प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यतक्षता में आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने 7 अक्टूबर 2015 को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर पारादीप बंदरगाह में स्थित ईस्टर क्वे (ईक्यू) के यंत्रीकरण की परियोजना को अपनी स्वीकृति प्रदान की. यह मंजूरी मुख्य रूप से थर्मल कोयले के निर्यात का संचालन करने के लिए दी गई.
इस परिेयोजना पर कुल मिलाकर 1437.76 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है, जिसमें से 1412.76 करोड़ रुपये का व्यय रियायत पाने वाला उद्यमी करेगा. शेष 25 करोड़ रुपये पारादीप बंदरगाह न्यास द्वारा तलकर्षण (ड्रेजिंग) पर खर्च किए जाएंगे.
इस परियोजना के तहत ईक्यू 1, 2 एवं 3 बर्थ के यंत्रीकरण किया जाना है, जिससे उनकी क्षमता मौजूदा 7.85 मिलियन टन से बढ़कर 30 मिलियन टन हो जाएगी. रियायत देने की तिथि से लेकर तीन साल की भीतर यह परियोजना पूरी की जानी है. परियोजना पूरी होने के बाद पारादीप बंदरगाह में थर्मल कोयले की कुल निर्यात संचालन क्षमता बढ़कर 50 मिलियन टन के स्तर पर पहुंच जाएगी. इससे अगले तीन से चार वर्षों के दौरान थर्मल कोयले की बढ़ती मांग को पूरा करने में बंदरगाह को मदद मिलेगी.
यह यंत्रीकरण परियोजना पारादीप बंदरगाह की परिचालन क्षमता को बेहतर करने में मददगार साबित होगी. इससे उन ताप विद्युत संयंत्रों की संचालन लागत कम हो जाएगी, जो पारादीप बंदरगाह के जरिए कोयले की आपूर्ति पर निर्भर हैं.
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