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राजस्थानी भाषा के साहित्यकार
वर्ष 2007 में पद्मश्री
से सम्मानित विजयदान देथा का जोधपुर जिले के बोरूंदा गांव में 10 नवंबर 2013 को निधन हो गया. वह 87 वर्ष के थे. विजयदान देथा 'बिज्जी' के उपनाम से भी जाना जाता था. वह अपनी
कहानियों के लिए देश-विदेश में काफी मशहूर थे.
विजयदान देथा से संबधित मुख्य तथ्य
• पद्मश्री विजयदान देथा का जन्म राजस्थान के जोधपुर जिले के बोरूंदा गांव में 1 सितंबर 1926 को हुआ.
• वह राजस्थानी लोक संस्कृति की प्रमुख संरक्षक संस्था रूपायन संस्थान (जोधपुर) के सचिव रहे. विजयदान देथा को राजस्थानी के लिए 1974 का साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1992 में भारतीय भाषा परिषद पुरस्कार, वर्ष 1995 का मरुधारा पुरस्कार, वर्ष 2002 का बिहारी पुरस्कार प्रदान किया गया.
• विजयदान देथा को वर्ष 2006 का साहित्य चूड़ामणि पुरस्कार, वर्ष 2007 में पद्मश्री, मेहरानगढ़ संग्राहलय ट्रस्ट द्वारा 2011 में राव सिंह पुरस्कार, वर्ष 2012 में राजस्थान रत्न अवार्ड से सम्मानित किया गया.
• देथा की लिखी कहानियों पर दो दर्जन से ज्यादा फिल्में बन चुकी हैं, जिनमें मणि कौल द्वारा निर्देशित दुविधा पर अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं.
• वर्ष 1986 में उनकी कथा पर प्रकाश झा द्वारा निर्देशित फिल्म परिणीति काफी प्रभावित हुई.
• विजयदान देथा को राजस्थान साहित्य अकादमी ने वर्ष 1972-73 में विशिष्ट साहित्यकार के रूप में सम्मानित किया.
• विजयदान देथा की राजस्थानी में चौदह खडों में प्रकाशित बातां री फुलवाड़ी के दसवें खण्ड को भारतीय राष्ट्रीय साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत किया गया, जो राजस्थानी कृति पर पहला पुरस्कार है.
• जहां तक उनके साहित्य का सवाल है तो एक बात जाननी ज़रूरी है कि वो मूल रूप से राजस्थानी के लेखक थे और सौभाग्य से उनका लगभग पूरा साहित्य हिंदी में अनुदित होकर आ गया है.
• उनकी रचनावली कई खंड में प्रकाशित होने जा रही है.
• वह रवीन्द्र नाथ टैगोर और शरतचंद के के बहुत बड़े प्रशंसक थे. उन्होंने पूरा विश्व साहित्य गहराई के साथ पढ़ा था.
• लोक कथाओं एवं कहावतों का अद्भुत संकलन करने वाले पद्मश्री विजयदान देथा की कर्मस्थली उनका पैथृक गांव बोरूंदा ही रहा तथा एक छोटे से गांव में बैठकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के साहित्य का सृजन किया.
विजयदान देथा की कृतियां
• विजयदान देथा की राजस्थानी में चौदह खडों में प्रकाशित कथा संग्रह “बातां री फुलवाड़ी” उनकी प्रमुख कृति है.
• उनकी अन्य प्रकाशित कृतियों में राजस्थानी हिन्दी कहावत कोष, साहित्य और समाज, प्रेमचन्द्र के पात्र, दुविधा और अन्य कहानियां उलझन, अलेखूं हिटलर तथा रूंख प्रमुख है.
• उन्होंने वर्ष 1953 से 1955 तक हिन्दी मासिक प्रेरणा का सम्पादन किया. बाद में हिन्दी त्रैमासिक रूपम, राजस्थानी शोध पत्रिका परम्परा, लोकगीत, गोरा हट जा, राजस्थान के प्रचलित प्रेमाख्यान का विवेचन, जैठवै रा सोहठा और कोमल कोठारी के साथ संयुक्त रूप से वाणी और लोक संस्कृति का सम्पादन किया.
विजयदान देथा से संबधित मुख्य तथ्य
• पद्मश्री विजयदान देथा का जन्म राजस्थान के जोधपुर जिले के बोरूंदा गांव में 1 सितंबर 1926 को हुआ.
• वह राजस्थानी लोक संस्कृति की प्रमुख संरक्षक संस्था रूपायन संस्थान (जोधपुर) के सचिव रहे. विजयदान देथा को राजस्थानी के लिए 1974 का साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1992 में भारतीय भाषा परिषद पुरस्कार, वर्ष 1995 का मरुधारा पुरस्कार, वर्ष 2002 का बिहारी पुरस्कार प्रदान किया गया.
• विजयदान देथा को वर्ष 2006 का साहित्य चूड़ामणि पुरस्कार, वर्ष 2007 में पद्मश्री, मेहरानगढ़ संग्राहलय ट्रस्ट द्वारा 2011 में राव सिंह पुरस्कार, वर्ष 2012 में राजस्थान रत्न अवार्ड से सम्मानित किया गया.
• देथा की लिखी कहानियों पर दो दर्जन से ज्यादा फिल्में बन चुकी हैं, जिनमें मणि कौल द्वारा निर्देशित दुविधा पर अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं.
• वर्ष 1986 में उनकी कथा पर प्रकाश झा द्वारा निर्देशित फिल्म परिणीति काफी प्रभावित हुई.
• विजयदान देथा को राजस्थान साहित्य अकादमी ने वर्ष 1972-73 में विशिष्ट साहित्यकार के रूप में सम्मानित किया.
• विजयदान देथा की राजस्थानी में चौदह खडों में प्रकाशित बातां री फुलवाड़ी के दसवें खण्ड को भारतीय राष्ट्रीय साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत किया गया, जो राजस्थानी कृति पर पहला पुरस्कार है.
• जहां तक उनके साहित्य का सवाल है तो एक बात जाननी ज़रूरी है कि वो मूल रूप से राजस्थानी के लेखक थे और सौभाग्य से उनका लगभग पूरा साहित्य हिंदी में अनुदित होकर आ गया है.
• उनकी रचनावली कई खंड में प्रकाशित होने जा रही है.
• वह रवीन्द्र नाथ टैगोर और शरतचंद के के बहुत बड़े प्रशंसक थे. उन्होंने पूरा विश्व साहित्य गहराई के साथ पढ़ा था.
• लोक कथाओं एवं कहावतों का अद्भुत संकलन करने वाले पद्मश्री विजयदान देथा की कर्मस्थली उनका पैथृक गांव बोरूंदा ही रहा तथा एक छोटे से गांव में बैठकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के साहित्य का सृजन किया.
विजयदान देथा की कृतियां
• विजयदान देथा की राजस्थानी में चौदह खडों में प्रकाशित कथा संग्रह “बातां री फुलवाड़ी” उनकी प्रमुख कृति है.
• उनकी अन्य प्रकाशित कृतियों में राजस्थानी हिन्दी कहावत कोष, साहित्य और समाज, प्रेमचन्द्र के पात्र, दुविधा और अन्य कहानियां उलझन, अलेखूं हिटलर तथा रूंख प्रमुख है.
• उन्होंने वर्ष 1953 से 1955 तक हिन्दी मासिक प्रेरणा का सम्पादन किया. बाद में हिन्दी त्रैमासिक रूपम, राजस्थानी शोध पत्रिका परम्परा, लोकगीत, गोरा हट जा, राजस्थान के प्रचलित प्रेमाख्यान का विवेचन, जैठवै रा सोहठा और कोमल कोठारी के साथ संयुक्त रूप से वाणी और लोक संस्कृति का सम्पादन किया.
Who: राजस्थानी भाषा
के साहित्यकार विजयदान देथा
Where: जोधपुर जिले के बोरूंदा गांव
What: निधन
When: 10 नवंबर 2013
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