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सर्वोच्च न्यायालय ने
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को असंवैधानिक क़रार देने वाले उच्च न्यायालय, गुवाहाटी के फ़ैसले पर 9 नवंबर 2013 को रोक लगा दिया. इस संबंध में
अगली सुनवाई 6 दिसंबर 2013 को
होगी.
अटॉर्नी जनरल गुलाम वाहनवती के अनुसार उच्च न्यायालय, गुवाहाटी के इस फ़ैसले की कॉपी केंद्र सरकार को 8 नवंबर 2013 को प्राप्त हुई. उसके बाद केंद्र सरकार ने 9 नवंबर 2013 को सर्वोच्च न्यायालय में स्पेशल लीव पिटिशन(एसएलपी) दायर की. भारत के प्रधान न्यायाधीश ने अपने निवास पर इसकी सुनवाई करते हुए इस आदेश पर रोक लगा दी. सर्वोच्च न्यायालय में एक कैवियट याचिका दायर कर कहा गया था कि सीबीआई मामले में केंद्र सरकार की याचिका पर आदेश दिए जाने से पहले याचिकाकर्ता नरेंद्र कुमार को भी सुना जाए.
अपने अपील में केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा था कि सीबीआई को असंवैधानिक क़रार देने में उच्च न्यायालय, गुवाहाटी से ग़लती हुई है. केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि उच्च न्यायालय, गुवाहाटी के फ़ैसले का नौ हज़ार मुक़दमों और सीबीआई द्वारा की जा रही एक हज़ार से अधिक जाँचों पर पड़ेगा.
उच्च न्यायालय, गुवाहाटी का फ़ैसला
उच्च न्यायालय, गुवाहाटी ने अपने फ़ैसले में कहा था कि सीबीआई के गठन के लिए "गृह मंत्रालय का प्रस्ताव न तो केंद्रीय मंत्रिमंडल का फ़ैसला था और न इन कार्यकारी निर्देशों को राष्ट्रपति ने अपनी मंज़ूरी दी थी." "संबंधित प्रस्ताव को अधिक से अधिक एक विभागीय निर्देश के रूप में लिया जा सकता है, जिसे क़ानून नहीं कहा जा सकता."
उच्च न्यायालय, गुवाहाटी ने अपने आदेश में आगे कहा, कि "मामला दर्ज करने, किसी व्यक्ति को अपराधी के रूप में ग़िरफ़्तार करने, जांच करने, ज़ब्ती करने, संदिग्धों पर मुक़दमा चलाने जैसी सीबीआई की गतिविधियां संविधान के अनुच्छेद-21 को आघात पहुंचाती हैं और इसलिए उसे असंवैधानिक मानकर रद्द किया जाता है."
विदित हो कि उच्च न्यायालय, गुवाहाटी ने यह निर्णय नवेंद्र कुमार की उस याचिका की सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सीबीआई के गठन को चुनौती दी गई थी.
वर्ष 2007 में उच्च न्यायालय, गुवाहाटी की ही एक सदस्यीय पीठ ने वह याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन अब न्यायमूर्ति न्यायाधीश आईए अंसारी और न्यायमूर्ति न्यायाधीश इंदिरा शाह की खंडपीठ ने गृह मंत्रालय के 1963 के उस संकल्प को ही गैरकानूनी करार दिया है, जिसके तहत सीबीआई के गठन का दावा किया जाता रहा है.
संविधान का अनुच्छेद-21 व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है.
अटॉर्नी जनरल गुलाम वाहनवती के अनुसार उच्च न्यायालय, गुवाहाटी के इस फ़ैसले की कॉपी केंद्र सरकार को 8 नवंबर 2013 को प्राप्त हुई. उसके बाद केंद्र सरकार ने 9 नवंबर 2013 को सर्वोच्च न्यायालय में स्पेशल लीव पिटिशन(एसएलपी) दायर की. भारत के प्रधान न्यायाधीश ने अपने निवास पर इसकी सुनवाई करते हुए इस आदेश पर रोक लगा दी. सर्वोच्च न्यायालय में एक कैवियट याचिका दायर कर कहा गया था कि सीबीआई मामले में केंद्र सरकार की याचिका पर आदेश दिए जाने से पहले याचिकाकर्ता नरेंद्र कुमार को भी सुना जाए.
अपने अपील में केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा था कि सीबीआई को असंवैधानिक क़रार देने में उच्च न्यायालय, गुवाहाटी से ग़लती हुई है. केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि उच्च न्यायालय, गुवाहाटी के फ़ैसले का नौ हज़ार मुक़दमों और सीबीआई द्वारा की जा रही एक हज़ार से अधिक जाँचों पर पड़ेगा.
उच्च न्यायालय, गुवाहाटी का फ़ैसला
उच्च न्यायालय, गुवाहाटी ने अपने फ़ैसले में कहा था कि सीबीआई के गठन के लिए "गृह मंत्रालय का प्रस्ताव न तो केंद्रीय मंत्रिमंडल का फ़ैसला था और न इन कार्यकारी निर्देशों को राष्ट्रपति ने अपनी मंज़ूरी दी थी." "संबंधित प्रस्ताव को अधिक से अधिक एक विभागीय निर्देश के रूप में लिया जा सकता है, जिसे क़ानून नहीं कहा जा सकता."
उच्च न्यायालय, गुवाहाटी ने अपने आदेश में आगे कहा, कि "मामला दर्ज करने, किसी व्यक्ति को अपराधी के रूप में ग़िरफ़्तार करने, जांच करने, ज़ब्ती करने, संदिग्धों पर मुक़दमा चलाने जैसी सीबीआई की गतिविधियां संविधान के अनुच्छेद-21 को आघात पहुंचाती हैं और इसलिए उसे असंवैधानिक मानकर रद्द किया जाता है."
विदित हो कि उच्च न्यायालय, गुवाहाटी ने यह निर्णय नवेंद्र कुमार की उस याचिका की सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सीबीआई के गठन को चुनौती दी गई थी.
वर्ष 2007 में उच्च न्यायालय, गुवाहाटी की ही एक सदस्यीय पीठ ने वह याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन अब न्यायमूर्ति न्यायाधीश आईए अंसारी और न्यायमूर्ति न्यायाधीश इंदिरा शाह की खंडपीठ ने गृह मंत्रालय के 1963 के उस संकल्प को ही गैरकानूनी करार दिया है, जिसके तहत सीबीआई के गठन का दावा किया जाता रहा है.
संविधान का अनुच्छेद-21 व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है.
Who: सर्वोच्च न्यायालय
Where: नई दिल्ली
What: उच्च न्यायालय, गुवाहाटी के फ़ैसले पर रोक
When: 9 नवंबर 2013 को
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