संयुक्त राष्ट्र की मौसम एवं जलवायु से संबंधित इकाई वर्ल्ड
मीटीओरोलॉजिकल ऑर्गेनाईजेशन (डब्ल्यूएमओ) के द्वारा 06 नवबंर 2013 को जारी वार्षिक ग्रीन हाउस गैस बुलेटिन
के अनुसार वर्ष 1990 से 2012 के बीच
पृथ्वी के वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैसों की सांद्रता में रिकॉर्ड वृद्धि हुई.
डब्ल्यूएमओ के बुलेटिन के अनुसार कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) तथा उष्मा अवशोषित रखने वाली गैसों जैसे मेथेन एवं नाइट्रस ऑक्साइड की
बढ़ती मात्रा के कारण जलवायु को गर्म करने वाले कारकों में 32 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई. इस बढ़ोत्तरी में कार्बन डाई ऑक्साइड का योगदान
सर्वाधिक 80 प्रतिशत रहा. वर्षवार, कार्बन
डाई ऑक्साइड की मात्रा में बढ़ोत्तरी 2011-12 के दौरान
सर्वाधिक हुई जो कि पिछले दस वर्षों के दौरान हुई बढ़ोत्तरी के औसत से अधिक रही.
साथ ही. बुलेटिन में कार्बन डाई ऑक्साइड के मात्रा के 2015-16 तक लगातार बढ़ते रहने का अनुमान लगाया गया है.
डब्ल्यूएमओ के महासचिव माइकल जैरौड ने बुलेटिन जारी करते
हुए कहा, “डब्ल्यूएमओ का वृहद ग्लोबल एटमॉस्फीयर वाच
नेटवर्क इस तथ्य की ओर इंगित करती है कि किस प्रकार मानवीय गतिविधियों ने हमारे
वायुमंडल में असंतुलन की स्थिति पैदा कर दी है जो कि जलवायु परिवर्तन के मुख्य
कारणों में से एक है. द इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन
क्लाईमेट चेंज (आईपीसीस) ने अपने 5वें मूल्यांकन प्रतिवेदन
में जोर दिया था कि वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड, मेथेन
एवं नाइट्रस ऑक्साइड का स्तर आठ लाख वर्षों में अनुमान से कहीं अधिक बढ़ा है.
आईपीसीसी के अनुसार यदि हम इसी प्रकार बिजनेस करते रहे तो वैश्विक औसत तापमान में
इस शताब्दी के अंत तक 4.6 डिग्री की बढ़ोत्तरी होगी. इसके
भयंकर परिणाम होंगी.”
डब्ल्यूएमओ के वार्षिक ग्रीन हाउस गैस बुलेटिन के तथ्य
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वर्ष 1750 से लेकर संदर्भित वर्ष तक वैश्विक स्तर पर औसत कार्बन डाई ऑक्साइड की
सांद्रता में 41 प्रतिशत, मेथेन की
सांद्रता में 160 प्रतिशत तथा नाइट्रस ऑक्साइड की सांद्रता
में 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई.
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वायुमण्डल में बढ़ रही अनियंत्रित
घटनाएं वृहद मुद्दे का हिस्सा भर हैं.
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मानवीय गतिविधियों से उत्सर्जित हो
रही कार्बन डाई ऑक्साइड की कुल मात्रा का अधिकतम आधा हिस्सा ही जैवमंडल तथा
महासागरों द्वारा अवशोषित हो पाता है.
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डब्ल्यूएमओ का वार्षिक ग्रीन हाउस
गैस बुलेटिन वायुमंडल की सांद्रताओं पर आधारित है न कि ग्रीन हाउस गैसों के
उत्सर्जन पर. उत्सर्जन वह है जो कि वातावरण में पहुंचता है तथा सांद्रता वह जो कि
वायुमंडल में जैवमंडल, वायुमंडल तथा
महासागरों के जटिल संपर्कों के बाद बना रहा है.
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कार्बन डाई ऑक्साइड की कुल मात्रा 2012 में 393.1 पार्ट्स प्रति मिलियन या औद्योगिकरण के
स्तर 278 पार्ट्स प्रति मिलियन के स्तर से 141 प्रतिशत अधिक थी.
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वायुमंडल में 40 प्रतिशत मेथेन प्राकृतिक स्रोतों से उत्सर्जित होती है जबकि शेष मानवीय
गतिविधियों जैसे मवेशी प्रजनन, धान की खेती, जीवाश्म ईंधन संदोहन, कचरे के ढेर तथा जैव ईंधन के
दहन, आदि से होती है.
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मेथेन की कुल मात्रा 2012 में 1819 पार्ट्स प्रति बिलियन थी जो कि औद्योगिकरण
के स्तर से 260 प्रतिशत अधिक थी.
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नाइट्रस ऑक्साइड की कुल मात्रा 2012 में 325.1 पार्ट्स प्रति बिलियन थी जो कि औद्योगिकरण
के स्तर से 120 प्रतिशत अधिक थी.
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नाइट्रस ऑक्साइड का जलवायु पर 100 वर्षों के अंतराल में होने वाले कुल प्रभाव इतने ही समय में कार्बन डाई
ऑक्साइड के प्रभाव से 298 गुना अधिक होता है.
वर्ल्ड मीटीओरोलॉजिकल ऑर्गेनाईजेशन (डब्ल्यूएमओ, World
Meteorological Organisation, WMO)
वर्ल्ड मीटीओरोलॉजिकल ऑर्गेनाईजेशन संयुक्त राष्ट्र की
विशिष्ट संस्थाओं में से एक है. यह पृथ्वी के वायुमंडल की अवस्था तथा व्यवहार हेतु
संयुक्त राष्ट्र एक अधिकृत संगठन है. डब्ल्यूएमओ के कुल सदस्यों की संख्या 1 जनवरी 2013 को 191 थी.
डब्ल्यूएमओ की उत्पत्ती इंटरनेशनल मीटीओरोलॉजिकल
ऑर्गेनाईजेशन (आईएमओ) से हुई थी. आईएमओ की स्थापना 1873 में की गयी थी
जबकि डब्ल्यूएमओ की स्थापना 1950 में हुई. डब्ल्यूएमओ 1951
में मौसम एवं जलवायु हेतु संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट संस्था बनीं.
Who: पृथ्वी के वायुमण्डल में
What: ग्रीन हाउस गैसों
की सांद्रता रिकॉर्ड बढ़ी
When: वर्ष 1990 से 2012 के
बीच
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