भारत और वियतनाम के बीच सज़ायाफता कैदियों के ह‍स्‍तांतरण की संधि पर हस्‍ताक्षर-(02-NOV-2013) C.A

| Saturday, November 2, 2013
भारत और वियतनाम ने दोनों देशों की जेलों में बंद एक-दूसरे के नागरिकों को स्वदेश भेजने के समझौते पर हस्ताक्षर किए. समझौते पर भारत के केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और वियतनाम के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री त्रान दाई क्वांग ने नई दिल्ली में 1 नवंबर 2013 को हस्ताक्षर किए.
 
इस संधि के मुख्य प्रावधान 
इस संधि में वियतनाम में सज़ा काट रहे भारतीय कैदियों को अपनी शेष सज़ा भारत में पूरी करने का प्रावधान किया गया है.  इससे उन्‍हें अपने परिवार से मिलने में सुविधा होगी. इससे उनके सामाजिक पुनर्वास की प्रक्रिया में भी मदद मिलेगी.

इसके अलावा दोनों मंत्रियों ने सुरक्षा मामलों, प्रशिक्षिण के मुददों, क्षमता निर्माण, साइबर-सुरक्षा, सा‍इबर-अपराध, एक-दूसरे के देश में अपराध, आतंकवाद और आपदा प्रबंधन पर आपसी बातचीत की. दोनों देशों ने आपसी हित के विभिन्‍न मुद्दों पर मिलकर काम करने का संकल्‍प भी दोहराया.

विदित हो कि भारत सरकार ने अब तक इस तरह के समझौते ब्रिटेन, मॉरीशस, बुल्‍गारिया, कम्‍बोडिया, मिस्र, फ्रांस, बांग्‍लादेश, कोरिया, सउदी अरब, ईरान, श्रीलंका, संयुक्‍त अरब अमारात, मालदीव, थाईलैंड, तुर्की, इटली, बोस्निया और हर्जेगोविना, इजरायल और रूस के साथ किए हैं.
 
इसी तरह के समझौतों पर बातचीत की प्रक्रिया कनाडा, हॉंगकांग, ब्राजील और स्‍पेन की सरकारों के साथ भी सम्‍पन्‍न हुई है. इन संधियों से श्रीलंका, मॉ‍रीशस और ब्रिटेन से 43 भारतीय कैदियों की स्‍वदेश वापसी में मदद मिली है. इसी तरह ब्रिटेन और फ्रांस के 7 कैदियों को उनके अपने देश भेजा जा सकेगा.

7वीं संयुक्‍त राष्‍ट्र कांग्रेस में अपराध की रोकथाम और अपराधियों के आचरण पर वर्ष 1985 में विदेशी कैदियों के स्‍थानान्‍तरण से संबंधित मॉडल समझौते को अपनाया गया था. इसके बाद से कई देशों ने द्विपक्षपीय और बहुपक्षीय संधियां की हैं. 

कैदियों के प्रत्‍यावर्तन अधिनियम-2003 को उक्‍त उद्देश्‍यों को प्राप्‍त करने के लिए लागू किया गया था. इस अधिनियम के मकसद को हासिल करने के लिए आपसी हित वाले देशों के बीच एक संधि पर हस्ताक्षर किए जाने की जरूरत है.


Who: भारत और वियतनाम
Where: नई दिल्ली
What: जेलों में बंद एक-दूसरे के कैदियों को स्वदेश भेजने के समझौते पर हस्ताक्षर
When: 1 नवंबर 2013


0 comments:

Post a Comment