भारत व वियतनाम के मध्य दण्ड प्राप्त कैदियों को सौंपने हेतु संधि पर हस्ताक्षर-(04-NOV-2013) C.A

| Monday, November 4, 2013
भारत और वियतनाम के बीच सजा सुनाये जा चुके कैदियों के प्रत्यर्पण से संबंधित एक संधि पर 01 नवंबर 2013 को हस्ताक्षर किये गये. इस संधि से वियतनाम में सजा काट रहे भारतीय कैदियों को अपनी शेष सजा भारत में पूरी करनी होगी.
दण्ड प्राप्त कैदियों के प्रत्यर्पण संधी पर भारत की ओर से केंन्द्री य गृह मं‍त्री सुशील कुमार शिंदे एवं वियतनाम की ओर से सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री त्रान देई क्वांसग ने हस्तादक्षर किए. इस संधि से कैदियों को अपने परिवारों से मिलने में सुविधा होगी और उनके सामाजिक पुनर्वास की प्रक्रिया में भी मदद मिलेगी.

दोनों देशों के मध्य प्रत्यर्पण संधि के अतिरिक्त सुरक्षा मामलों, क्षमता निर्माण, प्रशिक्षिण के मुददों, साइबर-सुरक्षा, सा‍इबर-अपराध, एक-दूसरे के देश में अपराध, आतंकवाद और आपदा प्रबन्धबन पर आपसी विचार-विमर्श हुआ. दोनों देशों ने आपसी हित के विभिन्नण मुद्दों पर परस्पर सहयोग का संकल्पम भी दोहराया.
वियतनाम से साथ कैदियों के प्रत्यर्पण के समान संधि भारत कई देशों जैसे - मॉरीशस, ब्रिटेन, कम्बोेडिया, बुल्गादरिया, बांग्लादेश, मिस्र, फ्रांस, सउदी अरब, कोरिया, श्रीलंका, ईरान, संयुक्तप अरब अमारात, तुर्की, मालदीव, इटली, थाईलैंड, बोस्निया और हर्जेगोविना, इस्राइल व रूस के साथ कर चुका है. इसके अतिरिक्त कई अन्य देशों जैसे - हॉंगकांग, कनाडा, ब्राजील एवं स्पेनन के साथ भी ऐसी संधि से संबंधित वार्ता हो चुकी है.
विभिन्न देशों के साथ प्रत्यर्पण संधियों से ब्रिटेन, श्रीलंका और मॉ‍रीशस से अब 43 भारतीय कैदियों की स्व देश वापसी संभव हो चुकी है. दूसरी ओर, इन्हीं संधियों के माध्यम से ही फ्रांस एवं ब्रिटेन के 7 कैदियों को उनके अपने देश भेजा जाना है.

विदित हो कि सातवीं संयुक्तण राष्ट्र  कांग्रेस में अपराध की रोकथाम और अपराधियों के आचरण पर 1985 में विदेशी कैदियों के स्थाहनान्तकरण से संबंधित मॉडल समझौते को अपनाया गया. इसके बाद से कई देशों ने दिवपक्षीय और बहुपक्षीय संधियां की हैं. कैदियों के प्रत्यावर्तन अधिनियम-2003 को उक्ते उद्देश्योंब को प्राप्ते करने के लिए लागू किया गया था. इस अधिनियम के उद्देश्यों को पूरा करने हेतु आपसी हित वाले देशों के बीच एक संधि पर हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है.




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