इंडिया एट रिस्क: जसवंत सिंह
इंडिया एट रिस्क (India at Risk) नामक पुस्तक पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह द्वारा लिखित है. इसमें लेखक ने वर्ष 1999 में इंडियन एयरलाइंस के हाइजैक किए गए विमान IC-814 से संबंधित घटना का विस्तार से वर्णन किया है. पुस्तक में जसवंत सिंह ने तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री एवं भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के उस दावे का खंडन किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें जसवंत सिंह के आतंकवादियों के साथ जाने के फैसले के बारे में जानकारी नहीं थी.
जसवंत सिंह ने लालकृष्ण आडवाणी के दावे को खंडन करते हुए कहा है कि वर्ष 1999 में इंडियन एयरलाइंस के हाइजैक किए गए विमान में बंधक यात्रियों को छोड़ने के बदले में रिहा किए गए तीन आतंकवादियों के साथ कंधार जाने के उनके फैसले के बारे में तत्कालीन गृहमंत्री आडवाणी को जानकारी थी.
जसवंत सिंह ने पुस्तक में लिखा है कि पहले तो मैं किसी भी तरह का समझौता करने के खिलाफ था. बाद में जैसे-जैसे दिन गुजरता गया, मेरा मन बदलने लग गया. कंधार जाने के अपने निर्णय के कारण बताते हुए तत्कालीन विदेश मंत्री ने कहा कि उन्हें लगा कि उस वक्त मौके पर रहना उनकी जिम्मेदारी थी जब 161 बंधक यात्रियों के बदले तीन आतंकवादियों को छोड़ा जाएगा ताकि अंतिम समय में कोई अवरोध नहीं हो.
विदित हो कि 24 दिसम्बर 1999 को इंडियन एयरलाइंस के काठमांडो से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाले विमान का अपहरण कर लिया गया था और 1 जनवरी, 2000 को तीन आतंकवादियों को रिहा करने के बदले में विमान में बंधक बनाये गये यात्रियों को छोड़ने के साथ इस संकट का समाधान निकला.
इंडिया एट रिस्क (India at Risk) नामक पुस्तक पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह द्वारा लिखित है. इसमें लेखक ने वर्ष 1999 में इंडियन एयरलाइंस के हाइजैक किए गए विमान IC-814 से संबंधित घटना का विस्तार से वर्णन किया है. पुस्तक में जसवंत सिंह ने तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री एवं भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के उस दावे का खंडन किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें जसवंत सिंह के आतंकवादियों के साथ जाने के फैसले के बारे में जानकारी नहीं थी.
जसवंत सिंह ने लालकृष्ण आडवाणी के दावे को खंडन करते हुए कहा है कि वर्ष 1999 में इंडियन एयरलाइंस के हाइजैक किए गए विमान में बंधक यात्रियों को छोड़ने के बदले में रिहा किए गए तीन आतंकवादियों के साथ कंधार जाने के उनके फैसले के बारे में तत्कालीन गृहमंत्री आडवाणी को जानकारी थी.
जसवंत सिंह ने पुस्तक में लिखा है कि पहले तो मैं किसी भी तरह का समझौता करने के खिलाफ था. बाद में जैसे-जैसे दिन गुजरता गया, मेरा मन बदलने लग गया. कंधार जाने के अपने निर्णय के कारण बताते हुए तत्कालीन विदेश मंत्री ने कहा कि उन्हें लगा कि उस वक्त मौके पर रहना उनकी जिम्मेदारी थी जब 161 बंधक यात्रियों के बदले तीन आतंकवादियों को छोड़ा जाएगा ताकि अंतिम समय में कोई अवरोध नहीं हो.
विदित हो कि 24 दिसम्बर 1999 को इंडियन एयरलाइंस के काठमांडो से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाले विमान का अपहरण कर लिया गया था और 1 जनवरी, 2000 को तीन आतंकवादियों को रिहा करने के बदले में विमान में बंधक बनाये गये यात्रियों को छोड़ने के साथ इस संकट का समाधान निकला.
Who: जसवंत सिंह
What: इंडिया एट रिस्क
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