भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 6 अक्टूबर 2015 को सरकारी ऋण के विदेशी पोर्टफोलियो वाले निवेशकों (एफपीआई) के लिए नियमों में छूट प्रदान की है. साथ ही उन्हें सरकारी प्रतिभूतियों में रुपये के सन्दर्भ में उच्च निवेश सीमा प्रदान करने की भी घोषणा की है ताकि मार्च 2018 तक सरकार को अतिरिक्त 1.2 लाख करोड़ रुपये की आय हो सके.
आरबीआई ने रुपये के संदर्भ में एफआईआई निवेश की सीमा तय कर दी है तथा वर्ष 2018 तक बकाया स्टॉक को 5 प्रतिशत तक पहुँचाने के लिए विभिन्न चरणों में बांटा गया है.
आरबीआई ने रुपये के संदर्भ में एफआईआई निवेश की सीमा तय कर दी है तथा वर्ष 2018 तक बकाया स्टॉक को 5 प्रतिशत तक पहुँचाने के लिए विभिन्न चरणों में बांटा गया है.
सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश हेतु आरबीआई के निर्देश
• वित्त वर्ष 2015-16 के लिए, आरबीआई ने 12 अक्टूबर 2015 से 1 जनवरी 2016 तक दो चरणों में सरकारी क्षेत्रों में विदेशों निवेश की सीमा बढाई है.
• 12 अक्टूबर से यह सीमा 1.53 लाख करोड़ से 1.7 लाख करोड़ रुपये होगी तथा 1 जनवरी 2016 से यह सीमा 1.86 लाख करोड़ होगी.
• केन्द्र सरकार की उन प्रतिभूतियों को नकारात्मक निवेश सूची में डाल दिया जाएगा जिनमे एफआईआई द्वारा कुल निवेश 20% की निर्धारित सीमा से अधिक है.
• नकारात्मक सूची से हटा दिये जाने तक केन्द्र सरकार की प्रतिभूतियों में विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा नए निवेश में अनुमति नहीं दी जाएगी.
• एसडीएल के लिए सिक्यूरिटी सीमा नहीं होगी. आवंटन और सीमा की निगरानी से संबंधित दिशानिर्देश भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा जारी किये जायेंगे.
यह सभी निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के सेक्शन 10(4) एवं 11(1) के तहत जारी किये गये.
पृष्ठभूमि
भारतीय रिजर्व बैंक ने वर्ष 2015-16 के लिए चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति में यह निर्देश जारी किये थे जिसे 29 सितंबर 2015 को जारी किया गया. इसके अंतर्गत सरकारी प्रतिभूतियों में एफपीआई सीमा के लिए मध्यम अवधि फ्रेमवर्क के अनुसार आधार प्रदान करने की घोषणा की गयी थी. इस फ्रेमवर्क की विशेषताएं थीं :
• आने वाले समय से ऋण प्रतिभूतियों में एफआईआई निवेश के लिए सीमा रुपये के संदर्भ में घोषित की जायेंगी.
• सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश से मार्च 2018 तक 1200 अरब रुपये का निवेश लाया जा सकेगा.
• सभी एफपीआई के लिए राज्य विकास ऋण हेतु अलग सीमा होगी. इस सीमा में मार्च 2018 तक बकाया स्टॉक के 2 प्रतिशत तक पहुंचने के लिए कई चरणों में वृद्धि की जाएगी.
• इस सीमा में प्रभावी बढ़ोतरी हेतु प्रत्येक वर्ष मार्च एवं सितंबर में घोषणा की जाएगी.
• तीन वर्ष में न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता सभी एफपीआई की श्रेणियों के लिए जारी रहेगी.
• केन्द्रीय सरकार की किसी प्रतिभूति में सकल एफपीआई निवेश को बकाया स्टॉक के 20 प्रतिशत पर सीमित कर दिया जाएगा.
भारतीय रिजर्व बैंक ने वर्ष 2015-16 के लिए चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति में यह निर्देश जारी किये थे जिसे 29 सितंबर 2015 को जारी किया गया. इसके अंतर्गत सरकारी प्रतिभूतियों में एफपीआई सीमा के लिए मध्यम अवधि फ्रेमवर्क के अनुसार आधार प्रदान करने की घोषणा की गयी थी. इस फ्रेमवर्क की विशेषताएं थीं :
• आने वाले समय से ऋण प्रतिभूतियों में एफआईआई निवेश के लिए सीमा रुपये के संदर्भ में घोषित की जायेंगी.
• सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश से मार्च 2018 तक 1200 अरब रुपये का निवेश लाया जा सकेगा.
• सभी एफपीआई के लिए राज्य विकास ऋण हेतु अलग सीमा होगी. इस सीमा में मार्च 2018 तक बकाया स्टॉक के 2 प्रतिशत तक पहुंचने के लिए कई चरणों में वृद्धि की जाएगी.
• इस सीमा में प्रभावी बढ़ोतरी हेतु प्रत्येक वर्ष मार्च एवं सितंबर में घोषणा की जाएगी.
• तीन वर्ष में न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता सभी एफपीआई की श्रेणियों के लिए जारी रहेगी.
• केन्द्रीय सरकार की किसी प्रतिभूति में सकल एफपीआई निवेश को बकाया स्टॉक के 20 प्रतिशत पर सीमित कर दिया जाएगा.
0 comments:
Post a Comment