर्क दिया गया कि कल्याणकारी योजनाओं के लाभ हेतु इन कार्डों को अनिवार्य नहीं किया जाएगा, और वैकल्पिक के रूप में 'आधार' करार दिया जाएगा. न्यायालय ने शासन के अधिकारियों को निर्देशित किया कि इस योजना के तहत नामांकन के लिए एकत्र किए जाने वाले व्यक्तिगत बायोमेट्रिक डाटा साझा करने पर रोक लगाई जाय.
आधार कार्ड क्या है?
आधार कार्ड, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा जारी एक विशिष्ट पहचान संख्या है. जो नागरिकों के लिए 2009 में स्थापित की गयी. कार्यक्रम के तहत हर नागरिक को 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या उपलब्ध कराई जा रही है. इसमे बॉयोमीट्रिक जानकारी भी एकत्र की जाती है.

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