यूको बैंक ने वित्तीय वर्ष 2014-15 में कुल ऋण के अंतर्गत सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की है. इसकी घोषणा 4 अक्टूबर 2015 को की गई. इसके साथ ही यूको बैंक अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाला बैंक बन गया.
यूको बैंक का सकल अग्रिमों के अनुपात में सकल एनपीए मार्च 2015 के अंत में बढ़कर 8.05 प्रतिशत हो गया. जो पूर्व में 4.47 प्रतिशत था. सकल अग्रिमों के अनुपात में सालाना आधार पर 3.58 की अभिवृद्धि रही.
यूको बैंक के बाद इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) और महाराष्ट्र बैंक (बीओएम) का स्थान उनके सकल एनपीए के साथ क्रमश: दूसरा व तीसरा रहा. इसके अलावा मार्च 2015 के अंत में क्रमश: 8.30 प्रतिशत और 6.18 प्रतिशत की वृद्धि हुई. वहीँ देना बैंक का सकल एनपीए 3.33 फीसदी से बढ़कर वर्ष 2014-15 के अंत में 5.29 प्रतिशत हो गया.
इसी समय कॉरपोरेशन बैंक के सकल एनपीए स्तर में वित्त वर्ष 2014-15 के मुकाबले 1.38 की अभिवृद्धि हुई. जो मार्च 2015 के अंत में 3.42 प्रतिशत से बढ़कर 4.80 फीसदी हो गया.
बैंकों का एनपीए बढ़ने के कारण उपरोक्त बैंक, अन्य बैंकों की अपेक्षा सूची में निचले पायदान पर हैं. इन बैंकों की बैलेंस शीट को मजबूत करने के लिए सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 25000 रुपए की पूंजी सहायता प्रदान की है.
गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों के बारे में
बैंक आमतौर पर किसी भी व्यावसायिक ऋण को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों में वर्गीकृत करते हैं. जो साधारणतया 90 दिनों से अधिक और उपभोक्ता ऋण के लिए 180 से अधिक दिनों के लिए अपेक्षित हैं. आम तौर पर, गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों वो हैं जो किसी भी रूप में आय उत्पादन नहीं कर सकती हैं.
बैंक आमतौर पर किसी भी व्यावसायिक ऋण को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों में वर्गीकृत करते हैं. जो साधारणतया 90 दिनों से अधिक और उपभोक्ता ऋण के लिए 180 से अधिक दिनों के लिए अपेक्षित हैं. आम तौर पर, गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों वो हैं जो किसी भी रूप में आय उत्पादन नहीं कर सकती हैं.
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