मद्रास हाईकोर्ट ने 24 मई 2017 को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के रिजल्ट पर अंतरिम रोक लगाने की घोषणा की है. हाईकोर्ट ने एक निर्देश जारी कर केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को भी सूचित किया.
मद्रास हाई कोर्ट ने इस संबंध में सीबीएसई को रिजल्ट घोषित नहीं करने का निर्देश दिया. उल्लेखनीय है कि इस परीक्षा के तहत शैक्षणिक वर्ष-2017 के लिए एमबीबीएस और बीडीएस कोर्सों में छात्रों का दाखिला होना है.
जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने सीबीएसई निदेशक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अधिकारियों से मामले पर सात जून तक जवाब मांगा है.
पृष्ठभूमि
राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की गयी नीट परीक्षा के बाद कुछ छात्रों ने 7 मई 2017 को याचिका दायर की थी कि परीक्षा में अंग्रेजी और तमिल समेत विभिन्न भाषाओं में प्रश्न पत्र एक नहीं थे. साथ ही यह भी कहा गया कि इन प्रश्नपत्रों की कठिनाई का स्तर भी समान नहीं था. इस पर याचिकाकर्ताओं ने सीबीएसई से जवाब मांगा था.
छात्रों हाई कोर्ट में मांग की है कि परीक्षा को रद्द कर एक समान स्तर का प्रश्न पत्र बनाया जाए. याचिका में मांग की गई है कि नीट में एक भारत, एक प्रश्न पत्र के तहत परीक्षा ली जाए.
नीट (NEET)
भारत में चिकित्सा स्नातक के पाठ्यक्रमों, एमबीबीएस, बीडीएस में प्रवेश पाने के लिए नीट की परीक्षा पास करने वाले छात्रों को उनके अर्जित अंकों के आधार पर मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिलता है. पहले यह परीक्षा 'एआईपीएमटी' (ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट) के नाम से आयोजित की जाती थी और इसके परिणाम के आधार पर सभी केन्द्र सरकार द्वारा संचालित मेडिकल संस्थानों में प्रवेश प्राप्त किया जा सकता था.
पहले यह परीक्षा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा संचालित होती थी लेकिन वर्ष 2016 की परीक्षाओं के लिए केन्द्र सरकार ने नीट (एनईईटी) परीक्षा आयोजित कराने का फैसला किया. यह एक केंद्रीयकृत परीक्षा प्रणाली मानी जाती है
मद्रास हाई कोर्ट ने इस संबंध में सीबीएसई को रिजल्ट घोषित नहीं करने का निर्देश दिया. उल्लेखनीय है कि इस परीक्षा के तहत शैक्षणिक वर्ष-2017 के लिए एमबीबीएस और बीडीएस कोर्सों में छात्रों का दाखिला होना है.
जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने सीबीएसई निदेशक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अधिकारियों से मामले पर सात जून तक जवाब मांगा है.
पृष्ठभूमि
राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की गयी नीट परीक्षा के बाद कुछ छात्रों ने 7 मई 2017 को याचिका दायर की थी कि परीक्षा में अंग्रेजी और तमिल समेत विभिन्न भाषाओं में प्रश्न पत्र एक नहीं थे. साथ ही यह भी कहा गया कि इन प्रश्नपत्रों की कठिनाई का स्तर भी समान नहीं था. इस पर याचिकाकर्ताओं ने सीबीएसई से जवाब मांगा था.
छात्रों हाई कोर्ट में मांग की है कि परीक्षा को रद्द कर एक समान स्तर का प्रश्न पत्र बनाया जाए. याचिका में मांग की गई है कि नीट में एक भारत, एक प्रश्न पत्र के तहत परीक्षा ली जाए.
नीट (NEET)
भारत में चिकित्सा स्नातक के पाठ्यक्रमों, एमबीबीएस, बीडीएस में प्रवेश पाने के लिए नीट की परीक्षा पास करने वाले छात्रों को उनके अर्जित अंकों के आधार पर मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिलता है. पहले यह परीक्षा 'एआईपीएमटी' (ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट) के नाम से आयोजित की जाती थी और इसके परिणाम के आधार पर सभी केन्द्र सरकार द्वारा संचालित मेडिकल संस्थानों में प्रवेश प्राप्त किया जा सकता था.
पहले यह परीक्षा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा संचालित होती थी लेकिन वर्ष 2016 की परीक्षाओं के लिए केन्द्र सरकार ने नीट (एनईईटी) परीक्षा आयोजित कराने का फैसला किया. यह एक केंद्रीयकृत परीक्षा प्रणाली मानी जाती है
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