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उत्खनन के दौरान नालंदा के
तेलहड़ा में नालंदा व विक्रमशिला के बाद तीसरे प्राचीन विश्वविद्यालय का पता चला.
यह जानकारी ‘पूर्व भारत में
नूतन उत्खनन’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय
संगोष्ठी में पुरातत्वविद अतुल कुमार वर्मा ने दी. राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
कला संस्कृति, युवा विभाग एवं बिहार पुराविद परिषद के
संयुक्त तत्वावधान में 12-13 नवंबर 2013 को पटना संग्रहालय सभागार में किया गया. यह विश्वविद्यालय गुप्तकाल से
पाल काल तक अस्तित्व में रहा था. खिलजी वंश के बख्तियार खिलजी ने इसे जलाकर नष्ट
कर दिया था.
पुरातत्वविद अतुल कुमार वर्मा ने इस संगोष्ठी में तेलहड़ा पर आलेख प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने अब तक मिले अवशेषों की जानकारियां दीं. पुरातत्वविद अतुल कुमार वर्मा ने अपने आलेख में बताया कि प्राचीनकाल में तेलहड़ा सोन नदी के किनारे बसा था. चीनी यात्री इत्सीन ने अपने यात्र वृतांत में बताया है कि यहां सबसे खूबसूरत बौद्ध मठ है. खुदाई में बौद्ध मठ का अस्तित्व भी प्राप्त हुआ. यहां उत्खनन के दौरान प्रस्तर और कांस्य की मूर्तियां, हाथी दांत की छोटी-छोटी मूर्तियां भी मिली. वर्ष 2009 से चल रही खोदाई में यहां तांबे की घंटियां भी मिली हैं.
वर्तमान में तेलहड़ा नालंदा से 50 किलोमीटर व बिहारशरीफ से 35 किलोमीटर दूर एकंगरसराय के पास है
पुरातत्वविद अतुल कुमार वर्मा ने इस संगोष्ठी में तेलहड़ा पर आलेख प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने अब तक मिले अवशेषों की जानकारियां दीं. पुरातत्वविद अतुल कुमार वर्मा ने अपने आलेख में बताया कि प्राचीनकाल में तेलहड़ा सोन नदी के किनारे बसा था. चीनी यात्री इत्सीन ने अपने यात्र वृतांत में बताया है कि यहां सबसे खूबसूरत बौद्ध मठ है. खुदाई में बौद्ध मठ का अस्तित्व भी प्राप्त हुआ. यहां उत्खनन के दौरान प्रस्तर और कांस्य की मूर्तियां, हाथी दांत की छोटी-छोटी मूर्तियां भी मिली. वर्ष 2009 से चल रही खोदाई में यहां तांबे की घंटियां भी मिली हैं.
वर्तमान में तेलहड़ा नालंदा से 50 किलोमीटर व बिहारशरीफ से 35 किलोमीटर दूर एकंगरसराय के पास है
Where: तेलहड़ा, नालंदा
What: तीसरे प्राचीन विश्वविद्यालय के
साक्ष्य
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