भारत एवं जर्मनी के बीच 5 अक्टूबर 2015 को 18 सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर हुआ. भारत की यात्रा पर आयीं जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दोनों देशों के आपसी व्यापार व रणनीतिक सहयोग के 18 क्षेत्रों में एमओयू-सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए.
दोनों देशों ने पर्यावरण सुरक्षा के लिए सौर ऊर्जा, हरित व स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने को प्राथमिकता के रूप में स्वीकार किया. जर्मनी ने भारत में सौर ऊर्जा के लिए एक अरब यूरो का कोष बनाने का ऐलान किया. समझौते के मुताबिक भारत में जर्मन कंपनियों को तेजी से मंजूरी देने की प्रक्रिया प्रारंभ होगी. इसके साथ ही दोनों देशों ने सुरक्षा परिषद में सुधार पर फिर से सहमति जताई और आतंकवाद व उग्रवाद से साझा लड़ाई का ऐलान किया. समझौते के मुताबिक रक्षा,सुरक्षा,खुफिया जानकारी,रेलवे,व्यापार, निवेश और स्वच्छ ऊर्जा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में संबंधों को विस्तार दिया जाएगा. बातचीत के बाद संयुक्त रूप से मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हमारा ध्यान आर्थिक संबंधों पर है. लेकिन मेरा मानना है कि असीमित चुनौतियों और अवसरों के संसार में भारत और जर्मनी दुनिया के लिए और अधिक मानवीय, शांतिपूर्ण, न्यायोचित तथा टिकाउ भविष्य हासिल करने में भी मजबूत साझेदार हो सकते हैं.
मेक इन इंडिया के लिए विशेष सहयोग पर जोर:
जर्मनी की कंपनियों के लिए फास्ट-ट्रैक मंजूरी प्रक्रिया पर समझौते के तहत जर्मन कंपनियों को परियोजनाओं के लिए एकल बिंदु, सिंगल विंडो अप्रूवल दिया जाएगा. इसका उद्देश्य अधिक से अधिक जर्मन कंपनियों को प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया पहल से जोड़ने और निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना है.
विदित हो कि जर्मन भाषा को भारत में एक विदेशी भाषा के तौर पर और आधुनिक भारतीय भाषाओं के जर्मनी प्रचार के संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय और जर्मनी के संघीय विदेश कार्यालय के बीच एक संयुक्त सहमति घोषणापत्र पर दस्तखत भी किये गये. इस करार को भारत में जर्मन भाषा विवाद के समाधान के तौर पर देखा जा रहा है.
जर्मनी की कंपनियों के लिए फास्ट-ट्रैक मंजूरी प्रक्रिया पर समझौते के तहत जर्मन कंपनियों को परियोजनाओं के लिए एकल बिंदु, सिंगल विंडो अप्रूवल दिया जाएगा. इसका उद्देश्य अधिक से अधिक जर्मन कंपनियों को प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया पहल से जोड़ने और निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना है.
विदित हो कि जर्मन भाषा को भारत में एक विदेशी भाषा के तौर पर और आधुनिक भारतीय भाषाओं के जर्मनी प्रचार के संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय और जर्मनी के संघीय विदेश कार्यालय के बीच एक संयुक्त सहमति घोषणापत्र पर दस्तखत भी किये गये. इस करार को भारत में जर्मन भाषा विवाद के समाधान के तौर पर देखा जा रहा है.
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