देश के समक्ष बेरोजगारी के मुकाबले अर्ध बेरोजगारी अधिक गंभीर मामला: नीति आयोग-(31-MAY-2017) C.A

| Wednesday, May 31, 2017
नीति आयोग ने कहा की देश के समक्ष बेरोजगारी के मुकाबले सबसे बड़ी समस्या ‘अर्ध बेरोजगारी’ है क्योंकि जिस काम को एक व्यक्ति कर सकता है, उसे प्राय: दो या उससे अधिक कर्मचारी करते हैं. तीन साल वर्ष 2017 से वर्ष 2020 के लिए कार्य एजेंडा की मौसादा रिपोर्ट में नीति आयोग ने उच्च उत्पादकता और उच्च मजदूरी वाले रोजगार सृजन पर जोर दिया है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है की बेरोजगारी समस्या है लेकिन इसके बजाए सबसे गंभीर समस्या अर्ध बेरोजगारी है. मसौदा रिपोर्ट नीति आयोग की संचालन परिषद के सदस्यों को 23 अप्रैल 2017 को सौंपी गयी.
रिपोर्ट के अनुसार, सेवा क्षेत्र की शेष कंपनियां क्षेत्र में कार्यरत 98 प्रतिशत कर्मचारियों को रोजगार दे रही हैं लेकिन सेवा उत्पादन में उनका योगदान केवल 62 प्रतिशत है. चीन के उम्रदराज होते कार्यबल का उदाहरण देते हुए नीति आयोग ने उस देश में काम करने वाली बड़ी कंपनियों को भारत में आकर्षित करने पर जोर दिया जहां प्रतिस्पर्धी मजदूरी पर बड़े कार्यबल उपलब्ध हैं. नीति आयोग के मुताबिक ताइवान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और चीन जैसे कुछ ऐसे देश हैं जो तेजी से स्वयं को रूपांतरित करने में कामयाब हुए हैं. उनका अनुभव बताता है कि विनिर्माण क्षेत्र तथा व्यापक वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने की काबिलियत कम और अर्ध-कुशल कामगारों के लिए बेहतर वेतन वाले रोजगार सृजित करने के लिए जरूरी है.
नीति आयोग ने कहा कि एनएसएसओ के सर्वे के मुताबिक वर्ष 2011-12 में 49 प्रतिशत कार्यबल कृषि क्षेत्र में लगे थे लेकिन देश के मौजूदा कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद में उनका योगदान केवल 17 प्रतिशत था. दूसरा वर्ष 2010-11 में देश के विनिर्माण क्षेत्र से जुड़े 72 प्रतिशत कर्मचारी 20 से श्रमिकों वाली इकाइयों में कार्यरत थे पर विनिर्माण क्षेत्र के कुल उत्पादन में उनका योगदान केवल 12 प्रतिशत था.
एनएसएसओ के वर्ष 2006-07 के सेवा क्षेत्र की कंपनियों के सर्वे के मुताबिक सेवा उत्पादन में 38 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले 650 बड़े उपक्रमों में सेवा क्षेत्र के कुल कर्मचारियों का केवल 2 प्रतिशत कार्यरत है.

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